In Pics: सर्दियों से पहले राजस्थान में विदेशी पक्षियों का आना शुरू, कुरजां पक्षी के पहले जत्थे ने डाला डेरा
सर्दियों की शुरुआत होते ही विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है. सर्दियों के दौरान 6 से 8 महीने तक पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करने वाले कुरजा सितंबर माह के पहले सप्ताह में ही पहुंचने लगे हैं.
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View In Appपश्चिमी राजस्थान में हालांकि अभी गर्मी का मौसम चल रहा है लेकिन इस साल अच्छी बारिश से तालाबों नदियों में पानी की आवक होने से यहां आस-पास की जमीन में नमी है जिसके चलते यहां आए कुरजा के पहले जत्थे ने अपना पड़ाव डाल दिया है.
पश्चिमी राजस्थान के मेहमान माने जाने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां का वजन दो से ढाई किलो का होता है. कुरजां पानी के आसपास खुले मैदान व समतल जमीन पर ही अपना अस्थायी डेरा डालकर रहते है.
इन पक्षियों का मुख्य भोजन मोतिया घास होती है. पानी के पास पैदा होने वाले कीड़े मकौड़े खाकर कुरजां अपना पेट भरती है. इस साल अच्छी बारिश से क्षेत्र में मतीरे की फसल होगी. यह भी कुरजां का पसंदीदा भोजन है.
साइबेरिया ब्लैक समुंदर से लेकर मंगोलिया तक फैले प्रदेश से हर साल हजारों कुरजा पक्षी झुंड में पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करते हैं. हिमालय की ऊंचाइयों को पार करते हुए सितंबर माह में आने वाली ऊर्जा मार्च अप्रैल महीने तक यहां ठहरती है.
जोधपुर फलोदी जैसलमेर वह पोकरण के कई ग्रामीण क्षेत्र जहां पर जलभराव है. वहां पर ये पक्षी पड़ाओ डालना शुरू कर चुके हैं. इस दौरान ऊर्जा को देखने के लिए कई शोध करने वाले भी यहां पहुंचते हैं.
पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दी के मौसम की शुरुआत से पूर्व कुरजां के अलग-अलग दल पश्चिमी राजस्थान में पहुंचते है. ये दल लगातार एक सप्ताह तक पड़ाव स्थलों के ऊपर उड़कर जांच पड़ताल करते है और उसके बाद अपना पड़ाव डालते है.
पिछले एक सप्ताह से आसमान में उड़ान भर रहे कुरजाओं के दो दल ने खेतोलाई व चाचा गांव के पास स्थित तालाबों पर अपना डेरा डाल दिया है. मंगलवार को सुबह इन तालाबों के पास व ऊपर आसमान में कुरजां का कलरव गूंजता सुनाई दिया.
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