In Pics: भरतपुर में स्थित है उत्तर भारत का इकलौता प्राचीन गंगा मां का मंदिर, 92 साल पहले हुई थी स्थापना, देखें तस्वीरें
राजस्थान में महाराजा बलबंत सिंह ने 1845 में भरतपुर गंगा मैया के मंदिर की नींव रखी और उसके बाद पांच पीढ़ियों तक मंदिर बनाने का काम चलता रहा, जो अंतिम शासक महाराजा सवाई वृजेन्द्र सिंह के कार्यकाल में पूरा हुआ.
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View In Appमहाराजा सवाई वृजेन्द्र सिंह ने मंदिर का काम पूरा होने पर यहां 1937 में गंगा मैया की मूर्ति स्थापित की. मंदिर में स्थापित गंगा माता की मूर्ति मुस्लिम कारीगर द्वारा बनाई गई थी.
तब से लेकर अभी तक गंगा मंदिर में रोजाना सुबह और शाम में गंगा मैया की पूजा अर्चना और आरती की जाती है. बता दें पूरे उत्तर भारत में गंगा मैया का एकमात्र मंदिर भरतपुर में स्थित है.
बताया जाता है कि संतान नहीं होने पर भरतपुर के शासक महाराजा बलवंत सिंह ने हरिद्वार जाकर गंगा मैया से मन्नत मांगी थी और जब उन्हें संतान हुई, तो उन्होंने गंगा मंदिर का निर्माण शुरू कराया.
इसके बाद तब से लेकर आज तक गंगा मैया के मंदिर में गंगा मैया को गंगा जल से स्नान कराया जाता है और फिर उस गंगा जल को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.
मंदिर में गंगा जल के लिए एक हौज बना हुआ है, जिसमें 15 हजार लीटर गंगा जल भर जाता है, जो हर साल गंगा नदी से यहां लाया जाता है. यह जल करीब एक साल तक चलता है, फिर जब हौज में एक फुट गंगा जल शेष रहता है तो फिर से गंगा नदी से गंगा जल मंगवाया जाता है.
गंगा मंदिर का निर्माण राजाओं ने लोहागढ़ किले के बिलकुल सामने कराया था, जिससे सुबह के समय रोजाना जागने पर राजा और रानी को सबसे पहले महल से ही गंगा मैया का दर्शन हो. यहां के राजाओं में गंगा मैया के प्रति विशेष श्रध्दा थी.
भरतपुर का लोहागढ़ किला एक मात्रा ऐसा किला था, जो हमेशा अजेय रहा जिसे कोई जीत नहीं सका क्योंकि यहां के राजाओं में भक्ति भाव और धर्म का भाव हमेशा रहा.
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