Rajasthan Digital Village: एक ऐसा डिजिटल गांव जहां कोई बेरोजगार नहीं, महिलाएं घर बैठे दुनियाभर में बेच रहीं सामान, देखें तस्वीरें
अब गांव भी टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं. ऐसे देश में कई उदाहरण देखने को मिले हैं. लेकिन इसका जीता जागता एक ऐसा उदाहरण है. जैसे देखने वह जानने के बाद आपकी भी उत्सुकता बढ़ जाएगी. सरदारशहर तहसील का गांव उड़सर को हम डिजिटल गांव भी कहे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
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View In Appइस गांव के ग्रामीण जब अपना सामान अपने गांव की वेबसाइट के जरिए विदेशों तक बेच रहे हैं. ऑनलाइन बिक्री कर भेज रहे हैं. साथ ही अच्छे पैसे भी कमा रहे हैं. 450 घरों की आबादी वाला यह गांव इन्ह दिनों चर्चा का केंद्रीय बिंदु बन चुका हैं.
सरदारशहर तहसील का गांव उड़सर के धनपत सारण ने अपने क्षेत्र के लोगों को बेरोजगारी से बचाने के लिए स्वरोजगार के लिए की एक योजना तैयार की है. जिससे पूरा गाँव जुड़ चुका हैं. इस स्वरोजगार की मुहिम में कामकाजी घरेलू महिलाएं भी जुड़ रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन सामान बेचकर अच्छे पैसे भी कमा रही है.
महिलाओं के लिए खासतौर से सूखी सब्जियों केर, सांगरी, कुम्हठी, गवार फली, काचरे गाय का घी , गोबर से बने उपले सहित अन्य सामान ऑनलाइन वेबसाइड के जरिये बेच रही हैं. महिलाओं व छात्राओं के लिए फैशन डिजाइनिंग का भी क्षेत्र खुला है. जिसमें छात्राएं व महिलाएं सहयोग कर रही है.
देश में पंचायती राज व्यवस्था 1959 में लागू की गई थी. जिसका उद्देश्य यही था कि ग्रामीण खुद अर्थव्यवस्था की अपनी योजना बना सके. गांव में छोटे उद्योग कैसे बढ़ाये जाए रोजगार को गांव से कैसे जोड़ा जाए. गांव को विकसित कैसे किया जाए. पशुपालन को कैसे आगे बढ़ाए. कृषि से संबंधित जो प्लानिंग है. वो गांव के ग्रामीण खुद कैसे कर पाए. ग्रमीण हस्तशिल्प के माध्यम से ग्रामीण रोजगार पैदा कर सकें
यह मूल विचार जो पंचायती राज का था. वो अब कहीं ना कहीं लुफ्त हो रहा है. यही वजह है कि तेजी से ग्रामीण शहर की ओर पलायन कर रहे है. नतीजा यह हो रहा है कि हर और विकराल रूप में बढ़ती बेरोजगारी हर किसी की चिंता बढ़ा रही है. वहीं दूसरी ओर गांव उड़सर एक आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है. उडसर गांव के ग्रामीण आत्मनिर्भर होकर परेशानियों का समाधान देश को बता रहे हैं.
दरअसल ग्राम पंचायत उडासर के लोगों ने अपने गांव पंचायत उडसर के नाम से एक ऑनलाइन वेबसाइट शुरू की है. इस ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए ग्रामीण अपने गांव में ही बने सामानों को ऑनलाइन बेच रहे हैं. जिससे न सिर्फ गांव के लोगों को रोजगार मिल रहा है. बल्कि गांव के लोग आत्मनिर्भर पर बन रहे हैं.
घरेलू महिलाओं को लोन देकर गोवंश बढ़ाने के साथ गोवंश से मिलने वाले उत्पाद का गौशाला में धूपबत्ती बनाना गाय के गोबर से बनी मूर्तियां खाद उपले सहित कई प्रकार के सामान उपलब्ध है. ग्रामीण कारीगरों के द्वारा बनाई गई चारपाई पीढ़े कुर्सियां टेबल सहित कई अन्य सामान शामिल है.
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