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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
In Pics: अयोध्या के बाद एक और भव्य 'ॐ' आकृति के मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी, PM मोदी समेत ये नेता होंगे मुख्य अतिथि
राजस्थान के पाली जिले के जाडन आश्रम में शिलान्यास के करीब तीन दशक बाद 'ॐ' आकृति का भगवान शिव का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. ॐ आकृति का यह दुनिया का पहला शिव मंदिर होगा. इस ॐ आकृति के मंदिर में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों से चल रही है.
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View In Appॐ के आकृति में बने इस शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का दिन और तारीख तय कर दी गई है. यह कार्यक्रम 10 फरवरी से 19 फरवरी 2024 तक चलेगा. 19 फरवरी को इस भव्य मंदिर में शिव जी की प्राण प्रतिष्ठा होगी. जाडन आश्रम के ॐ आकृति मंदिर के स्वामी महेश्वरानंद महाराज का दावा है कि यह पूरे भूमंडल पर ॐ आकृति का पहला मंदिर है.
स्वामी महेश्वरानंद महाराज ने बताया कि जाडन में बनकर तैयार हो चुके ॐ आकृति के मंदिर के कार्यक्रम में देशभर के सभी साधु संतों आएंगे. साथ ही साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश सीएम मोहनलाल यादव और राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी सहित कई अन्य अतिथि भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में विदेशी मेहमान भी आएगें.
वहीं जाडन आश्रम के प्रवक्ता स्वामी फुल पुरी ने बताया कि पाली जिले के जाडन आश्रम में ॐ आकृति का भव्य और आकर्षक दिखने वाले मंदिर का शिलान्यास साल 1995 में हुई था. ॐ आकृति के भव्य मंदिर में बाबा भोलेनाथ की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान धर्मसभा भी की जाएगी.
स्वामी महेश्वरानंद का कहना है कि सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले त्रिदेव (ब्रह्मा विष्णु महेश) को ओम ( ॐ- नाद -ब्रह्मा) का प्रतीक माना जाता है. ॐ का निराकार भव्य मंदिर के रूप भारत की धरती पर बनाया गया है. ॐ आकृति के इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की 1008 प्रतिमाएं लगाई जाएगी, जिसमें आपको 12 ज्योतिर्लिंग दिखेंगे. इस मंदिर का शिखर 135 फीट ऊंचा है. मंदिर परिसर में 108 कक्ष बनाए गए हैं. पूरे मंदिर परिसर को 2000 स्तंभ पर बनाया गया है.
मंदिर निर्माण के लिए करीब 400 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. ॐ आकृति के मंदिर के बीचों-बीच गुरु माधवानंद की समाधि बनाई गई है. उसके ऊपर वाले भाग में स्फटिक से बने शिवलिंग से मंदिर बनाया गया है.
मंदिर के ऊपर वाले भाग में ब्रह्मांड जैसी आकृति नजर आती है. इस मंदिर के निर्माण के लिए धौलपुर की बंसी पहाड़ी पत्थर से लाया गया है. इस मंदिर परिसर के नीचे दो लाख टन की टंकी भी बनाई गई है.
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