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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kota News: राजसी ठाटबाट से निकली बादशाह की सवारी, झांकियों को देखने उमड़ पड़े लोग
सिर के बीच में कुल्हाड़ी का गड़ा होना, भाले का शरीर से आर-पार होना, गर्दन के आर-पार चाकू का दिखाई देना, सीने में चाकू का धंसा होना ये कोई कल्पना या जादू नहीं है. ये सभी वो पुरानी कलाएं हैं, जो आज लुप्त होती चली जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इनका जीवंत उदाहरण आज भी देखने को मिलता है. पुराने उस्ताद और करतब बाज आज भी अपनी इन कलाओं के माध्यम से लोगों को विचलित कर देते हैं.
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View In Appये सारा नजारा एक ही जगह कोटा के सांगोद में न्हाण के दौरान देखने को मिला, जिसने भी इस दृश्य को देखा देखता ही रह गया. बादशाह की सवारी के साथ पांच दिवसीय लोकोत्सव का समापन हो गया, लेकिन ये पर्व लोगों के मन में कई यादें छोड़ गया. साथ ही सामाजिक संदेश भी दे गया. यहां बनाए गए स्वांग देश दुनिया में अपनी छात्र छोडी और व्यंग के माध्यम से स्वच्छ राजनीति, स्वच्छ समाज, पर्यावरण संरक्षण, धर्म, संस्कृति और लोक उत्सवों की अपनी परंपरा को संजोए रखने की सीख भी दी गई.
सांगोद के न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा की बादशाह की सवारी के साथ सांगोद के पांच दिवसीय लोकोत्सव का समापन हुआ. बादशाह की सवारी देखने हर बार की तरह लोगों का सैलाब उमड़ा. सवारी के मार्ग गायत्री चौराहा से खाड़ा स्थल तक लोगों की भीड़ रही. सजे धजे घोडों पर सवार राजसी परिधानों में सजे उमरावों के साथ निकली बादशाह की सवारी में परंपरागत स्वांगों के साथ नए स्वांगों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
बादशाह की सवारी के पूर्व से भवानी की सवारी में लोग मंत्रमुग्ध होकर फूलों से सजी देवी-देवताओं की जीवंत झांकियों को एकटक निहारते रहे. बैंड-बाजे पर बजती परंपरागत धुनों के बीच निकले देव विमानों को देख ऐसा लगा जैसे स्वर्ग के देवता धरती पर भ्रमण करने निकले हों. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों और किन्नरों ने लोकगीतों पर नृत्यों की प्रस्तुति से रातभर लोगों को बांधे रखा.
चाचा बोहरा बने पप्पू सेन ने अपने अंदाज में लोगों का मनोरंजन किया. यहां चाचा बोहरा की किन्नर से शादी के प्रसंग मंचन में लोगों ने जमकर ठुमके लगाए. बादशाह की सवारी में परंपरागत स्वांगों के साथ नए स्वांग भी आकर्षण के केन्द्र रहे.
कुंभ स्नान को जाते ओघड़, स्वतंत्रता सैनानी, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, शंकर-पार्वती और कोढ़े मारती चुड़ैल, डाकू, मथरा-मथरी, शूरवीर जैसे स्वांग भीड़ को हटाने के लिए झाड़ू मारते युवकों के साथ पारंपरिक लोकगीतों पर नृत्य करते युवकों के स्वांग रहे. बाादशाह बने अनिल चतुर्वेदी को परंपरानुसार हाथी पर भ्रमण करवाया गया.
वर्ष 2023 के खाड़े का न्हाण यहां कई यादें छोड़ गया. बादशाह की सवारी में शंकर भगवान की बारात का स्वांग विवाह के गीत गाते हुए निकला. इसमें बाराती भस्म लपेटे और शंकर भगवान की बारात में नाचते कूदते हुए चल रहे थे. पूरे मार्ग में इस स्वांग को देखने के लिए लोग उमड़ पड़े.
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