Rajasthan: नटराज की चोरी हुई मूर्ति को लंदन से लाने के लिए चलाया गया ऑपेरशन ब्लैक हॉल, ASI के अधिकारी करेंगे स्थापित
भारत सरकार के द्वारा देश की सुरक्षा के लिए अक्सर कई मिशन के लिए खुफिया ऑपेरशन पर बनाई गई फिल्में देख चुके होंगे. आईये एक ऐसे ही सरकार के खुफिया मिशन के बारे बताते हैं. दरअसल 25 साल राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) से एक मूर्ति चोरी हो गई थी, जिसे चोरों तस्करों के हाथों लंदन पहुंचा दिया. इस कीमती और ऐतिहासिक प्राचीन मूर्ति को वापस लाने के लिए, भारत सरकार ने एक ऑपेरशन चलाया. इस खुफिया ऑपेरशन का नाम था ऑपेरशन ब्लैक हॉल (Operation Black Hall). इस कामयाब मिशन के बाद सरकार ये मूर्ति देश में वापस लाने में कामयाब रही, इस मूर्ति को अब उसी जगह स्थापित किया जा रहा है.
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View In Appचोरी हुई ये मूर्ति नटराज की थी, जिसे सरकार खुफिया ऑपेरशन के द्वारा देश में लाई थी. नटराज की यह मूर्ति चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा के पास स्थित प्राचीन ऐतिहासिक बाडौली शिव मंदिर में स्थापित थी. 15 फरवरी 1998 की रात में यह दुर्लभ नटराज की मूर्ति चोरी हो गई. चोरी होने के बाद हंगामा मच गया और चारों तरफ इसी मूर्ति की चर्चाएं होने लगीं. पुलिस भी जांच में जुटी लेकिन ठीक 8 माह बाद 13 नवंबर को मंदिर से कुछ दूर, जंगल में रोड किनारा कपड़े से लिपटी एक वस्तु मिली. लोगों ने कपड़ा हटाकर देखा तो वही नटराज की मूर्ति निकली जो चोरी हो गई थी. पुरातत्व विभाग ने मूर्ति को उसी मंदिर में स्थापित करने जा रही है जहां से चोरी हुई थी.
मूर्ति चोरी होने के करीब 2 से 3 साल बाद जयपुर में विद्यानगर थाना पुलिस ने एक आरोपी चोरी को गिरफ्तार किया था. उसने चित्तौड़गढ़ में चोरी हुई नटराज की मूर्ति को लेकर बड़ा खुलासा किया जिसको लेकर सभी चौक गए. चोर ने पुलिस को बताया था कि मूर्ति चोरी होने के बाद, सड़क किनारे मिली मूर्ती नकली है. चोर ने ये भी बताया कि 15 हजार रुपए देकर मूर्तिकार से हूबहू ऐसी मूर्ति बनाई थी. मूर्ति चोरी मामले में चार लोग और भी शामिल थे. मूर्ति चोरी के बाद चोरों ने उसे एक तस्कर को 20 लाख रुपए में बेच दी थी, जबकि तस्कर ने नटराज की उस मूर्ति को तस्कर ने दिया था. चोरी के आरोपी के खुलासे के बाद डीजीपी के आदेश पर वर्ष 2003 में ऑपेरशन ब्लैक हॉल शुरू किया गया. फिर मूर्ति चोरी के आरोपी भी गिरफ्तार किए गए.
सन 1998 में हुई चोरी की इस प्रतिमा को लाने के लिए इतिहासकार डॉ. सुषमा आहूजा भी जुटी रही थी. लंबे समय बाद जब पता चला कि नटराज की यह मूर्ति लंदन के किसी प्राइवेट म्यूजियम में पड़ी है, तो उसे लाने के लिए केंद्रीय पुरातत्व विभाग के कुछ अधिकारी भी लगातार कोशिश में जुट गए. वर्ष 2014 में पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर विनय गुप्ता बने जो वर्ष 2017 में लंदन गए, इस दौरे के दौरान उन्हें मूर्ति को वापस लाने में बड़ी कामयाबी मिली. चोरी हुई ये मूर्ति लंदन से वर्ष 2020 ने भारत पहुंची और फिर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इसे उसके मूल स्थान पर स्थापित करने का निर्णय लिया.
चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी के आग्रह पर कानूनी औपचारिकता के बाद, रविवार को भारत सरकार के संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित कुम्भा महल के उद्यान में शाम साढ़े चार बजे एक कार्यक्रम में स्थानीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) को सौपेंगे. सांसद जोशी ने बाडौली स्थित परिसर में म्यूजियम बनाने की मांग भी केन्द्रीय मंत्री से की है, जिससे यह नटराजन की मूर्ति वहां स्थापित करने के बाद सुरक्षित रह पायेगी.
इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि नटेश शिव की यह प्रतिमा उत्तर भारत की सबसे सुंदर प्रतिमाओं में से एक हैं. उत्तर प्रतिहारकाल की इस मूर्ति में आठ भुजाओं वाले शिव हैं. उमा को प्रसन्न करने के लिए शिव ने दूल्हा वेश में जो नृत्य किया, यह उसी का रूप है. नंदीकेश्वर के पास गण ढ़का का वादन कर ताल दे रहे हैं और सखियों प्रसन्न हैं. ऊपर गंधर्व और विद्याधर अलौकिक सौंदर्य को देख रहे हैं. त्रिभंगी रूप शिव नृत्य कर रहे हैं. बाहोली में नींची से 12वीं शताब्दी तक मध्य प्रदेश के होडकर वंश से लेकर परमार वंश ने 9 मंदिरों का निर्माण करवाया था. घाटेश्वर मंदिर सबसे खूबसूरत है पृष्ठ भाग में करीब साढ़े चार गुणा ढाई फीट नटराज की यह मूर्ति 270 किलो वजनी है.
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