In Pics: राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिड़ा इन दिनों महका रहा है चूरू के खेत- खलिहान, जानिए क्यों है ये बेहद खास
प्रकृति में अपने रंग बिखेरा रहा राज्य पुष्प अप्रैल के अंत तक फूलों में से लदकद हो जाते हैं. रोहिड़ा के पेड़ रंगों के पर्व होली से ही प्रकृति में रंगों की घटा बिखेरने लगते हैं जो अप्रेल के अंत तक दिखाई देते हैं. यही कारण है की रेतीले धोरो में दायर से गुलदस्ते जैसे नजर आने वाले ये रोहिड़े के पेड़ों से यो लगता है जैसे इन रोहिड़ा के पेड़ों में से पुष्प वर्षा हो रही हो, मानो धरती पर फूल बिछाए हुए हैं.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appसूखे क्षेत्र का आभूषण पेड़ रोहिड़ा इन दिनों अपने सौंदर्य की छटा बिखेरते हुए है. इन पर फूलों की बहार छाई हुई है चुरू जिले के सरदारशहर, रतनगढ़, चूरू तहसील, राजगढ़, तारानगर क्षेत्र को रोहिडा के फूलों का हब कहा जाता है. किसानों की मानें तो उन्होंने बताया कि यह पेड़ कम बरसात में भी हरा-भरा रहता है. सबसे मजबूत पेड़ होता है, यह भारत में ही नहीं पाकिस्तान के साथ अन्य देशों में भी पाया जाता है. राजस्थान में सबसे ज्यादा चूरू में पाया जाता है इसके अलावा कुछ मात्रा में नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालौर में भी दिखाई देता है. रेतीली धरती में आसानी से पनप जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम टीकोवेला अंडुलिका है. इसके लिए राजस्थान की जलवायु ज्यादा उपयुक्त है.
रोहिड़ा का फूल सुंदर बहुत है लेकिन दिन में खुशबू नहीं होने के कारण कभी मंदिर में नहीं चढ़ाया जाता. यह पेड़ फरवरी से अप्रैल अंतिम तक फूलों से अलग हो जाता है. इस समय उसकी सुंदरता देखने लायक होती है. रोहिड़ा के फूल को 1983 में राज्य पुष्प घोषित किया गया था. की सुंदरता देखने लायक है. इसे मरूशोभा या रेगिस्तान का सागवान भी कहते हैं.
रोहिड़ा के पेड़ का हर हिस्सा आयुर्वेदिक गुणों से उपयुक्त माना गया है. इसके शाखा को पानी के गिलास में रात को रखकर सुबह इसका पानी पीने से शुगर, बीपी के पेशेंट को काफी लाभ मिलता है. शुगर ओर बीपी के लिए इस पेड़ को रामबाण माना जाता है. वही बुजुर्गों की माने तो बच्चो के फोड़े, फुंसिया होने पर इसकी छाल को घिसकर लगाया जाता था और काफी लाभ मिलता था.
रोहिड़ा पेड़ की बात करे तो ये सेकड़ो वर्षो तक अपना लाभ देता रहता है, इस पेड़ की उम्र 200 वर्षो से भी ज्यादा होती है. अगर इससे निर्मित फर्नीचर की बात की जाए तो ये गुणवत्ता में अन्य किसी भी पेड़ो से काफी बेहतर होते जो राजस्थान के वातावरण के अनुकूल होते है यही कारण है कि इनसे बना फर्नीचर बेहतरीन किस्म का होता है और बहुत पंसद किया जाता है. राज्य पुष्प अपने आप मे एक अलग पहचान रखता है यह जब खिलता है तब इसका रंग लाल होता है कुछ दिनों पश्चात यह केशरिया रंग में बदल जाता है, केशरिया रंग के बाद इसका रंग सफेद हो जाता है जो देखने मे बहुत ही सुंदर लगता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -