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Rajasthan: एक छोटे से पत्थर पर सदियों से झूल रहा है विशालकाय चट्टान, देखें 'अधरशिला' दरगाह की अद्भुत तस्वीरें
Adharshila Dargah Kota: इतिहासविद फिरोज अहमद बताते हैं कि 'अधरशिला' की दरगाह और यहां बनी गुंबद स्थापत्य शैली की दृष्टि से काफी प्राचीन लगती है. इस प्रकार यह दरगाह लगभग पूर्व मध्यकालीन की है.
![Adharshila Dargah Kota: इतिहासविद फिरोज अहमद बताते हैं कि 'अधरशिला' की दरगाह और यहां बनी गुंबद स्थापत्य शैली की दृष्टि से काफी प्राचीन लगती है. इस प्रकार यह दरगाह लगभग पूर्व मध्यकालीन की है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/428434876b16f4ac7b94140004d157bf1708585980031489_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
(अधरशिला दरगाह)
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![राजस्थान के कोटा में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जो अपने आप में अनूठे और विचलित कर देने वाले हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थान हैं, जिसे 'अधरशिला' के नाम से जानते हैं. यह शिला अधर यानी हवा में लटकी हुई है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/03a12805cf7b3d0374781b5bf9adbf72a1f10.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राजस्थान के कोटा में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जो अपने आप में अनूठे और विचलित कर देने वाले हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थान हैं, जिसे 'अधरशिला' के नाम से जानते हैं. यह शिला अधर यानी हवा में लटकी हुई है.
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![कोटा शहर में चंबल नदी के दाहिने किनारे पर 'अधरशिला' प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है. यह विशाल चट्टान लगभग एक मन पत्थर के छोटे से टुकड़े पर टिकी हुई है. शीर्षवत इतनी झुकी हुई है कि प्रति क्षण इसके गिरने की आशंका होती है, लेकिन वह क्षण कभी नहीं आया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/8337e9e036bd592964c80d2f0f5e58cc5c033.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
कोटा शहर में चंबल नदी के दाहिने किनारे पर 'अधरशिला' प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है. यह विशाल चट्टान लगभग एक मन पत्थर के छोटे से टुकड़े पर टिकी हुई है. शीर्षवत इतनी झुकी हुई है कि प्रति क्षण इसके गिरने की आशंका होती है, लेकिन वह क्षण कभी नहीं आया.
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![लटकी हुई यह विशाल शिला सदियों से बड़े-बड़े पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है. कोटा बैराज बनने के पूर्व तक यह शिला नदी के पानी से बाहर थी, लेकिन मौजूद में जल स्तर बढ़ने के कारण इस शिला का आगे का हिस्सा अब पानी में डूब रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/f5e38f4a2ee4bf4d4f2d2d0ea38740ef0c284.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
लटकी हुई यह विशाल शिला सदियों से बड़े-बड़े पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है. कोटा बैराज बनने के पूर्व तक यह शिला नदी के पानी से बाहर थी, लेकिन मौजूद में जल स्तर बढ़ने के कारण इस शिला का आगे का हिस्सा अब पानी में डूब रहा है.
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![ऐसा माना जाता है अधरशिला के नीचे एक गढ्ढेनुमा स्थान पर सूफी संत का मजार है, जिन्होंने कभी इस वीरान स्थान पर अपनी तपस्या की थी और अपने मंत्र बल से इस विशाल चट्टान को इस स्थान पर स्थिर कर दिया था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/f534b6bfa65b15d1f09d7cea4e93a8041c443.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ऐसा माना जाता है अधरशिला के नीचे एक गढ्ढेनुमा स्थान पर सूफी संत का मजार है, जिन्होंने कभी इस वीरान स्थान पर अपनी तपस्या की थी और अपने मंत्र बल से इस विशाल चट्टान को इस स्थान पर स्थिर कर दिया था.
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![भारत में 12वीं से 13वीं शताब्दी में सूफी संतों का आगमन कोटा नगरी की ओर हुआ था. उसी समय कोटा की सरजमीं पर एक सूफी सन्त आए थे, जिन्होंने इस स्थान को अपनी इबादत के लिए चुना था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/ce4cfdf5314b20e7de309a83f5e0c88672f67.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भारत में 12वीं से 13वीं शताब्दी में सूफी संतों का आगमन कोटा नगरी की ओर हुआ था. उसी समय कोटा की सरजमीं पर एक सूफी सन्त आए थे, जिन्होंने इस स्थान को अपनी इबादत के लिए चुना था.
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![उस समय यह स्थान जंगली जानवरों का इलाका था. कोटा के शासक महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय तक 'अधरशिला' की तराई में शेर और अन्य जंगली जानवरों का शिकार किया जाता था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/467137068278d2b0c30d6fe0de026798c21b6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
उस समय यह स्थान जंगली जानवरों का इलाका था. कोटा के शासक महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय तक 'अधरशिला' की तराई में शेर और अन्य जंगली जानवरों का शिकार किया जाता था.
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![दरगाह में जिन सूफी सन्त मौला अली का मजार है, वह मुस्लिम सूफी संत परम्परा में कादरिया सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं. दरगाह की गुम्बदें किस शासक के समय में निर्मित हुई यह आज तक शोध का विषय है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/ce4cfdf5314b20e7de309a83f5e0c88674bc8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
दरगाह में जिन सूफी सन्त मौला अली का मजार है, वह मुस्लिम सूफी संत परम्परा में कादरिया सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं. दरगाह की गुम्बदें किस शासक के समय में निर्मित हुई यह आज तक शोध का विषय है.
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![माना जाता है कि इस तरह की और ऐसी स्थिति में कोई भी शिला पूरे भारत में नहीं मिलेगी. विश्व के आश्चयों में से यह एक है. कोटा के लोगों में इसे लेकर अलग-अलग प्रकार की धारणाएं प्रचलित हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/22/467137068278d2b0c30d6fe0de026798257f0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
माना जाता है कि इस तरह की और ऐसी स्थिति में कोई भी शिला पूरे भारत में नहीं मिलेगी. विश्व के आश्चयों में से यह एक है. कोटा के लोगों में इसे लेकर अलग-अलग प्रकार की धारणाएं प्रचलित हैं.
Published at : 22 Feb 2024 01:18 PM (IST)
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