Udaipur Sultan Baori Pics: 305 साल पुरानी बावड़ी बन गई थी कचरा पात्र, अब युवाओं की मेहनत ने बदला स्वरूप, पीएम मोदी ने 'मन की बात' में किया जिक्र
कहते हैं ना देश के युवा एक बार मन में कुछ करने की ठान ले तो हर काम संभव हो जाता है. ऐसा ही उदाहरण उदयपुर के युवाओं ने पेश किया है. यहीं नहीं इसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. युवाओं ने उदयपुर की 305 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर सुल्तान बावड़ी जो कचरा पात्र बन गई थी, उसे गंगाजल से पवित्र और साफ बना दिया है.
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View In Appआर्किटेक्ट सुनील लोढ़ा ने बताया कि एक दिन ऐसे ही घूमते हुए बेदला की सुल्तान बावड़ी तक पहुंच गया. जब इस बावड़ी को देखा तो चौंक गया, क्योंकि एक आर्किटेक्ट की नजर से देखते हैं तो इसकी बनावट इतनी खूबसूरत है कि कोई कल्पना नहीं कर सकता लेकिन गंदगी से पूरी तरह अटी पड़ी थी. मन में सोच आई कि क्यों ना इससे संवारा जाए.
इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों को मैसेज किया तो लोग जुड़ते चले गए. सरपंच से बात की तो उन्होंने भी साथ दिया. कचरा होने से पानी जहरीला हो गया था, जगह-जगह झाड़ियां उगी हुईं थी. 9 माह तक सभी ने मेहनत की और फिर गंगाजल डाला, पुजा भी की. अब सभी इस पानी को गंगाजल ही मानते हैं.
बड़ी बात यह है कि रविवार को मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदयपुर के युवकों की सराहना करते हुए धरोहर को जिंदा रखने की नजीर बताया. यह बावड़ी उदयपुर शहर के बेदला क्षेत्र में हैं.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि उदयपुर की सैंकड़ों साल पुरानी एक बावड़ी है, सुल्तान की बावड़ी. इसे राव सुल्तान सिंह ने बनवाया था, लेकिन उपेक्षा के कारण धीरे- धीरे यह जगह वीरान होती गई और फिर कूड़े-कचरे के ढेर में तब्दील हो गई.
पीएम मोदी ने मन की बात में आगे कहा कि एक दिन कुछ युवा इस सुल्तान की बावड़ी पर पहुंचे और इसकी स्थिति देखकर दुखी हुए. इसके बाद उन्होंने उसी क्षण इस बावड़ी की तकदीर और तस्वीर बदलने का संकल्प लिया. इसके बाद एक मिशन के तहत इस काम को पूरा किया है. धरोहर बचाने की एक नजीर पेश की है और इसका श्रेय आर्किटेक्ट सुनील लोढा को जाता है.
उदयपुर शहर से करीब दस किलोमीटर दूर बेदला गांव में सैकड़ों साल पहले तत्कालीन शासक राव सुल्तान सिंह ने एक बावड़ी का निर्माण किया था, जो रख-रखाव के बगैर निर्जन होकर खंडहर में तब्दील होती नजर आ रही थी.
इस बावड़ी पर कभी-कभी भी लोग नहीं जाया करते थे. बावड़ी की दीवारों और चारों ओर खरपतवार उग चुका था और बावड़ी का पानी केमिकल की तरह हो गया था, लेकिन अब युवाओं की मेहनत से अब ये बावड़ी बिल्कुल साफ हो गई है.
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