In Pics: जयपुर में सजा पत्थरों का बाजार, ग्रेनाइट से लेकर जेम स्टोन की जबरदस्त प्रदर्शनी
राजधानी जयपुर में पत्थरों का अनूठा संसार सजा है. राजमहलों से लेकर ताजमहल की शोभा बढ़ाने वाला संगमरमर (मार्बल) हो या ग्रेनाइट या फिर जेम स्टोन. राजस्थान की धरती में पाए जाने वाले सभी पत्थर इस प्रदर्शनी में शामिल हैं. इसके साथ ही कई मुंह बोलती कलाकृतियां भी यहां प्रदर्शित की गई हैं. दरअसल, यह नजारा है सीतापुरा स्थित JECC में शुरू हुए इंडिया स्टोन मार्ट का.
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View In App13 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम का आगाज आज गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया. उन्होंने कहा कि 22 साल पहले यह आयोजन शुरू किया गया था. कोरोना के कारण दो साल स्टोन मार्ट नहीं हुआ. स्टोन का अपना एक इतिहास है. सभ्यता से इसका नाता है. जो शिलालेख हमारे सामने आए हैं. अगर ये पत्थर पर नहीं होते तो आज वो बातें हमारे सामने नहीं आ पाती.
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि देश के कई ऐतिहासिक भवनों में राजस्थान का पत्थर लगा है. राममंदिर के लिए भी राजाथान का पत्थर जा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के लोग उनसे मिले थे, उनकी मंशा थी कि राम मंदिर अवैध खनन से निकले पत्थर से बने यह ठीक नहीं है. इसलिए हमनें इसकी राह आसान की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सेक्टर रियाल एस्टेट से जुड़ा है. पहले माइनिंग मुश्किल से होती थी. मशीनें बाहर से आती थी. आज महंगाई और रोजगार की बड़ी चुनौती है. इसे दूर करने में माइनिंग की बड़ी भूमिका है. इस सेक्टर को प्रोत्साहन की दरकार है.
व्यवसायी सुभाष गुप्ता ने बताया कि वे कई सालों से इस काम से जुड़े हैं. अब स्क्रेप से मोजाइक टाइल्स व अन्य आइटम बनाते हैं. उनका कहना है कि इस तरह के आयोजन से व्यापारियों और खरीदारों को निश्चित रूप से फायदा होगा.
स्टोन मार्ट में आए नरपत सिंह का कहना है कि यहां एक छत के नीचे ही सभी लोगों को मिलने का मौका मिलता है. कहां से कच्चा माल आता है, कहां तैयार माल बेचा जा सकता है. कहां एक्सपोर्ट की गुंजाइश है. यह जानकारी उन्हें यहां मिली है. जो उनके लिए काफी फायदेमंद है.
सैंड स्टोन से कलाकृतियां बनाने वाले कलाकार बनवारी लाल का कहना है कि सैंड स्टोन की कलाकृतियां मुख्य रूप से घर और गार्डन की सजावट के काम आती हैं. इनकी खासियत यह है कि बारिश और धूप में भी यह लंबे समय तक खराब नहीं होती है. ऐसी कलाकृतियों की काफी डिमांड है.
स्टोन मार्ट के शिल्पग्राम में लगी एक स्टॉल यहां आने वाले लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. दरअसल, इस स्टॉल पर रखी पेंटिंग्स रंगों से नहीं बल्कि रंगीन पत्थरों से बनी है. यह पेंटिंग बनाने वाले कलाकार सुनीष मारू बताते हैं कि रंगीन पत्थरों से बनी इन पेंटिंग्स की कीमत 100 रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक है. एक पेंटिंग बनाने में एक सप्ताह से लेकर महीनेभर तक का समय लग सकता है.
मारू का कहना है कि आमतौर पर पेंटिंग रंग कैनवास से बनती है. लेकिन उन्होंने रंगीन पत्थर को हैंडीक्राफ्ट में प्रयोग किया है. कलर-ब्रश के बजाए रंगीन पत्थरों से यह पेंटिंग बनाई गई है. प्रदेश और देश के अलावा विदेशों में भी ऐसी पेंटिंग्स को काफी पसंद किया गया है. उन्होंने इसे दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया है. आमतौर पर विधा से एक पेंटिंग बनाने में सात दिन का समय लगता है लेकिन बड़ी पेंटिंग बनाने में एक से डेढ़ महीना तक लग जाता है. उनकी सबसे महंगी पेंटिंग पौने दो लाख रुपए में बिकी थी. जो ओमान के सुल्तान को दी थी. उसमें कीमती पत्थर लगे थे.
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