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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bharatpur News: सुसाइड पॉइंट बनी भरतपुर की सुजान गंगा नहर, तस्वीरें बयां कर रहीं बदहाली का मंजर
राजस्थान के भरतपुर शहर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली सुजान गंगा नहर आज इसी शहर के लिए एक प्रकार से अभिशाप बन रही है. एक ओर जिंदगी की परेशानियों से दुखी लोग इसमें कूद कर अपनी जान दे देते है. तो दूसरी तरफ नवजात शिशुओं, कन्या भ्रूणों को भी इसकी गहराई में समा जाते हैं.
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View In Appबुजुर्गों का कहना है की पहले पूरा शहर नहर के चारों तरफ बने घाटों पर नहाने आता था और सुजान गंगा नहर के चारों तरफ काफी संख्या में गहरे कुएं बने थे जिनमें मीठा पानी रहता था. शहर के लोग पीने के लिए कुओं से मीठा पानी भरकर अपनी प्यास बुझाते थे. शहरभर के लिए पानी की आपूर्ति करने वाली सुजान गंगा अब इस शहर के लिए एक अभिशाप बन कर रह गई है.
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव या फिर नगर निगम की शहरी सरकार पार्षद और मेयर का चुनाव हो, सभी चुनावों में जो भी चुनाव लड़ने आता है, सुजान गंगा नहर का सौन्दर्यीयकरण करने के नाम पर वोट मांगता है, लेकिन जीतने के बाद सुजान गंगा नहर को भुला दिया जाते हैं.
साल 2003 में राजस्थान हाई कोर्ट ने सुजान गंगा नहर की सफाई, गंदे पानी की आवक रोकने और स्वच्छ पानी की व्यवस्था करने संबंधी आदेश राज्य सरकार को दिए थे. राज्य सरकार द्वारा सुजान गंगा नहर की सफाई व्यवस्था पर करोड़ों रूपये खर्च किए गए लेकिन सुजान गंगा नहर की हालत बद से बदतर होती जा रही है. सुजान गंगा नहर अब सेप्टिक टैंक बनकर रह गई है. शहर का कूड़ा करकट, पॉलिथीन नहर में डाला जा रहा है.
नहर का पानी बिल्कुल हरा नजर आता है. इसके पास से गुजरने के दौरान आने वाली बदबू ने लोगों को परेशान कर रखा है. दो सालों से सुजान गंगा नहर में मछलियां मर रही हैं. नगर निगम द्वारा मरी हुई मछलियों को निकालने ठेका दिया जाता है. सुजान गंगा नहर का पानी कैसा होगा, जिस पानी में जलीय जिव जीवित नहीं बच रहे तो औरों के लिए पानी कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
जानकारी के अनुसार महाराजा सूरजमल ने 1743 से 1751 के बीच भरतपुर में किले का निर्माण कराया और इस किले के चारों तरफ सुजान गंगा नहर का भी निर्माण कराया गया. लोगों का मानना है की सुजान गंगा नहर की चौड़ाई 100 फीट से ज्यादा और लगभग 50 फीट गहराई होगी. महल के चरों तरफ सुजान गंगा नहर होने की वजह से भरतपुर रियासत को कोई भी नहीं जीत सका है और भरतपुर लोहागढ़ अजयगढ़ के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर को अजयगढ़ बनाने में इसके चारों और बनी सुजान गंगा नहर का अपना योगदान रहा. जिसे पार कर कोई दुश्मन किले तक पहुंच ही नहीं पाया और भरतपुर लोहागढ़ अजयगढ़ रहा है.
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