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जानिए अलवर के Neemuchana गांव के उस नरसंहार के बारे में, जिसे महात्मा गांधी ने बताया था दूसरा जलियावाला बाग कांड

नीमूचाना कांड

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Alwar News: जलियावाला बाग की घटना के बारे में तो सभी ने कई बार सुना होगा, लेकिन आज हम आपको उस घटना के बारे में बताने दा रहे हैं जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगा. घटना अलवर के बानूसर के नीमूचाना गांव की है. जहां आज ही के दिन यानि 14 मई 1925 को गांव में चल रहे किसान आंदोलन की सभा में अलवर नरेश की सेना ने गालीबारी कर दी थी. जिसमें 250 किसानों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही राजा के सेना ने गांव में आग भी लगा दी थी. इस घटना को महात्मा गांधी ने दूसरा जलियांवाला कांड कहा था. क्या था पूरा मामला आइए जानते है........
Alwar News: जलियावाला बाग की घटना के बारे में तो सभी ने कई बार सुना होगा, लेकिन आज हम आपको उस घटना के बारे में बताने दा रहे हैं जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगा. घटना अलवर के बानूसर के नीमूचाना गांव की है. जहां आज ही के दिन यानि 14 मई 1925 को गांव में चल रहे किसान आंदोलन की सभा में अलवर नरेश की सेना ने गालीबारी कर दी थी. जिसमें 250 किसानों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही राजा के सेना ने गांव में आग भी लगा दी थी. इस घटना को महात्मा गांधी ने दूसरा जलियांवाला कांड कहा था. क्या था पूरा मामला आइए जानते है........
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दरअसल उस वक्त ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का 1857 की क्रांति को कुचलने में सहयोग करने वाले अलवर के तत्कालीन महाराजा ने अंग्रेजों से संधि और दोस्ती कर ली थी. जिसके बाद अंग्रेजो ने धीरे-धीरे अलवर राज्य की सत्ता पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. साथ ही  वो राजाओं से मनमाने टैक्स लगवाने लगे, जिसका असर हर वर्ग पर होने लगा.
दरअसल उस वक्त ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का 1857 की क्रांति को कुचलने में सहयोग करने वाले अलवर के तत्कालीन महाराजा ने अंग्रेजों से संधि और दोस्ती कर ली थी. जिसके बाद अंग्रेजो ने धीरे-धीरे अलवर राज्य की सत्ता पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. साथ ही वो राजाओं से मनमाने टैक्स लगवाने लगे, जिसका असर हर वर्ग पर होने लगा.
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अलवर रियासत में 1924 में भू बन्दोबस्त हुआ. इसमे लगान को दो गुना तक कर दिया था. साथ ही राजपूतों को जो लगान छूट में शामिल थे. उन्हें भी लगान देने के आदेश दिए गए और रजवाड़ो में छुटभैयाओं की भी हिस्सेदारी तय की गई.  हॉलांकि पहले राजपूतों को लगान नही देना पड़ता था. इन सब बातों को लेकर विद्रोह होना शुरू हो गया था.
अलवर रियासत में 1924 में भू बन्दोबस्त हुआ. इसमे लगान को दो गुना तक कर दिया था. साथ ही राजपूतों को जो लगान छूट में शामिल थे. उन्हें भी लगान देने के आदेश दिए गए और रजवाड़ो में छुटभैयाओं की भी हिस्सेदारी तय की गई. हॉलांकि पहले राजपूतों को लगान नही देना पड़ता था. इन सब बातों को लेकर विद्रोह होना शुरू हो गया था.
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इसी के चलते हजारों किसानों ने बानसूर के नीमूचाना में एक हवेली में सभा की. इसी सभा में महाराजा जय सिंह ने अपनी सेना भेजी. सेना ने हवेली पर घेराबंदी कर सभा में चारो तरफ से गोलियां बरसाई.  चारों तरफ लाशें ही लाशें थी.
इसी के चलते हजारों किसानों ने बानसूर के नीमूचाना में एक हवेली में सभा की. इसी सभा में महाराजा जय सिंह ने अपनी सेना भेजी. सेना ने हवेली पर घेराबंदी कर सभा में चारो तरफ से गोलियां बरसाई. चारों तरफ लाशें ही लाशें थी.
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इसमें 250 सौ किसानों की मौत हो गयी थी.  इतना ही नही सेना ने गांव में भी आग लगा दी थी.  250 किसानों के नरसंहार को महात्मा गांधी ने दूसरा जलियावाला बाग कांड करार दिया था.
इसमें 250 सौ किसानों की मौत हो गयी थी. इतना ही नही सेना ने गांव में भी आग लगा दी थी. 250 किसानों के नरसंहार को महात्मा गांधी ने दूसरा जलियावाला बाग कांड करार दिया था.
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घटना के 97 साल बाद भी आज गांव के लोगों की इस घटना को यादकर रूह कांप जाती है. बता दें कि उस हवेली पर गोलियों ओर तोपों के निशान आज भी मौजूद है.
घटना के 97 साल बाद भी आज गांव के लोगों की इस घटना को यादकर रूह कांप जाती है. बता दें कि उस हवेली पर गोलियों ओर तोपों के निशान आज भी मौजूद है.

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