Congress Chintan Shivir: उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर का पहला दिन, जानिए- किन मुद्दों पर हुई बातचीत?
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस पार्टी का नव संकल्प शिविर शुक्रवार से शुरू हो गया है. इस तीन दिवसीय नव संकल्प शिविर में कांग्रेस अपने परंपरागत तौर-तरीकों को बदल सकती है. जिन लोकसभा सीटों पर पिछले चुनावों में कांग्रेस को लाखों वोट से करारी शिक्कस्त मिली थी, वहां पार्टी अब महीनों पहले उम्मीदवार तय करने की रणनीति बना रही है. इसके अलावा राज्यों की कमेटियों का संविधान भी अगल बनाने पर पार्टी मंथन करेगी.
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View In Appसोनिया गांधी ने कहा- अब यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगियों का वास्तव में उनका नारा मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्मेंट काक्या मतलब है. इसका मतलब है कि देश में ध्रुवीकरण बनाए रखना, भय और असुरक्षा की स्थिति बनाए रखना और हमारे समाज के अभिन्न अंगों और हमारे अल्पसंख्यकों को अक्सर प्रताड़ित करना और क्रूरतापूर्वक निशाना बनाना.
इस मौके पर कांग्रेस के चार सौ से भी ज्यादा नेता मौजूद हैं. जहां एक तरह कांग्रेस चिंतन शिविर का आयोजन कर रही है. शिविर की शुरूआत से पहले सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में बीजेपी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पार्टी लगातार 'ध्रुवीकरण का खेल खेल रही है और जनता में डर पैदा कर रही है.'
कांग्रेस के लिए तीन दिन खासे महत्वपूर्ण बताए जा रहे हैं. संगठन को मजबूत करने के लिए इससे जुड़े सुधारों पर पार्टी का सर्वाधिक जोर है. पार्टी का ध्यान आगामी चुनावों के मद्देनजर उन लोकसभा और विधानसभा सीटों पर भी जा रहा है, जहां बड़े अंतर के साथ पिछले कई चुनावों में हार हासिल हुई थी. इसके लिए चुनाव से कई महीने पहले उम्मीदवार तय कर उन्हें तैयारी करने का पर्याप्त समय देने का प्रस्ताव भी किया जायेगा. साथ ही गठबंधन जैसे मामलों पर तत्काल फैसले लेने के लिए अलग से चुनाव समन्वय कमेटियों का गठन करने का निर्णय भी किया जा सकता है.
चुनाव की तैयारी के लिए महासचिव का नया पद भी सृजित करने पर भी विचार किया जा रहा है. प्रदेश कमेटियों का अलग से संविधान रखने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की मंजूरी से संविधान समीक्षा कमेटी बनाने पर भी शिविर में मंथन होगा. खास बात ये है कि प्रदेश कमेटियों को मजबूत करने के लिए उनके अधिकार क्षेत्र को भी बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए प्रदेश इकाइयां भी विधानसभावार पर्यवेक्षक लगा सकेंगी.
इस मसले पर जो सुझाव निकल कर सामने आए हैं उसके अनुसार एआइसीसी से लेकर प्रदेश स्तर तक पदाधिकारियों का कार्यकाल निश्चित किया जाए. जहां चुनौती अधिक हो, वहां 50 से 100 संगठन सचिव को पंचायत व स्थानीय चुनावों की जिम्मेदारी दी जाए. अग्रिम संगठन, विभाग और प्रकोष्ठों से स्थानीय चुनाव के दौरान राय ली जाए. साथ ही एआईसीसी, पीसीसी की जनरल बॉडी की बैठक साल में दो बार हो और पीसीसी व डीसीसी कार्यकारिणी की बैठक तीन माह में की जाए.
इसी तरह प्रभारी महासचिव तीन माह में कम से कम एक बार अग्रिम संगठन, विभाग और प्रकोष्ठों के साथ बैठक करें. कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए समय समय पर प्रशिक्षण संस्थान बनाए जाए. जिम्मेदारी तय करने का एक सिस्टम बनाया जाए. चिन्तन शिविर के अन्तिम दिन इन सुझावों पर कांग्रेस कार्यसमिति से मंजूरी मिलने के बाद गुजरात, हिमाचल और राजस्थान चुनाव में पार्टी इसी तर्ज पर काम करेगी.
सोनिया गांधी ने अन्य मुद्दों पर भी बात रखी. उन्होंने नौकरी और किसानों के मुद्दों पर कहा कि, देश की बड़ी संख्या ने नौकरी की आस छोड़ दी है. मनरेगा और फूड सिक्योरिटी हमारे शानदार प्रोग्राम थे. वहीं कांग्रेस पार्टी किसानों के आंदोलन के साथ थी. लेकिन पीएम ने किसानों से जो वादा किया वो अभी भी पूरा नहीं किया. साथ ही रसोई गैस, पेट्रोल डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.
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