IN Pics: भोलेनाथ को नहीं लगती सर्दी! मंदिर में सभी देवी-देवताओं को पहनाएं गए गर्म कपड़े
जोधपुर शहर के नामी मंदिरों से लेकर लोगों के घर के मंदिर में भी देवी देवताओं के श्रंगार वस्त्र मौसम के अनुकूल हो गये है. कोई ऊनी कपड़े पहनना रहा है. तो कोई वेलवेट से सिले गर्म कपड़े पहना रहा है. कोई भगवान को रजाई उड़ा रहा है. तो कोई कंबल किसी-किसी मंदिर में गर्भगृह में हीटर और ब्लोअर की व्यवस्था भी की गई है.
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View In Appजोधपुर के प्राचीन अचलनाथ महादेव मंदिर , पंचमुखी बालाजी मंदिर, घनश्याम जी मंदिर, कुंज बिहारी जी मंदिर, राजगोपाल मंदिर, नरसिंह भगवान मंदिर सहित अन्य मंदिरों में सर्दी की शुरुआत होते ही ऊनी कपड़ों का श्रृंगार के साथ ही भोग भी मौसम के अनुकूल दिया जाता है. इस सर्दी के मौसम में गर्म खाद्य सामग्री के अलावा बादाम, पिस्ता, काजू, गुड़ आदि का भोग लगाया जा रहा है. साबूदाना खिचड़ी और कुट्टू के आटे की पूरी का भोग लगाया जा रहा है.
अचलनाथ महादेव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित सभी देवी देवताओं व नवग्रह देवताओं की प्रतिमा को ठंड से बचने के लिए. ऊनी कपड़ों की शॉल व वेलवेट के कंबल उड़ाई जा रहे हैं. खास बात यह है कि इस मंदिर में नवग्रह देवता भी विराजित है. उन्हें भी गर्म कंबल उड़ाई गई है. मंदिर परिसर में सभी देवी देवताओं को गर्म शॉल व कंबल से सर्दी का बचाव किया जा रहा है.
मंदिर के पुजारी कैलाश नाथ ने बताया कि भगवान भोलेनाथ के अलावा सभी देवी देवताओं को सर्दी लगती है. भोलेनाथ ने वैसे ही अपना स्थान कैलाश पर्वत को चुना है. तो उन्हें सर्दी नहीं लगती है. बाकी सभी देवी देवताओं को सर्दी से बचने के लिए ऊनी गर्म वस्त्र उड़ाए जा रहे हैं.
जोधपुर के पंचमुखी बालाजी मंदिर के पुजारी संजय जी ने बताया कि आमतौर पर हर भक्त अपने आराध्य के प्रति ऐसी सोच रखता है कि जैसे उन्हें सर्दी लगती है. तो उनके आराध्य देव को भी सर्दी लगती है.
जैसे उन्हको गर्मी लगती है. तो उनके आराध्य देव को भी गर्मी लगती है. इसी तरह से पंचमुखी बालाजी मंदिर में हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की प्रतिमा को ऊनि कंबल ओढाई गई है.
पंडित जी ने बताया कि मंदिरों में मौसम के अनुकूल देवी देवताओं को वस्त्र पहनाया जाता है. भोग की व्यवस्था भी मौसम के अनुसार ही की जाती है.
माधव विलास स्थित राजगोपाल मंदिर के पंडित पंकज दाधीच ने बताया कि भगवान को सुबह बादाम, काजू, और पिस्ता डालकर गर्म दूध का भोग लगाया जाता है.
दोपहर में मेवे और गोंद से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. सर्दी के दिनों में गर्म ऊनी कपड़े व ड्राई फ्रूट्स के भोग लगाया जाता है.
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