Atiq Ahmad Dead: 5 बार विधायक फिर सांसद, अतीक अहमद ने ऐसे तय किया जुर्म से राजनीति तक का सफर
प्रयागराज के चर्चित उमेश पाल शूटआउट केस में नामजद होने के बाद माफ़िया अतीक अहमद की आज गोली मारकर हत्या कर दी गई. इससे पहले अतीक के बेटे की एंकाउंटर में मौत हो गई थी. अतीक अहमद का राजनीतिक इतिहास भी बहुत पुराना है. आइए, इसके बारे में जानते है.
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View In Appअतीक के गुनाहों की लिस्ट जितनी लंबी है, उससे कतई कम उसकी सियासी उपलब्धियां नहीं था. वह माफिया था, गैंग लीडर था, हिस्ट्रीशीटर था, बाहुबली था, दबंग था. साथ ही आतंक का दूसरा नाम भी था. लेकिन इन सबके बावजूद पांच बार विधायक और एक बार उस फूलपुर सीट से सांसद भी रहा, जहां से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू लोकसभा का चुनाव लड़ते थे.
अतीक अहमद साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बना.
साल 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और विधायक भी बना. 1996 में इसी सीट पर एसपी ने अतीक को टिकट दिया और वह फिर से विधायक चुना गया.
साल 2002 में अपना दल से ही चुनाव लड़ा पुरानी सीट से और 5वीं बार शहर पश्चिमी से विधानसभा में पहुंच गया.
साल 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी, अतीक की सपा में वापसी हुई.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से चुनाव लड़ा. और संसद पहुंच गया.
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