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In Pics: मेवाड़ फेस्टिवल के पहले दिन निकली गणगौर की शाही सवारी, हजारों की संख्या में पिछोला लेक पहुंचे लोग
उदयपुर के पिछोला झील के गणगौर घाट पर धूमधाम से गणगौर फेस्टिवल मानाया गया. यहां भगवान शिव-पार्वती की पूजा के बाद उन्हें पानी पिलाने के लिए पिछोला झील लाया जाता है.
![उदयपुर के पिछोला झील के गणगौर घाट पर धूमधाम से गणगौर फेस्टिवल मानाया गया. यहां भगवान शिव-पार्वती की पूजा के बाद उन्हें पानी पिलाने के लिए पिछोला झील लाया जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/1e2d4458939e66ff479347eefaf662a21679710776602489_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
उदयपुर में मनाया गया गणगौर फेस्टिवल.
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![झीलों की नगरी उदयपुर में 24 मार्च से मेवाड़ फेस्टिवल की शुरुआत हुई है. इसमें पहले दिन गणगौर पूजा हुई. गणगौर तो राजस्थान के कई हिस्सों में होती है, लेकिन उदयपुर के गणगौर की बात और अंदाज अलग है. यहां वर्षों से शाही सवारी निकलती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/091242b1b892869e4ccd92ca89a1d1731a3b9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
झीलों की नगरी उदयपुर में 24 मार्च से मेवाड़ फेस्टिवल की शुरुआत हुई है. इसमें पहले दिन गणगौर पूजा हुई. गणगौर तो राजस्थान के कई हिस्सों में होती है, लेकिन उदयपुर के गणगौर की बात और अंदाज अलग है. यहां वर्षों से शाही सवारी निकलती है.
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![वहीं इस गणगौर त्योहार को देखने के लिए देशी, विदेशी और स्थानीय लोग हजारों की संख्या में गणगौर घाट पहुंचे. कार्यक्रम 4 बजे शुरू हुआ जो रात 10 बजे बजे तक चलता रहा. इसमें गणगौर फेस्टिवल, शाही सवारी और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/3305d01ac31b14672897ccfe273722701f08b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वहीं इस गणगौर त्योहार को देखने के लिए देशी, विदेशी और स्थानीय लोग हजारों की संख्या में गणगौर घाट पहुंचे. कार्यक्रम 4 बजे शुरू हुआ जो रात 10 बजे बजे तक चलता रहा. इसमें गणगौर फेस्टिवल, शाही सवारी और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए.
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![गणगौर फेस्टिवल उदयपुर शहर की पिछोला झील के गणगौर घाट पर मनाया जाता है. 16 दिन से भगवान शिव-पार्वती के रूप गणगौर की पूजा शुरू हो जाती है. इसके बाद कल के दिन ईसर पूजा के लिए या कहे पानी पिलाने के लिए पिछोला झील लाया जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/87a47c25dd72c42138626d9eb5ac98bc2b012.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गणगौर फेस्टिवल उदयपुर शहर की पिछोला झील के गणगौर घाट पर मनाया जाता है. 16 दिन से भगवान शिव-पार्वती के रूप गणगौर की पूजा शुरू हो जाती है. इसके बाद कल के दिन ईसर पूजा के लिए या कहे पानी पिलाने के लिए पिछोला झील लाया जाता है.
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![इसमें यात्रा निकलती है जिसकी शुरुआत शहर के घंटाघर चौराहे से होती है. यहां से महिलाएं गणगौर अपने सिर पर उठाकर लाती है. महिलाएं भी श्रृंगार करती है और गणगौर का भी श्रृंगार होता है. इसके बाद गणगौर को गणगौर घाट पर लेकर आती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/2269ae494b78960ca600f05b1c2e5148e2f29.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसमें यात्रा निकलती है जिसकी शुरुआत शहर के घंटाघर चौराहे से होती है. यहां से महिलाएं गणगौर अपने सिर पर उठाकर लाती है. महिलाएं भी श्रृंगार करती है और गणगौर का भी श्रृंगार होता है. इसके बाद गणगौर को गणगौर घाट पर लेकर आती है.
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![यह कार्यक्रम करीब दो घंटे का होता है. 4 बजे से महिलाएं गणगौर को लेकर आना शुरू हुई, फिर करीब 6 बजे शाही सवारी, शाही नाव में निकलनी शुरू हुई. शाही सवारी पिछोला झील के बंसी घाट से शुरू हुई जो गणगौर घाट तक आई. यहां से फिर बंसी घाट पर पहुंची.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/a6d1857c4038768a3d20771f68ee9c14e70bf.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
यह कार्यक्रम करीब दो घंटे का होता है. 4 बजे से महिलाएं गणगौर को लेकर आना शुरू हुई, फिर करीब 6 बजे शाही सवारी, शाही नाव में निकलनी शुरू हुई. शाही सवारी पिछोला झील के बंसी घाट से शुरू हुई जो गणगौर घाट तक आई. यहां से फिर बंसी घाट पर पहुंची.
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![इस बीच करीब एक घंटे का समय लगा. शाही नाव में राज परिवार से नियुक्त प्रतिनिधि बैठे. एक तरह गणगौर के साथ सजधज कर महिलाएं बैठी थी तो दूसरी तरफ राजपुताना अंदाज में तलवार हाथ मे लेकर पुरुष बैठे थे. शाही सवारी के साथ में छोटी नाव में कलाकर नृत्य करते हुए निकल रहे थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/34ce8ae16edca3c31e2859cbe8e600ac5ec42.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस बीच करीब एक घंटे का समय लगा. शाही नाव में राज परिवार से नियुक्त प्रतिनिधि बैठे. एक तरह गणगौर के साथ सजधज कर महिलाएं बैठी थी तो दूसरी तरफ राजपुताना अंदाज में तलवार हाथ मे लेकर पुरुष बैठे थे. शाही सवारी के साथ में छोटी नाव में कलाकर नृत्य करते हुए निकल रहे थे.
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![गणगौर के बाद में पर्यटन विभाग की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें कलाकारों ने प्रदर्शन दिया. वहीं कार्यक्रम के बाद आतिशबाजी भी हुई. अब 25 मार्च को भी विशेष कार्यक्रम होगा. इसमें विदेश पर्यटक राजस्थानी पौषक में डांस करेंगे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/25/5d01174bdade17ffddb9c877de3a01b0bb94e.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गणगौर के बाद में पर्यटन विभाग की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें कलाकारों ने प्रदर्शन दिया. वहीं कार्यक्रम के बाद आतिशबाजी भी हुई. अब 25 मार्च को भी विशेष कार्यक्रम होगा. इसमें विदेश पर्यटक राजस्थानी पौषक में डांस करेंगे.
Published at : 25 Mar 2023 07:57 AM (IST)
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