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Photos: मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद बड़वा 138 कमरों की इस हवेली में रहते थे, देखें तस्वीरें
Mewar Bagore ki Haveli: उदयपुर में 270 साल पुरानी गणगौर घाट के पास बागोर की हवेली है. मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद बड़वा ने हवेली बनवाई थी.

बागोर की हवेली, फोटो क्रेडिट- विपिन चंद्र सोलंकी
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राजस्थान की पहचान हवेली, महल और किले के लिए होती है. राजा-महाराजा किले और महल में रहते थे. हवली में जागीरदार और मंत्रियों का वास होता था. मेवाड़ के उदयपुर शहर में सवा सौ से ज्यादा हवेलियां बनी हुई हैं.
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सबसे बड़ी बागोर की हवेली है. गणगौर घाट के पास बनी बागोर की हवेली मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद बड़वा ने बनवाई थी. बागोर की हवेली में 138 कमरे हैं. बड़े पत्थरों पर कलाकारी भी उकेरी हुई है.
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पश्चिमी क्षेत्र में म्यूजियम सांस्कृतिक केंद्र का ऑफिस है. बागोर की हवेली का निर्माण अमर चंद बडवा ने 1751 से 1778 के दौरान करवाया. उनकी मौत के बाद महाराणा मेवाड़ के छोटे भाई महाराज नाथ सिंह के नियंत्रण में हवेली आ गई.
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सन् 1828- 1884 के दौरान बागोर ठिकाने से सरदार सिंह, स्वरूप सिंह, शंभू सिंह और सज्जन सिंह गोद लेकर मेवाड़ के महाराणा बनाए गए. पिछोला झील के किनारे गणगौर घाट का निर्माण महाराजा नाथ सिंह के वारिस महाराजा भीम सिंह ने करवाया.
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महाराजा शक्ति सिंह ने सन् 1878 में गणगौर घाट के त्रिपोलिया (नक्काशीदार तीन दरवाजों) पर कांच की कारीगरी से सज्जित महल का निर्माण करवाया. सन् 1930 में बागोर की हवेली का अधिग्रहण के बाद मेवाड़ राज्य का अतिथि गृह बनाया गया.
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आजादी के बाद राजस्थान सरकार ने बागोर की हवेली का इस्तेमाल किया. बागोर की हवेली को प्रदेश कर्मचारियों का आवास बनाया गया. सन् 1986 में बागोर की हवेली को सांस्कृतिक केंद्र कार्यालय के लिए हस्तांतरित की गई.
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बागोर की हवेली में 138 कमरे, झरोखे, गलियारे, चौक और लंबे चौड़े बरामदे बने हैं. पांच वर्ष की मरम्मत के बाद बागोर की हवेली को संग्रहालय का रूप दिया गया.
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हवेली के बैठक कक्ष, शयन कक्ष, स्नानागार, आमोद-प्रमोद कक्ष, संगीत कक्ष, पूजा घर, भोजन शाला में राजसी जीवन शैली, वास्तु शिल्प और सांस्कृतिक मान्यताओं से पुरातन स्वरूप को संरक्षित किया गया.
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बागोर की हवेली ऐतिहासिक एवं प्राचीन इमारत के पुर्ननवीकरण एवं संरक्षण का एक ज्वलंत उदाहरण है. नेल और हैमर से कलाकारों की चट्टान पर नक्काशी बागोर की हवेली में दिखाई देती है. चट्टान को 20 हाथी लेकर आए थे. चट्टान में कमल का फूल, फव्वारे आज भी चकते हैं. बागोर की हवेली का फ्रंट झील की तरफ है. पर्यटक सड़क मार्ग से गणगौर घाट की तरफ प्रवेश करते हैं.
Published at : 06 Feb 2023 10:20 PM (IST)
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