Bundi News: देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं 700 साल से अधिक पुरानी बूंदी की चित्र शैली, पर्यटकों का आती हैं खासा पसंद
Bundi News: राजस्थान (Rajasthan) की बूंदी (Bundi) चित्र शैली की बारीकियां देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इस चित्र शैली का एक महल बूंदी के तारागढ़ महल में स्थित है. जहां 700 साल से अधिक पुरानी चित्र शैली है. हर साल देश-विदेश के पर्यटक इस चित्र शैली को देखने के लिए आते हैं और अपने कैमरे में कैद कर अपने वतन में बूंदी चित्र शैली की तारीफ करते हैं. वो खूब चाव से यहां की चित्रकलाओं को निहारते हैं. बूंदी शैली में लाल, पीले रंगों की प्रचुरता, छोटा कद, प्रकृति का सतरंगी चित्रण विशेष रूप से है. लेकिन अब इस चित्र शैली के कुछ ही पेंटर बूंदी में बचे हैं. शहर के बालचंद पाड़ा इलाके में आधा दर्जन चित्रकार छोटी छोटी गुमटियों में इस पेंटिंग को बना रहे है. इन गुमटियों में रोज कई पर्यटक आते हैं और अपनी मनपसंद चित्र बनाकर ले जाते है.
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View In Appबूंदी चित्र शैली में सबसे ज्यादा दरबारी चित्रण देखने को मिलता है. चित्रों में आम दरबार, राज दरबार, दीवाने खास, राजतिलक, राजा की विशेष मंत्रणा, राजाओं के चित्र, नजर आते हैं. राज महल एवं हवेलियों में दरबार ऐतिहासिक चित्रों में राजसी वैभव दिखाई देता है. इतिहासकार अश्वनी शर्मा ने बताया की बूंदी के राजा राव उम्मेद सिंह ने इस चित्र शैली की नींव रखी थी. उन्होंने ने सभी तरह के चित्रों को बनाया उसके बाद अन्य राजाओं ने इस शैली को अपने हिसाब से चित्र बनाना शुरू कर दिया. जिस राजा के काल में जो दृश्य घटित होते थे उन्हें राजा इस शैली में बनवा देते थे.
बूंदी चित्र शैली में कई प्रकार की विशेषताएं है. जिसमें राग-रागिनी, बारहमासा, नायिका, रसिक प्रिया शामिल है. बूंदी के चित्रों में मुख्य रूप से नीले, हरे, काले और लाल रंगों का समावेश है.
तारागढ़ फोर्ट में बनी हुए चित्रों में रागमाला, राधा-कृष्ण, आमोद-प्रमोद, राज दरबार, कृष्ण लीलाएं, उफनती नदी, नायक, बुर्जनुमा महल, झरोखे में इंतजार करती नायिका, हाथियों की लड़ाई, गोवर्धन पर्वत उठाए श्रीकृष्ण, श्रीनाथजी, पेड़ों तले बांसुरी बजाते कृष्ण, नाचते मोर, रानियों की मनमोहक सूरतें, मेघ, खेलतीं रानियां, रूप निहारती सुंदरी, सूर्यदेव, युद्ध लड़ते राजा और घोड़े सहित कई प्रकार के चित्र शामिल हैं. जिन्हें देखकर पर्यटक काफी खुश होते है.
राजस्थान के 33 जिलों में बूंदी की चित्र शैली अपने आप में बहुरंगी संस्कृति का प्रतीक है. कई वर्ष पहले बूंदी के राजा बहादुर सिंह ने इस चित्र शैली को भारतीय पुरातत्व के अधीन कर दिया था. तब से इस चित्र शैली की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग ही कर रहा है. शहर बालचंद पाड़ा में स्थित तारागढ़ किले के ऊपरी हिस्से में इस चित्रशैली का महल बना हुआ है. गढ़ पैलेस के मैनेजर जेपी शर्मा ने बताया की चित्रशैली को देखने के लिए कोई शुल्क नहीं है.
भारतीय पुरात्तव विभाग ने इसे निःशुल्क पर्यटकों के लिए खोला हुआ है. सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कोई भी प्रवेश कर सकता है. हालांकि इसका मुख्य गेट तारागढ़ किले के अंदर से ही है. चित्रशैली देखने के बाद यदि महल देखना है तो शुल्क देना पड़ेगा.
राजाओं के जमाने से बनाई गई चित्र शैली राज दरबार बदलने के साथ ही और सजने संवरने लगी. कलाकार युगल प्रसाद ने बताया की राव बहादुर सिंह ने इस चित्र शैली को भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया था. इसके पीछे राव बहादुर सिंह की मंशा थी कि सरकार के अधीन होने के साथ ही इस चित्र शैली का मेंटेनेंस सरकारी स्तर पर होता रहेगा और इसकी देखरेख भी होगी.
लेकिन वर्तमान चित्रशैली की हालत ख़राब है. सरकार को चाहिए की इस विरासत को बचाने का काम सरकार करें. जब जैसे छोटे कलाकार इस चित्रशैली को जिन्दा रखे हुए है. हमारे लिए भी सरकार योजना बनाये ताकि हम कलाकारों का भी विकास हो सके.
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