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Basant Panchami: दुनिया में अनूठा है राजस्थान का यह सरस्वती मंदिर, जानें इस शारदापीठ में क्या है खास?

Basant Panchami 2023: शारदापीठ का निर्माण 1956 में शुरू हुआ था.तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने इसका शिलान्यास किया था.

Basant Panchami 2023: शारदापीठ का निर्माण 1956 में शुरू हुआ था.तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने इसका शिलान्यास किया था.

शारदापीठ में स्थापित देवी सरस्वती की प्रतिमा. (Image Source: Sumit Sarswat)

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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व (Basant Panchami Festival) मनाया जाता है.आज पूरी दुनिया में विद्या, कला, स्वर और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है. सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर चारों ओर उत्साह, उमंग और उल्लास छाया है.देश-दुनिया में देवी सरस्वती (Goddess Saraswati) के चुनिंदा मंदिर हैं. इनमें एक खास और अनूठा मंदिर राजस्थान (Rajasthan) में है. सभी तस्वीरें सुमित सारस्वत की हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व (Basant Panchami Festival) मनाया जाता है.आज पूरी दुनिया में विद्या, कला, स्वर और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है. सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर चारों ओर उत्साह, उमंग और उल्लास छाया है.देश-दुनिया में देवी सरस्वती (Goddess Saraswati) के चुनिंदा मंदिर हैं. इनमें एक खास और अनूठा मंदिर राजस्थान (Rajasthan) में है. सभी तस्वीरें सुमित सारस्वत की हैं.
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हम बात कर रहे हैं शेखावाटी क्षेत्र के झुंझुनू (Jhunjhunu) जिले में पिलानी में स्थित बिड़ला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान परिसर के शारदापीठ (Shardapeeth) की. बिट्स कैंपस में राजसी सफेद संगमरमर से इस खास मंदिर का निर्माण बिड़ला परिवार ने करवाया है.
हम बात कर रहे हैं शेखावाटी क्षेत्र के झुंझुनू (Jhunjhunu) जिले में पिलानी में स्थित बिड़ला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान परिसर के शारदापीठ (Shardapeeth) की. बिट्स कैंपस में राजसी सफेद संगमरमर से इस खास मंदिर का निर्माण बिड़ला परिवार ने करवाया है.
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शारदापीठ का निर्माण वर्ष 1956 में शुरू हुआ था.तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने इसका शिलान्यास किया था.मंदिर खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर की शैली पर बना है.300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से करीब 4 साल बाद 1960 में यह भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ.उस वक्त मंदिर निर्माण पर करीब 23 लाख रुपए खर्च हुए.25 हजार वर्ग फीट में बना यह मंदिर 70 स्तंभों पर खड़ा है.इसके पांच अलग-अलग खंड हैं, गर्भगृह, प्रदक्षिणापथ, अंतराला, मंडपम और अर्ध मंडपम.यह पूरी संरचना सात फीट ऊंचे बेसमेंट पर बनी है.पूरे मंदिर में राजस्थान के मकराना का सफेद संगमरमर लगा है.
शारदापीठ का निर्माण वर्ष 1956 में शुरू हुआ था.तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने इसका शिलान्यास किया था.मंदिर खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर की शैली पर बना है.300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से करीब 4 साल बाद 1960 में यह भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ.उस वक्त मंदिर निर्माण पर करीब 23 लाख रुपए खर्च हुए.25 हजार वर्ग फीट में बना यह मंदिर 70 स्तंभों पर खड़ा है.इसके पांच अलग-अलग खंड हैं, गर्भगृह, प्रदक्षिणापथ, अंतराला, मंडपम और अर्ध मंडपम.यह पूरी संरचना सात फीट ऊंचे बेसमेंट पर बनी है.पूरे मंदिर में राजस्थान के मकराना का सफेद संगमरमर लगा है.
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इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में सुबह-शाम आरती के वक्त या अन्य किसी समय घंटी या अन्य कोई वाद्ययंत्र नहीं बजाया जाता है,ताकि यहां ध्यान मुद्रा में बैठे साधक और मेडिटेशन कर रहे अन्य लोगों को डिस्टर्ब न हो.
इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में सुबह-शाम आरती के वक्त या अन्य किसी समय घंटी या अन्य कोई वाद्ययंत्र नहीं बजाया जाता है,ताकि यहां ध्यान मुद्रा में बैठे साधक और मेडिटेशन कर रहे अन्य लोगों को डिस्टर्ब न हो.
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मंदिर के मुख्य गर्भगृह में मां शारदे की खड़ी मुद्रा में मन मोह लेने वाली मूर्ति स्थापित है.सरस्वती के हाथ में वेद शास्त्र और वीणा है.यह मूर्ति कोलकाता से बनवाई गई थी.गर्भगृह के ऊपर का शिखर 110 फीट ऊंचा है.मंदिर के सभी शिखरों पर सोने से सुसज्जित तांबे से बने मुकुट समान कलश स्थापित है.शारदापीठ की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यहां स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं के साथ विशिष्ट वैज्ञानिकों, संतों, दार्शनिकों, राजनेताओं और महापुरुषों की पत्थर से प्रतिमाएं उकेरी गई हैं.इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महान गणितज्ञ आर्यभट्‌ट, होमी जहांगीर भाभा समेत करीब 1267 प्रतिमाएं हैं.
मंदिर के मुख्य गर्भगृह में मां शारदे की खड़ी मुद्रा में मन मोह लेने वाली मूर्ति स्थापित है.सरस्वती के हाथ में वेद शास्त्र और वीणा है.यह मूर्ति कोलकाता से बनवाई गई थी.गर्भगृह के ऊपर का शिखर 110 फीट ऊंचा है.मंदिर के सभी शिखरों पर सोने से सुसज्जित तांबे से बने मुकुट समान कलश स्थापित है.शारदापीठ की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यहां स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं के साथ विशिष्ट वैज्ञानिकों, संतों, दार्शनिकों, राजनेताओं और महापुरुषों की पत्थर से प्रतिमाएं उकेरी गई हैं.इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महान गणितज्ञ आर्यभट्‌ट, होमी जहांगीर भाभा समेत करीब 1267 प्रतिमाएं हैं.

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