In Photos: चित्तौड़गढ़ दुर्ग की सैर करने पहुंचे सैलानी, सेल्फी लेकर संजो रहे सुनहरी यादें, देखें तस्वीरें
नए साल के आगमन से पहले इन दिनों शीतकालीन अवकाश जारी है.ऐसे में लोग छुट्टियों के बीच परिवार के साथ न्यू ईयर के आगमन का जश्न मनाने के लिए अपने पसंदीदा पर्यटक स्थलों पर पहुंच रहे हैं.
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View In Appराजस्थान के मेवाड़ में शौर्य, बलिदान और वीरता की कहानी बयां करने वाला ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ दुर्ग (Chittorgarh Fort) इन दिनों सैलानियों से गुलजार है.सुहाने मौसम के मध्य बड़ी संख्या में देश-विदेश से सैलानी यहां सैर करने पहुंच रहे हैं. अपने मोबाइल कैमरे में सुनहरी यादें संजोने के लिए सेल्फी ले रहे हैं. विजय स्तंभ के साथ तस्वीरें ले रहे हैं.
चित्तौड़गढ़ किले में राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के पर्यटक भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं.पर्यटक यहां दुर्ग के कुंभा महल,पद्मिनी महल,विजय स्तंभ,गौमुख कुंड और फतेह प्रकाश म्यूजियम देख रहे हैं.यहां आने वाले सैलानी दुर्ग परिसर में बने नीलकंठ महादेव मंदिर, कालिका माता मंदिर समेत अन्य मंदिरों में जाकर देव दर्शन भी कर रहे हैं.
चित्तौड़ का किला इतिहास की सबसे खूनी लड़ाईयों का गवाह है. यह किला विश्व विरासत है. 21 जून, 2013 को यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. यह किला राजस्थान का गौरव और राजस्थान के सभी किलों का सिरमौर कहलाता है. यहां के कण-कण में वीरों की गौरव गाथा गूंजती है.
रानी पद्मिनी मेवाड़ की महारानी थीं. कहा जाता है कि 1303 में चित्तौड़ दुर्ग पर खिलजी ने हमला किया तो अपने सम्मान को बचाने के लिए रानी ने जौहर किया था. 1958-59 में दुर्ग पर बने विजय स्तंभ के पास पुरातत्व विभाग ने खुदाई की तो जौहर के सबूत मिले थे. विभाग को खुदाई के दौरान राख, हडि्डयां और लाख की चूड़ियां मिली थीं.
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