In Pics: सावन में और सुंदर दिखता है राजस्थान का भीमलत का झरना, जानें- क्या हैं इसकी मान्यता और खास बातें
राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में एक बेहद ही खूबसूरत प्राकृतिक झरना है, जिसका नाम भीमलत (Bhimlat) है. झरने का सबसे मनोहर दृश्य इस का पानी है, जो ऊंचाई से एक कुंड में गिरकर आगे बढ़ जाता है. भीमलत झरना बरसात के मौसम में बहुत अधिक आकर्षित होता है और पर्यटकों को खूब लुभाता है. भीमलत झरना राजस्थान के पर्यटक स्थलों में से एक है. भीमलत वॉटरफॉल बूंदी जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बूंदी जिले की सीमा पर स्थित इस खूबसूरत प्राकृतिक झरने की ऊंचाई लगभग 60 मीटर है.
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View In Appझरना बरसात के मौसम में अत्यंत आकर्षक होता है और पर्यटकों को लुभाता है. भीमलत झरने के आसपास हरी-भरी झाड़ियों के नीचे से इसके विशाल और दिव्य स्वरूप को देख सकते हैं. बारिश के दौरान यहां आस-पास झरने बहते हैं, जो सुंदरता का अहसास कराते हैं. सावन में यहां सुरभ्य वातावरण हो जाता है. प्राकृतिक और समृद्ध वन संपदा से भरपूर प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक भीमलत को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है. यहां झरने के आस-पास रेलिंग और पर्यटकों के लिए बेंच लगाई गई है.
भीमलत झरने के समीप ही प्राचीन भीमतल महादेव का मंदिर स्थित है. यह मंदिर जमीन से कुछ नीचे स्थित है और वहां तक सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है. इस मंदिर की खासियत यहां अनवरत रूप से शिव का अभिषेक होना है. दरअसल, इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव यहां अज्ञातवास के दौरान आए थे. इस दौरान पीने के पानी का इंतजाम करने के लिए भीम ने अपने पैर को जमीन पर मारा तो वहां जलधारा फूट पड़ी. यह जलधारा आज भी बह रही है. इसी वजह से इस स्थान को भीमतल कहा जाता है.
भीमलत झरने की ऊंचाई 150 फीट और क्षेत्रफल में 6 किमी की विशालता अपने आप में रोमांचित करने वाला है. महादेव के शिवलिंग की खास बात यह है कि यह चट्टानों से उतरा हुआ है और कभी भी शिवलिंग सूखा नहीं रहता. पहाड़ों से पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है और अभिषेक होता रहता है. हरी भरी वादियों के बीचो बीच अरावली पर्वत माला की सरंचना मानो खुद भोलेनाथ की प्रतिमा का श्रृंगार कर रही हो.
ऐसा बताया जाता है कि भीमलत महादेव और झरने के नाम के पीछे एक अनोखी कहानी है. भीमलत यानी भीम द्वारा लात मारना. पुरानी मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में भीम अपनी सेना के साथ यहां से निकला था. तभी उसने अपनी लात मारी थी, जिससे बड़ा विशाल गड्ढा हो गया था, जिसमें आज विशाल झरना गिरता है. झरने के ऊपर भीमलत बांध बना हुआ है. बांध ओवरफ्लो होने के साथ ही भीमलत झरना तेजी से उफान पर होता है. यह झरना पूरे साल भर तक इसी तरह मनमोहक दृश्य के रूप में बहता रहता है. सावन महीने में बड़ी तादाद में यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लोग पहुंचते हैं और इस प्राकृतिक झरने का लोग आनंद भी लेते हैं. यहां कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ सहित भीलवाड़ा जिले के आस-पास के लोग बड़ी संख्या में आते हैं.
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