एक्सप्लोरर

कोटा: सूरज की पहली किरण करती है शिव का मस्तकाभिषेक, 1300 साल पुराने मंदिर का भरत से जुड़ा है इतिहास

Kota Kansua Dham: कोटा कई वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है. उनमें से एक है प्राचीन कंसुआ धाम. कंसुआ धाम कण्व ऋषि की तपोस्थली है. यही पर महाप्रतापी भरत का बचपन बीता था, जिसकी निशानी अभी भी मौजूद है.

Kota Kansua Dham: कोटा कई वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है. उनमें से एक है प्राचीन कंसुआ धाम. कंसुआ धाम कण्व ऋषि की तपोस्थली है. यही पर महाप्रतापी भरत का बचपन बीता था, जिसकी निशानी अभी भी मौजूद है.

कंसुआ धाम

1/17
कोटा औद्योगिक और शैक्षणिक नगरी के साथ प्राचीन कंसुआ धाम के नाम से भी जाना जाता है. इस पवित्र धरा पर आज भी करीब 1300 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर है. जहां सूर्य देव भी सबसे पहले भगवान के शीश को स्पर्श करते हैं.
कोटा औद्योगिक और शैक्षणिक नगरी के साथ प्राचीन कंसुआ धाम के नाम से भी जाना जाता है. इस पवित्र धरा पर आज भी करीब 1300 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर है. जहां सूर्य देव भी सबसे पहले भगवान के शीश को स्पर्श करते हैं.
2/17
सूर्य की पहली किरण यहां शिव का मस्तकाभिषेक करती है. यहां कण्व ऋषि की तपोस्थली का तेज है, तो दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से जन्में शेरों के दांत गिनने वाले महाप्रतापी भरत का बचपन बीता है. भरत के नाम से हमारा देश पूरी दुनिया में 'भारत' के रूप में पहचाना जाता है.
सूर्य की पहली किरण यहां शिव का मस्तकाभिषेक करती है. यहां कण्व ऋषि की तपोस्थली का तेज है, तो दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से जन्में शेरों के दांत गिनने वाले महाप्रतापी भरत का बचपन बीता है. भरत के नाम से हमारा देश पूरी दुनिया में 'भारत' के रूप में पहचाना जाता है.
3/17
मंदिर के पुजारी श्याम गिरी गोस्वामी महाराज ने बताया कि कंसुआ धाम कण्व ऋषि की तपोस्थली है. जहां पर दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से जन्मे शेरों के दांत गिनने वाले महाप्रतापी भरत का बचपन बीता है. उनकी अठखेलियों के निशान आज भी बाकी हैं.
मंदिर के पुजारी श्याम गिरी गोस्वामी महाराज ने बताया कि कंसुआ धाम कण्व ऋषि की तपोस्थली है. जहां पर दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से जन्मे शेरों के दांत गिनने वाले महाप्रतापी भरत का बचपन बीता है. उनकी अठखेलियों के निशान आज भी बाकी हैं.
4/17
पुजारी श्याम गिरी के मुताबिक, यह वहीं भरत हैं, जिनके नाम से हमारा देश पूरी दुनिया में भारत नाम से जाना जाता है. भारत देश भरत का जन्मस्थान है, जिसके बाद इसका नाम 'कंव सुवा' रखा गया, जो बाद में कंसुआ बन गया.
पुजारी श्याम गिरी के मुताबिक, यह वहीं भरत हैं, जिनके नाम से हमारा देश पूरी दुनिया में भारत नाम से जाना जाता है. भारत देश भरत का जन्मस्थान है, जिसके बाद इसका नाम 'कंव सुवा' रखा गया, जो बाद में कंसुआ बन गया.
5/17
आज यह स्थान भगवान भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान रहता है. सोमवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. गोस्वामी महाराज ने कहा कि भोलेनाथ के दर्शन मात्र से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं.
आज यह स्थान भगवान भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान रहता है. सोमवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. गोस्वामी महाराज ने कहा कि भोलेनाथ के दर्शन मात्र से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं.
6/17
पुजारी श्याम गिरी गोस्वामी महाराज ने कहा कि शकुंतला, राजकुमार दुष्यंत की कहानी बेहद निराली है. जहां 1300 साल पहले शिवगण ने शिव मंदिर बनवाया था. उसी कण्व ऋषि के आश्रम में अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला रहती थीं. जब राजकुमार दुष्यंत प्रवास पर इस क्षेत्र में आए थे तो उन्हें कंसुआ के वन क्षेत्र में शकुंतला मिल गई थी.
पुजारी श्याम गिरी गोस्वामी महाराज ने कहा कि शकुंतला, राजकुमार दुष्यंत की कहानी बेहद निराली है. जहां 1300 साल पहले शिवगण ने शिव मंदिर बनवाया था. उसी कण्व ऋषि के आश्रम में अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला रहती थीं. जब राजकुमार दुष्यंत प्रवास पर इस क्षेत्र में आए थे तो उन्हें कंसुआ के वन क्षेत्र में शकुंतला मिल गई थी.
7/17
उसके बाद दोनों का प्रेम परवान चढ़ा. राजकुमार दुष्यंत जब वहां से जाने लगे, तो शकुंतला से शादी का वादा करके उन्हें एक संकेत के रूप में एक अंगूठी दे गए थे. एक ऋषि ने शकुंतला से क्रोधित होकर उसे श्राप दिया कि दुष्यंत उसे भूल जाएगा. उसके बाद शकुंतला की अंगूठी नदी में गिर गई.
उसके बाद दोनों का प्रेम परवान चढ़ा. राजकुमार दुष्यंत जब वहां से जाने लगे, तो शकुंतला से शादी का वादा करके उन्हें एक संकेत के रूप में एक अंगूठी दे गए थे. एक ऋषि ने शकुंतला से क्रोधित होकर उसे श्राप दिया कि दुष्यंत उसे भूल जाएगा. उसके बाद शकुंतला की अंगूठी नदी में गिर गई.
8/17
कुछ सालों के बाद जब वह दुष्यंत के साथ हस्तिनापुर गई, तो दुष्यंत ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. भरत का जन्म दुष्यंत- शकुंतला के प्रणय से हुआ था, जो कण्व ऋषि के आश्रम में पले-बढ़े थे और वह महाप्रतापी बालक शेरों के साथ खेलते थे.
कुछ सालों के बाद जब वह दुष्यंत के साथ हस्तिनापुर गई, तो दुष्यंत ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. भरत का जन्म दुष्यंत- शकुंतला के प्रणय से हुआ था, जो कण्व ऋषि के आश्रम में पले-बढ़े थे और वह महाप्रतापी बालक शेरों के साथ खेलते थे.
9/17
कहा जाता है कि करीब 1300 से 1400 साल पुराने मंदिर में स्थित शिलालेख इसके गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं. चट्टानों को काटकर बनाए गए मुख्य शिवालय में प्राचीनतम शिवलिंग के साथ भोलेनाथ के अन्य दुर्लभ मूर्तियां परिसर में हैं. इसके साथ ही चतुमुर्खी शिवलिंग समेत अन्य प्राचीन शिवलिंग और अन्य देव प्रतिमाएं हैं.
कहा जाता है कि करीब 1300 से 1400 साल पुराने मंदिर में स्थित शिलालेख इसके गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं. चट्टानों को काटकर बनाए गए मुख्य शिवालय में प्राचीनतम शिवलिंग के साथ भोलेनाथ के अन्य दुर्लभ मूर्तियां परिसर में हैं. इसके साथ ही चतुमुर्खी शिवलिंग समेत अन्य प्राचीन शिवलिंग और अन्य देव प्रतिमाएं हैं.
10/17
यहां पर भगवान हनुमान, भैरव बाबा का मंदिर भी है. इस शिव मंदिर के बाहर एक प्राचीन कुंड है, जो शैव पूजा का मुख्य केंद्र है. इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और कुछ ही दूरी पर एक पत्थर पर बना सहस्त्र शिवलिंग है.
यहां पर भगवान हनुमान, भैरव बाबा का मंदिर भी है. इस शिव मंदिर के बाहर एक प्राचीन कुंड है, जो शैव पूजा का मुख्य केंद्र है. इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और कुछ ही दूरी पर एक पत्थर पर बना सहस्त्र शिवलिंग है.
11/17
यह मंदिर पंचरथ गर्भगृह, अंतराल और मंडप के साथ योजना में पूर्व की ओर है. गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर स्तंभ भी अलंकृत हैं. मंदिर में प्रवेश के साथ दक्षिणी भाग में एक दुर्लभ शिलालेख है, जिस पर मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 795 (738 ईस्वी) में होना बताया गया है.
यह मंदिर पंचरथ गर्भगृह, अंतराल और मंडप के साथ योजना में पूर्व की ओर है. गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर स्तंभ भी अलंकृत हैं. मंदिर में प्रवेश के साथ दक्षिणी भाग में एक दुर्लभ शिलालेख है, जिस पर मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 795 (738 ईस्वी) में होना बताया गया है.
12/17
इस शिलालेख को कौटिल्य लिपि में लिखे गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिलालेखों में से एक माना जाता है. महान हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद ने भी अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में इस शिलालेख का उल्लेख किया है. इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के निर्माण को लगभग 1300 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसका वैभव आज भी वैसा ही है. पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर का कई जगह जीर्णोद्धार हो रहा है.
इस शिलालेख को कौटिल्य लिपि में लिखे गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिलालेखों में से एक माना जाता है. महान हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद ने भी अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में इस शिलालेख का उल्लेख किया है. इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के निर्माण को लगभग 1300 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसका वैभव आज भी वैसा ही है. पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर का कई जगह जीर्णोद्धार हो रहा है.
13/17
इस शिलालेख को कौटिल्य लिपि में लिखे गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिलालेखों में से एक माना जाता है. महान हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद ने भी अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में इस शिलालेख का उल्लेख किया है. इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के निर्माण को लगभग 1300 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसका वैभव आज भी वैसा ही है. पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर का कई जगह जीर्णोद्धार हो रहा है.
इस शिलालेख को कौटिल्य लिपि में लिखे गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिलालेखों में से एक माना जाता है. महान हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद ने भी अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में इस शिलालेख का उल्लेख किया है. इतिहासकारों के अनुसार मंदिर के निर्माण को लगभग 1300 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसका वैभव आज भी वैसा ही है. पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर का कई जगह जीर्णोद्धार हो रहा है.
14/17
उन्होंने वैदिककालीन महर्षि कण्व के आश्रम को अमरता प्रदान की. आज भी मंदिर के पत्थरों को देखते हैं तो यहां आश्चर्य चकित करने वाली कला देखने को मिलती है, यहां अखंड ज्योति प्रज्वलित है और वहीं धुणी जलती रहती है.
उन्होंने वैदिककालीन महर्षि कण्व के आश्रम को अमरता प्रदान की. आज भी मंदिर के पत्थरों को देखते हैं तो यहां आश्चर्य चकित करने वाली कला देखने को मिलती है, यहां अखंड ज्योति प्रज्वलित है और वहीं धुणी जलती रहती है.
15/17
इस मंदिर में कुछ समय पूर्व ही जीर्णोद्धार कार्य हुआ है. कोटा के हाडा वंश शासकों के जरिये इसका समय-समय पर जीर्णोद्धार कराया गया. कण्व ऋषि महाभारत काल से पहले कौरव-पांडव के पूर्वज हस्तिनापुर के शासक दुष्यंत के समय के एक महान तपस्वी थे.
इस मंदिर में कुछ समय पूर्व ही जीर्णोद्धार कार्य हुआ है. कोटा के हाडा वंश शासकों के जरिये इसका समय-समय पर जीर्णोद्धार कराया गया. कण्व ऋषि महाभारत काल से पहले कौरव-पांडव के पूर्वज हस्तिनापुर के शासक दुष्यंत के समय के एक महान तपस्वी थे.
16/17
आठवीं शताब्दी का मंदिर मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण, जो हमारी भारतीय स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है. यहां शिवलिंग की आकृति के साथ-साथ कई देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जिनमें मूर्तिकला का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.
आठवीं शताब्दी का मंदिर मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण, जो हमारी भारतीय स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है. यहां शिवलिंग की आकृति के साथ-साथ कई देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जिनमें मूर्तिकला का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.
17/17
यहां का परिसर शिवलिंग से भरा हुआ है, ऐसा लगता है कि हर काल में प्रमुख भक्तों ने यहां शिवलिंग की स्थापना की होगी. मुख्य शिवलिंग पर 999 छोटे शिवलिंग हैं. इसके साथ ही छोटा मुख्य शिविलिंग है, इसके अलावा भी जगह-जगह अनगिनत शिविलिंग हैं.
यहां का परिसर शिवलिंग से भरा हुआ है, ऐसा लगता है कि हर काल में प्रमुख भक्तों ने यहां शिवलिंग की स्थापना की होगी. मुख्य शिवलिंग पर 999 छोटे शिवलिंग हैं. इसके साथ ही छोटा मुख्य शिविलिंग है, इसके अलावा भी जगह-जगह अनगिनत शिविलिंग हैं.

राजस्थान फोटो गैलरी

राजस्थान वेब स्टोरीज

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Maharashtra Lok Poll Survey: 6 में से 4 जोन में NDA को पटकेगा MVA, इस मुद्दे पर लगेगा फटका! जानें, और क्या कहता है महाराष्ट्र पर ताजा सर्वे
महाराष्ट्रः 6 में से 4 जोन में NDA को पटकेगा MVA, इस मुद्दे पर लगेगा फटका! जानें, और क्या कहता है सर्वे
69,000 भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नगीना सांसद चंद्रशेखर की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
69,000 भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नगीना सांसद चंद्रशेखर की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
टेस्ट टीम से ड्रॉप नहीं हुए थे केएल राहुल, बल्कि..., BCCI की तरफ से हुआ बड़ा खुलासा
टेस्ट टीम से ड्रॉप नहीं हुए थे केएल राहुल, BCCI की तरफ से हुआ बड़ा खुलासा
पीएम मोदी पर टिप्पणी मामले में शशि थरूर ने की तुरंत सुनवाई की गुजारिश तो CJI चंद्रचूड़ बोले- आप ईमेल तो करिए, फिर मैं...
शशि थरूर ने की तुरंत सुनवाई की गुजारिश तो CJI चंद्रचूड़ बोले- आप ईमेल तो करिए, फिर मैं...
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Haryana Assembly Elections: हरियाणा में में AAP ने जारी किया दूसरी लिस्ट | ABP NEWSSultanpur Encounter: Mangesh एनकाउंटर पर फिर राजनीति तेज, अखिलेश यादव ने CM Yogi पर कसा तंज | ABP |Kanpur में आतंकियों ने रची थी ट्रेन हादसे की साजिश..ISIS कमांडर फरतुल्लाह गौरी पर है शक | ABP NewsAmroha Breaking: अमरोहा में बड़ा हादसा, तेज रफ्तार कार महिला को मारी जोरदार टक्कर | ABP News |

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Maharashtra Lok Poll Survey: 6 में से 4 जोन में NDA को पटकेगा MVA, इस मुद्दे पर लगेगा फटका! जानें, और क्या कहता है महाराष्ट्र पर ताजा सर्वे
महाराष्ट्रः 6 में से 4 जोन में NDA को पटकेगा MVA, इस मुद्दे पर लगेगा फटका! जानें, और क्या कहता है सर्वे
69,000 भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नगीना सांसद चंद्रशेखर की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
69,000 भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नगीना सांसद चंद्रशेखर की पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
टेस्ट टीम से ड्रॉप नहीं हुए थे केएल राहुल, बल्कि..., BCCI की तरफ से हुआ बड़ा खुलासा
टेस्ट टीम से ड्रॉप नहीं हुए थे केएल राहुल, BCCI की तरफ से हुआ बड़ा खुलासा
पीएम मोदी पर टिप्पणी मामले में शशि थरूर ने की तुरंत सुनवाई की गुजारिश तो CJI चंद्रचूड़ बोले- आप ईमेल तो करिए, फिर मैं...
शशि थरूर ने की तुरंत सुनवाई की गुजारिश तो CJI चंद्रचूड़ बोले- आप ईमेल तो करिए, फिर मैं...
Apple iPhone 16 Price: नए फीचर्स और स्पेसिफिकेशन्स के साथ जानें भारत में कितनी है iPhone 16 की कीमत?
नए फीचर्स और स्पेसिफिकेशन्स के साथ जानें भारत में कितनी है iPhone 16 की कीमत?
NSG Commando: ​कैसे बनते हैं NSG कमांडो? कितनी मिलती है सैलरी, क्या कोई भी कर सकता है ज्वाइन
​कैसे बनते हैं NSG कमांडो? कितनी मिलती है सैलरी, क्या कोई भी कर सकता है ज्वाइन
KBC 16: एक दिन में तीन शिफ्ट में काम करते थे अमिताभ बच्चन, बोले- मैं सुबह 7 बजे से अगले दिन के 6 बजे तक करता था शूटिंग
कभी तीन शिफ्ट में काम करते थे अमिताभ बच्चन, केबीसी 16 में किया खुलासा
'मुझे मोदी जी पसंद हैं', अमेरिका में राहुल गांधी का चौंकाने वाला बयान
'मुझे मोदी जी पसंद हैं', अमेरिका में राहुल गांधी का चौंकाने वाला बयान
Embed widget