Sheetla Mata Temple: राजस्थान के मां शीतला मंदिर में रखा है चमत्कारी घड़ा, कितना भी पानी डालो कभी नहीं भरता
Sheetla Mata Temple: भारत के तमाम हिस्सों में प्राचीन मंदिरों, मठों और धार्मिक स्थलों की एक बड़ी संख्या है. राजस्थान की बात करें तो इस राज्य में ऐतिहासिक इमारतों की इतनी बड़ी संख्या है कि शायद ही किसी दूसरी जगह पर हो. आज हम राजस्थान (Rajasthan) में मौजूद एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताएंगे जिसे ना सिर्फ चमत्कारिक माना जाता है बल्कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं. बात कर रहे हैं राजस्थान में जयपुर के पास पाली में मौजूद मां शीतला देवी के मंदिर (Sheetla Mata Temple) की.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appकरीब 8 सदी पुराने इस मंदिर को लेकर भक्तों में बहुत ज्यादा मान्यता है. यहां एक भूमिगत घड़े पर रखा पत्थर साल में सिर्फ दो बार निकाला जाता है. इन्हीं दोनों मौकों पर मंदिर में बड़े मेले का भी आयोजन होता है. कहा जाता है कि ये घड़ा चमत्कारिक है और इसमें कितना भी पानी डालो ये घड़ा नहीं भरता लेकिन जैसे ही इसमें दूध डाला जाता है तो ये भर जाता है. इस चमत्कारिक घड़े को हमेशा ढककर रखा जाता है.
कहानियों की मानें तो इस घड़े में जब भी पानी भरा जाता है तो ये सारा पानी एक असुर पी जाता है. इसलिए इस घड़े को कभी भरा ही नहीं जा सका. माता के मंदिर में ये घड़ा सदियों से रखा हुआ है और कई बार कोशिश के बावजूद कभी भी इसे पानी से नहीं भरा जा सका है.
हालांकि शीतला सप्तमी के मौके पर जब इस घड़े के ऊपर रखा पत्थर हटाया जाता है तो इसमें कलशों से भरकर पानी डाला जाता है लेकिन ये नहीं भरता. लेकिन जैसे ही माता के चरणों से लगाकर इस घड़े में दूध का भोग लगाया जाता है तो ये घड़ा पूरा भर जाता है. कई रिसर्च के बावजूद इस घड़े का रहस्य नहीं जाना जा सका है.
कहानियां हैं कि आठ सदी पहले इस इलाके में बाबरा नाम के एक असुर का आतंक था. वो हर शादी में दूल्हे की हत्या कर देता था. गांववालों ने मां शीतला से राक्षस से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई तो मां ने एक ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि असुर का वध किसी बेटी के विवाह के दिन ही होगा. इसके बाद एक शादी में असुर फिर आया तो वहां मां ने असुर को अपने घुटने के नीचे दबोच लिया. मां की शक्ति के आगे हारकर असुर ने उसे पाताल में भेजने की गुहार लगाई. जिसके बाद असुर ने प्यासा होने की बात कही और पानी मांगा जिसके बाद से ही घड़े में जल डालने की पंरपरा की शुरुआत हुई.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -