In Pics: प्रसिद्ध कुंभलगढ़ फेस्टिवल का रंगारंग आगाज, 13 अलग-अलग स्थानों के कलाकार देंगे प्रस्तुति
उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले स्थित कुंभलगढ़ दुर्ग पर फेस्टिवल का आगाज हुआ. प्रशासन और पर्यटन विभाग की तरफ से पारंपरिक तरीके से ढोल बजाकर उसकी शुरुआत की गई. इसके बाद मनियारी कलाकारों ने गणेश वंदना की और प्रस्तुतियां शुरू हुई.
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View In Appकुंभलगढ़ दुर्ग पर कलाकारों की प्रस्तुतियों में राजस्थानी झलक दिखाई गई. प्रदेश के अलग-अलग जगहों से आए कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं. उन्हें देखने के लिए कई पर्यटक भी पहुंचे. यह फेस्टिवल शनिवार (2 दिसंबर) और रविवार (3 दिसंबर) को मनाया जाएगा. इस फेस्टिवल में रंगारंग प्रस्तुतियों का पर्यटकों ने खूब लुत्फ उठाया.
इतना ही नहीं, फेस्टिल में शामिल होने पहुंचे पर्यटकों की प्रतियोगिता भी कराई गई, जिसमें पर्यटकों ने साफा प्रतियोगिता में भाग लिया. कुंभलगढ़ फेस्टिवल में रोजाना 4 घंटे की विशेष प्रस्तुति होगी. इसका आगाज पहले ही दिन से हो गया. सुबह 11 बजे से कार्यक्रम का दौर शुरू होगा और ये शाम 3 बजे तक चलेगा.
पहले दिन विशेष प्रस्तुति में घूमर, स्वांग, सेहरिया, लाल आंगी गैर, कच्छी घोड़ी, बांकिया वादन बेहरूपिया, भंवाई आदि राजस्थानी नृत्य का पर्यटकों ने लुत्फ उठाया. इन्हें देखने के लिए देशी सहित विदेश पर्यटक भी पहुंचे. इस दौरान फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचने पर्यटकों ने कलाकारों के साथ में नृत्य भी किया.
पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि यह फेस्टिवल 3 दिसंबर तक चलेगा. इसमें राजस्थान के13 अलग-अलग स्थानों से कलाकार आए हैं, जो विशेष प्रस्तुतियां दे रहे हैं. इसमें घूमर नृत्य के लिए किशनगढ़ से, चकरी नृत्य, सहारिया स्वांग नृत्य के लिए बारां से, कच्छी घोड़ी नृत्य उदयपुर से, लाल गैर नृत्य, लगा मांगणियार नृत्य बाड़मेर, बांकिया वादन कुंभलगढ़, बहुरूपिया चित्तौड़गढ़, चंग ढप नृत्य चूरू, तेरहताल नृत्य उदयपुर गोगुंदा आदि है.
ये फेस्टिवल हर साल राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ किले पर आयोजित की जाती है. यहां आने वाले पर्यटकों कुंभलगढ़ फेस्टिवल के अलावा जंलग सफारी और भव्य किले का साइट सीन देखने को मिलता है. इस बार फेस्टिवल में पर्यटक सिर्फ दिन में ही आयोजित कार्यक्रमों को ही देख सकेंगे. इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव के कारण शाम में कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा रहा है.
उदयपुर पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरत झीलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं. ठंडक का महीने में यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ जाती है. ऐसे में पर्यटकों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
कुंभलगढ़ फेस्टिवल के बाद उदयपुर में शिल्पग्राम मेले का आयोजन किया जाएगा. ये मेला सिर्फ मेवाड़ क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के लिए विशेष होता है. इस बार कुंभलगढ़ फेस्टिवल में कानून व्यवस्था के लिहाज से कई सावधानी बरती जा रही हैं. जिसके तहत व्यवस्थापकों ने सिर्फ दिन में कार्यक्रम आयोजित कराने का फैसला किया है, जिसमें पूरे प्रदेश की झलकी देखने को मिलेगी.
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