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IN PICS: गांव में थी पानी की कमी, 300 मटकों से 50 हजार पौधों में डाल दी जान, तस्वीरों में देखें देसी जुगाड़
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(राजसमंद के नमाणा गांव में पानी की कमी)
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![Rajasthan Water Crisis: राजस्थान में भीषण गर्मी के चलते कई गांवों में पीने ज़के पानी की दिक्कतें आ रही है. कई किलोमीटर दूर जाकर महिलाएं पानी लाती हैं. ऐसा ही हाल राजसमन्द (Rajsamand News) जिले के नमाणा गांव में थे लेकिन यहां लोगों के पीने के पानी की समस्या को तो दूर किया ही, साथ ही हजारों पौधों को भी जिंदा रखा है. यहां की सरपंच और लोगों ने बून्द-बून्द सिंचाई की देशी तकनीक अपनाई है. उन्होंने 300 पुराने मटकों से बून्द-बून्द सिंचाई कर 50 हजार पौधों में जान डाल दी है. यही नहीं लाखों रुपए की आय भी प्राप्त की है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/13/2a57377c10f301cab70eb30c6da9d626c109a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
Rajasthan Water Crisis: राजस्थान में भीषण गर्मी के चलते कई गांवों में पीने ज़के पानी की दिक्कतें आ रही है. कई किलोमीटर दूर जाकर महिलाएं पानी लाती हैं. ऐसा ही हाल राजसमन्द (Rajsamand News) जिले के नमाणा गांव में थे लेकिन यहां लोगों के पीने के पानी की समस्या को तो दूर किया ही, साथ ही हजारों पौधों को भी जिंदा रखा है. यहां की सरपंच और लोगों ने बून्द-बून्द सिंचाई की देशी तकनीक अपनाई है. उन्होंने 300 पुराने मटकों से बून्द-बून्द सिंचाई कर 50 हजार पौधों में जान डाल दी है. यही नहीं लाखों रुपए की आय भी प्राप्त की है.
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![महिला सरपंच चंद्र कुंवर ने बताया कि वर्ष 2020 में जिला परिषद की तरफ से गांव को एक नर्सरी संचालन करने के लिए योजना से जोड़ा था. गांव में गर्मी के समय पानी की समस्या रहती थी. लोगों के तो जैसे-तैसे पीने के पानी की व्यवस्था हो जाती थी लेकिन नर्सरी के पौधों की दिक्कत आ रही थी. पहली बार 50 बीघा जमीन में 50 हजार पौधे लगाए थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/13/765e705f91e065a4a3e732c3d5ccbcf2a4700.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
महिला सरपंच चंद्र कुंवर ने बताया कि वर्ष 2020 में जिला परिषद की तरफ से गांव को एक नर्सरी संचालन करने के लिए योजना से जोड़ा था. गांव में गर्मी के समय पानी की समस्या रहती थी. लोगों के तो जैसे-तैसे पीने के पानी की व्यवस्था हो जाती थी लेकिन नर्सरी के पौधों की दिक्कत आ रही थी. पहली बार 50 बीघा जमीन में 50 हजार पौधे लगाए थे.
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![पौधों को पानी पिलाने के लिए हर दिन 8-10 टैंकर पानी की जरूरत पड़ती थी. साथ ही नर्सरी के लिए 100 नरेगा श्रमिक काम कर रहे थे. बून्द-बून्द सिंचाई से पानी-श्रमिक कम हुए और आय प्राप्त की.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/13/97f91ed412f925819980e76d45ee9248b4270.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पौधों को पानी पिलाने के लिए हर दिन 8-10 टैंकर पानी की जरूरत पड़ती थी. साथ ही नर्सरी के लिए 100 नरेगा श्रमिक काम कर रहे थे. बून्द-बून्द सिंचाई से पानी-श्रमिक कम हुए और आय प्राप्त की.
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![मनरेगा श्रमिक जगदीश रेगर ने बताया कि पानी कम से कम इस्तेमाल हो और पौधे अच्छे चले इसके लिए बून्द-बून्द सिंचाई पद्धति के बारे में सोचा. लेकिन ड्रिप लगाने में काफी खर्चा आ रहे थे. फिर मनरेगा श्रमिकों से उनके घर पर पड़े पुराने 300 मटके मंगवाएं जो काम नहीं आ रही थी. मटकों के निचले हिस्से में छेद किया और रस्सी बांधी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/13/dd122ed293bd0fac2e1a4b978c5bc5cf28d44.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
मनरेगा श्रमिक जगदीश रेगर ने बताया कि पानी कम से कम इस्तेमाल हो और पौधे अच्छे चले इसके लिए बून्द-बून्द सिंचाई पद्धति के बारे में सोचा. लेकिन ड्रिप लगाने में काफी खर्चा आ रहे थे. फिर मनरेगा श्रमिकों से उनके घर पर पड़े पुराने 300 मटके मंगवाएं जो काम नहीं आ रही थी. मटकों के निचले हिस्से में छेद किया और रस्सी बांधी.
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![इसके बाद पौधों के पास रख दिया. इससे हुआ यह कि पौधे अच्छे चले. जहां 100 श्रमिक लगाने पड़ रहे थे वहां 25 से काम चल रहा है. साथ ही एक टैंकर पानी में ही 50 हजार पौधे चले. इन्हें बेचने से पंचायत की तीन लाख रुपये की आय हुई.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/13/952d01393831aa84dd8d9778cfa8c93a4912f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसके बाद पौधों के पास रख दिया. इससे हुआ यह कि पौधे अच्छे चले. जहां 100 श्रमिक लगाने पड़ रहे थे वहां 25 से काम चल रहा है. साथ ही एक टैंकर पानी में ही 50 हजार पौधे चले. इन्हें बेचने से पंचायत की तीन लाख रुपये की आय हुई.
Published at : 13 Jun 2022 11:33 AM (IST)
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
Opinion