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Udaipur: तस्वीरों में देखिए सीतामाता अभ्यारण्य, जहां ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं मां सीता
Rajasthan News: राजस्थान का सबसे बड़ा जंगल एरिया उदयपुर संभाग में हैं. यही नहीं यहां पर छह अभ्यारण्य भी हैं. इन सभी अभयारण्यों में सबसे खूबसूरत माना जाता है सीतामाता अभ्यारण्य.
![Rajasthan News: राजस्थान का सबसे बड़ा जंगल एरिया उदयपुर संभाग में हैं. यही नहीं यहां पर छह अभ्यारण्य भी हैं. इन सभी अभयारण्यों में सबसे खूबसूरत माना जाता है सीतामाता अभ्यारण्य.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/823a96e580686d132ab947bf9f7cc0db1685613734706658_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
सीता माता अभयारण्य
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![राजस्थान का सबसे बड़ा जंगल एरिया उदयपुर संभाग में हैं. यही नहीं यहां छह अभ्यारण्य भी हैं. इन सभी अभयारण्यों में सबसे खूबसूरत माना जाता है सीतामाता अभ्यारण्य.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/f6a3530223c4a0e04878c22c159587bbcc0b9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राजस्थान का सबसे बड़ा जंगल एरिया उदयपुर संभाग में हैं. यही नहीं यहां छह अभ्यारण्य भी हैं. इन सभी अभयारण्यों में सबसे खूबसूरत माना जाता है सीतामाता अभ्यारण्य.
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![इस अभयारण्य का सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट जानवर उड़न गिलहरी है. इसे रात के दौरान पेड़ों के बीच ग्लाइडिंग करते हुए भी आसानी से देखा जा सकता है. यह अभयारण्य पौराणिक घटनाओं से भी जुड़ा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/f21b28a013c40000775f6af853bb10efd36e8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस अभयारण्य का सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट जानवर उड़न गिलहरी है. इसे रात के दौरान पेड़ों के बीच ग्लाइडिंग करते हुए भी आसानी से देखा जा सकता है. यह अभयारण्य पौराणिक घटनाओं से भी जुड़ा है.
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![राजस्थान वन विभाग से जारी सूचना के अनुसार, सीतामाता अभयारण्य अरावली और विंध्याचल पर्वतमाला तक फैला हुआ है. यह एकमात्र ऐसा जंगल है, जहां सागवान के बहुमूल्य पेड़ पाए जाते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/73b16666a4de09f182552afe54bb08df3c9d7.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राजस्थान वन विभाग से जारी सूचना के अनुसार, सीतामाता अभयारण्य अरावली और विंध्याचल पर्वतमाला तक फैला हुआ है. यह एकमात्र ऐसा जंगल है, जहां सागवान के बहुमूल्य पेड़ पाए जाते हैं.
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![घने वनस्पति वाले इस अभयारण्य में लगभग 50 फीसदी सागवान के पेड़ हैं. यही नहीं यहां सालर, तेंदू, आंवला, बांस और बेल आदि के पेड़ भी हैं. इस अभयारण्य से होकर तीन नदियां भी बहती हैं. इनमें जाखम और करमोई नदी प्रमुख है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/b461153e07d131ac911130ce9d9a914898783.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
घने वनस्पति वाले इस अभयारण्य में लगभग 50 फीसदी सागवान के पेड़ हैं. यही नहीं यहां सालर, तेंदू, आंवला, बांस और बेल आदि के पेड़ भी हैं. इस अभयारण्य से होकर तीन नदियां भी बहती हैं. इनमें जाखम और करमोई नदी प्रमुख है.
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![इस सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिल्ली, साही, हिरण, जंगली भालू, चार सींग वाले मृग और नीलगाय आदि प्रमुख वन्यजीव भी रहते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/ef3c8113f4f89c7584392a15fef724bfce007.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिल्ली, साही, हिरण, जंगली भालू, चार सींग वाले मृग और नीलगाय आदि प्रमुख वन्यजीव भी रहते हैं.
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![ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की पत्नी सीता अपने वनवास की अवधि के दौरान यहीं संत वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं. रामायण से सीता माता अभयारण्य का काफी गहरा संबंध है. यहां सीतामाता का एक मंदिर भी है, जहां हर साल मेला लगता है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/1f40dce2ee342611a0ba12395ea986e5ee9c1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की पत्नी सीता अपने वनवास की अवधि के दौरान यहीं संत वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं. रामायण से सीता माता अभयारण्य का काफी गहरा संबंध है. यहां सीतामाता का एक मंदिर भी है, जहां हर साल मेला लगता है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
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![कहा जाता है कि देश भर, में यही एक मात्र सीतामाता का मंदिर है, जहां अकेले ही उनकी मूर्ति है. लोगों का मानना है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने अयोध्या लौटने पर लोगों के सवालों के चलते माता सीता को वनवास दिया गया था. तब माता सीता ने अपना वनवास इसी अभयारण्य में ही काटा.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/7db7646b57996507221078abc8d557e0ed5fb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
कहा जाता है कि देश भर, में यही एक मात्र सीतामाता का मंदिर है, जहां अकेले ही उनकी मूर्ति है. लोगों का मानना है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने अयोध्या लौटने पर लोगों के सवालों के चलते माता सीता को वनवास दिया गया था. तब माता सीता ने अपना वनवास इसी अभयारण्य में ही काटा.
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![इसकी निशानी के तौर पर यहां सीता माता मंदिर के साथ लव - कुश जन्मभूमि, महर्षि विश्वामित्र का आश्रम और ठंडे-गर्म पानी के कुंड आज भी हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/9fcfdbd9c656be58cf1d10a3e9bf3013f1b24.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसकी निशानी के तौर पर यहां सीता माता मंदिर के साथ लव - कुश जन्मभूमि, महर्षि विश्वामित्र का आश्रम और ठंडे-गर्म पानी के कुंड आज भी हैं.
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![बता दें जाखम बांध इस अभ्यारण्य के हरे-भरे जंगल से घिरा हुआ है, जो इस जगह को पर्यटकों के लिए एक अद्भुत गंतव्य बनाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/01/7bc3fbe4252b0307b6e9f47cc8f8d0ab4659e.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बता दें जाखम बांध इस अभ्यारण्य के हरे-भरे जंगल से घिरा हुआ है, जो इस जगह को पर्यटकों के लिए एक अद्भुत गंतव्य बनाता है.
Published at : 01 Jun 2023 09:49 PM (IST)
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