In Pics: कोटा में बॉयोगैस प्लांट बनकर तैयार, यहां बसाई जा रही एशिया की सबसे बड़ी ग्रीन कॉलोनी, देखें तस्वीरें
कोटा की देवनारायण योजना लगातार इतिहास रच रही है, यह देश की अनुठी योजना है, जहां कोटा शहर के पशुपालकों को रखा जाएगा और शहर को केटल फ्री बनाया जा रहा है. इसी क्रम में यहां अब बायो गैस प्लांट भी चर्चा का विषय बना हुआ है. देवनारायण योजना के 700 मकानों में अक्टूबर से पाइप लाइन से नेचुरल गैस की सप्लाई शुरू हो जाएगी.
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View In Appयोजना में बना बॉयोगैस प्लांट 15 अक्टूबर को चालू हो जाएगा. इसकी तैयारियां अंतिम दौर में हैं. गैस का बिल 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आएगा. प्लांट में हर दिन 3 हजार किलो गैस बन सकेगी, जहां से करीब 2500 किलो गैस आरएसईएल व गेल को सप्लाई की जाएगी. प्लांट का उद्घाटन करने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा आने की संभावना है.
यूआईटी इस कॉलोनी को ग्रीन सिटी बनाने की तैयारी कर रही है. दावा है कि यह एशिया की सबसे बड़ी ग्रीन कॉलोनी होगी. इसमें करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपए से पौधा रोपण किया जाएगा. इससे पूरी कॉलोनी हरी-भरी हो जाएगी. बॉयोगैस प्लांट के को-ऑर्डिनेटर महेंद्र गर्ग ने बताया कि प्लांट में गैस बनाने के लिए दो टैंक बनाए जाने थे. इसमें से एक टैंक तो पहले बन गया था और उसकी ट्रॉयल भी हो गई. दूसरे टैंक का काम 90 फीसदी पूरा हो गया है. प्लांट करीब 30 करोड़ की लागत से बना है.
कॉलोनी में करीब 700 परिवार बसाए गए हैं. इनके लिए गैस की पाइप लाइन बिछा दी गई है. घरों तक लाइन डालने का काम भी शुरू हो गया है. 15 से 20 दिन में यह काम पूरा हो जाएगा. वहीं प्रोम खाद बनाने की मशीन फीट हो चुकी है. उसकी टेस्टिंग की जा रही है. वहीं गैस प्यूरीफायर का प्लांट भी लग चुका है. उसकी भी टेस्टिंग की जा रही है. घरों में गैस की सप्लाई शुरू होने के साथ ही यह एशिया की सबसे पहली ग्रीन कॉलोनी होगी, जहां नेचुरल गैस से घरों में पाइप लाइन से सप्लाई होगी. प्लांट से रोज 21 टन प्रोम खाद व 1 लाख क्विंटल लिक्विड खाद का उत्पादन भी होगा.
गर्ग ने बताया कि इस प्लांट 150 टन गौबर से 300 किलो गैस बनाई जाएगी. इसके साथ ही जो गोबर बचेगा उससे खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा, जिससे जहां जमीन की उर्वरक क्षमता बढेगी वहीं पानी जमीन में पहुंचेगा, उन्होंने कहा कि जहां डीएपी 28 रुपए प्रतिकिलो है वहीं ये खाद किसान को 10 रुपए किलो में मिलेगी और ये रासायनिक नहीं होकर जैविक होगी, जिसका मानव स्वास्थ्य पर भी कोई विपरी प्रभाव नहीं होगा.
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