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Kota News: दो आईआईटीयन का अनूठा स्टार्टअप, हवा में उगा रहे सब्जियां

कोटा में सब्जियों की खेती

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Kota News: अभी तक आपने सब्जियों को जमीन में उगते हुए देखा होगा. लेकिन कोटा में दो आईआईटीयन ने अनूठा स्टार्टअप तैयार किया. जिसके जरिए वो हवा में सब्जियों को उगा रहे हैं.
Kota News: अभी तक आपने सब्जियों को जमीन में उगते हुए देखा होगा. लेकिन कोटा में दो आईआईटीयन ने अनूठा स्टार्टअप तैयार किया. जिसके जरिए वो हवा में सब्जियों को उगा रहे हैं.
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बता दें कि इन्होंने एक आधुनिक तकनीक के जरिए बिना मिट्टी और बिना पेस्टीसाइड्स से हरी और ताजा सब्जियों की खेती को संभव कर दिखाया है. हर दिन ये लोग पांच क्विंटल सब्जियां उगाकर करीब 400 घरों में पहुंचा रहे हैं. दोनों ने इस अनोखी तरकीब की शुरुआत कोटा से की थी.
बता दें कि इन्होंने एक आधुनिक तकनीक के जरिए बिना मिट्टी और बिना पेस्टीसाइड्स से हरी और ताजा सब्जियों की खेती को संभव कर दिखाया है. हर दिन ये लोग पांच क्विंटल सब्जियां उगाकर करीब 400 घरों में पहुंचा रहे हैं. दोनों ने इस अनोखी तरकीब की शुरुआत कोटा से की थी.
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इस स्टार्टअप को तैयार करने वाले अमित कुमार श्रीगंगानगर और अभय सिंह रावतभाटा से है. दोनों किसान परिवार से ताल्लुक रखते है और मुंबई से बीटेक ग्रेजुएट हैं. दोनों रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गये.इसके बाद उन्होंने जॉब छोडकर 2018 में कोटा से अपना स्टार्टअप ईकी फूड्स शुरू किया. फाउंडर अमित और अभय ने बताया कि पहले चरण में उन्होंने कोटा में नांता, रंगपुर, तालेड़ा, भीलवाडा और पानीपत में कृषि फार्म पर ग्रोइंग चेम्बर्स बनाकर केमिकल या पेस्टिसाइड अवशेष मुक्त सब्जियों की पैदावार शुरू की थी.
इस स्टार्टअप को तैयार करने वाले अमित कुमार श्रीगंगानगर और अभय सिंह रावतभाटा से है. दोनों किसान परिवार से ताल्लुक रखते है और मुंबई से बीटेक ग्रेजुएट हैं. दोनों रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गये.इसके बाद उन्होंने जॉब छोडकर 2018 में कोटा से अपना स्टार्टअप ईकी फूड्स शुरू किया. फाउंडर अमित और अभय ने बताया कि पहले चरण में उन्होंने कोटा में नांता, रंगपुर, तालेड़ा, भीलवाडा और पानीपत में कृषि फार्म पर ग्रोइंग चेम्बर्स बनाकर केमिकल या पेस्टिसाइड अवशेष मुक्त सब्जियों की पैदावार शुरू की थी.
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इस तकनीक में उन्होंने सौर उर्जा और न्यूट्रिशनल वॉटर का उपयोग कर पानी व बिजली की खपत को कम कर दिया है. इन खेतों पर वो रोजाना 500 किलो (5 क्विंटल) सब्जियां पैदा करके काफी रिटेल स्टोर पर भेज रहे हैं. जल्द ही वो दिल्ली एवं अन्य राज्यों में भी ईकी फूड्स के फार्म शुरू करेंगे.
इस तकनीक में उन्होंने सौर उर्जा और न्यूट्रिशनल वॉटर का उपयोग कर पानी व बिजली की खपत को कम कर दिया है. इन खेतों पर वो रोजाना 500 किलो (5 क्विंटल) सब्जियां पैदा करके काफी रिटेल स्टोर पर भेज रहे हैं. जल्द ही वो दिल्ली एवं अन्य राज्यों में भी ईकी फूड्स के फार्म शुरू करेंगे.
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अभय सिंह और अमित ने बताया की इस तकनीक की शुरुआत दोनों ने मिलकर घर की छत पर की. जहां उन्होंने सबसे पहले ग्रोइंग चेम्बर में पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाईं. फिर घर में खाने के लिए उपयोग में लिया. उसके बाद कोटा के मार्केट में बेचा तो लोगों में इसकी डिमांड बढ़ी. फिर उन्होंने कोटा में एक एकड़ जमीन ली. जहां 25 लाख की लागत से एक पॉली हाउस तैयार किया और उसमें ग्रोइंग चेम्बर्स लगा दिए. हालांकि इसके लिए सरकार से उन्हें सब्सिडी भी मिली.
अभय सिंह और अमित ने बताया की इस तकनीक की शुरुआत दोनों ने मिलकर घर की छत पर की. जहां उन्होंने सबसे पहले ग्रोइंग चेम्बर में पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाईं. फिर घर में खाने के लिए उपयोग में लिया. उसके बाद कोटा के मार्केट में बेचा तो लोगों में इसकी डिमांड बढ़ी. फिर उन्होंने कोटा में एक एकड़ जमीन ली. जहां 25 लाख की लागत से एक पॉली हाउस तैयार किया और उसमें ग्रोइंग चेम्बर्स लगा दिए. हालांकि इसके लिए सरकार से उन्हें सब्सिडी भी मिली.
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अभय सिंह ने बताया की इस तकनीक का लाभ ये है कि इसमें सामानय खेती की तुलना में 80 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है. इसमें फलियां, बैंगन, टमाटर, करेले, मिर्च जैसी कई सब्जियां उगाई जाती है. गर्मी हो या सर्दी पौधों को कोई नुकसान नहीं होता है. ये ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम के जरिए पौधों की देखभाल करते है और एक बटन के माध्यम से पौधों में पानी पहुंचाया जाता है. फिलहाल ये दोनों इस तकनीक से करीब 400 से अधिक घरों में अपने प्रोडक्ट पहुंचा रहे हैं. इस व्यापार से सब्जी विक्रेताओं को भी जोडा है. दोनों का लक्ष्य है की जल्द ही वो अन्य राज्यों के मार्केट में भी ताजा सब्जियां भेज सके.
अभय सिंह ने बताया की इस तकनीक का लाभ ये है कि इसमें सामानय खेती की तुलना में 80 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है. इसमें फलियां, बैंगन, टमाटर, करेले, मिर्च जैसी कई सब्जियां उगाई जाती है. गर्मी हो या सर्दी पौधों को कोई नुकसान नहीं होता है. ये ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम के जरिए पौधों की देखभाल करते है और एक बटन के माध्यम से पौधों में पानी पहुंचाया जाता है. फिलहाल ये दोनों इस तकनीक से करीब 400 से अधिक घरों में अपने प्रोडक्ट पहुंचा रहे हैं. इस व्यापार से सब्जी विक्रेताओं को भी जोडा है. दोनों का लक्ष्य है की जल्द ही वो अन्य राज्यों के मार्केट में भी ताजा सब्जियां भेज सके.

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