In Pics: राजस्थान की टेंपल सिटी पुष्कर में बनेगा प्रदेश का पहला सैंड आर्ट पार्क, जानिए- क्या होगा इसमें खास
धोरों की धरती राजस्थान में जल्द ही रेत से बनी कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने सैंड आर्ट (रेत कला) को बढ़ावा देने और देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से प्रदेश में सैंड आर्ट पार्क बनाने का फैसला किया है. प्रदेश का पहला सैंड आर्ट पार्क विश्व विख्यात टेंपल सिटी पुष्कर में बनेगा. इसके लिए राजस्थान सरकार के निर्देश पर अजमेर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है.
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View In Appअजमेर जिला कलेक्टर अंश दीप ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि पुष्कर में अजय रावत एक बेहतरीन सैंड आर्टिस्ट हैं. इनकी रेत कलाओं को देखकर सरकार ने पुष्कर में सैंड आर्ट पार्क बनाने का फैसला किया है. रेत कला को बढ़ावा देने के लिए सैंड आर्ट पार्क डवलप करने का काम शुरू हो गया है. अजमेर विकास प्राधिकरण ने स्थान चयनित कर जमीन आवंटित कर दी है. जल्द ही इसका शुभारंभ किया जाएगा. यह राजस्थान का पहला सैंड आर्ट पार्क होगा.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2022-23 के बजट में पुष्कर के सैंड आर्टिस्ट अजय रावत की कला से प्रभावित होकर जमीन आवंटन के आदेश दिए थे, ताकि देश-विदेश के सैंड आर्टिस्ट को कला दिखाने और लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने का अवसर मिले. जिला प्रशासन की ओर से जमीन आवंटन करने के बाद भूमि समतलीकरण कर रेत के छोटे टीबे बनाए जा रहे हैं. अब तारबंदी करवाई जाएगी. सैंड आर्ट को बारिश से बचाने के लिए ऊपर वाटर प्रूफ टेंट लगाया जाएगा. माना जा रहा है कि आगामी 25 जुलाई से 30 जुलाई के बीच इसका उद्घाटन किया जाएगा. इससे लोक कलाकारों को कला दिखाने और पर्यटकों को सैर-सपाटे का अवसर मिलेगा.
सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि सीएम अशोक गहलोत ने सैंड आर्ट पार्क की घोषण कर रेत कलाकारों को प्रोत्साहन दिया है. इससे लोक कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर मिलेगा. साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को भी कुछ नया देखने को मिलेगा. रावत ने बताया कि सैंड आर्ट पार्क में रेत की 10 कलाकृतियां स्थायी होंगी. पांच कलाकृतियां इवेंट, फेस्टिवल और दिन विशेष के अनुसार रोटेशन में बदलती रहेगी. पार्क में पर्यटकों और कलाकारों का प्रवेश नि:शुल्क रहेगा.
अजय रावत ने बताया कि लोक संस्कृति व शूरवीरों की 10 स्थायी कलाकृतियां 15 से 20 फीट ऊंची होगी. इनमें मेवाड़ के गौरव महाराणा प्रताप, अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान, हाड़ी रानी, दानवीर भामाशाह, पर्यावरण आंदोलन की प्रणेता अमृता विश्नोई, हवामहल, रायका ऊंट, दो लोक देवता व अन्य कृतियां शामिल होंगी. इन कलाकृतियों के निर्माण में सहयोग के लिए उड़ीसा से सैंड आर्टिस्ट वल्लभ महापात्रा और कोलकाता से सुजीत मंडल पुष्कर आएंगे.
जगतपिता ब्रह्मा मंदिर और पवित्र सरोवर के कारण पुष्कर की पहचान पूरी दुनिया में है. इसे तीर्थ गुरु भी कहा जाता है. यहां हर साल कार्तिक माह में विश्व प्रसिद्ध पशु मेला आयोजन होता है. इसमें हजारों सैलानी देश-विदेश से आते हैं. मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु पवित्र पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाकर पंचतीर्थ स्नान करते हैं. फोटोग्राफी में खास रूचि रखने वाले दुनियाभर के फोटोग्राफर भी इस मेले में शामिल होते हैं.
भारत की रेत कलाकृतियों की पहचान वैश्विक है. मास्को में आयोजित हुई विश्व प्रतियोगिता में भारत के मशहूर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने भाग लेकर स्वर्ण पदक जीता था. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रेत कला की तारीफ कर चुके हैं. सुदर्शन पटनायक ने वर्ष 2015 में जीसस क्राइस्ट की 35 फीट चौड़ी व 75 फीट ऊंची रेत कलाकृति बनाई थी, जिसके लिए उन्होंने 1000 टन रेत का इस्तेमाल किया था. इसे दुनियाभर में जीसस की अब तक की सबसे बड़ी रेत कलाकृति कहा जाता है.
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