Chhath Puja 2024: छठ महापर्व के आखिरी कानपुर में लगा भक्ति का मेला, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर तोड़ा व्रत
आस्था का महापर्व डाला छठ देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के यह व्रत करती है. महिलाएं निर्जला व्रत रख इस पूजन में शामिल होती है.
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View In Appमहिलाएं बड़े ही उत्साह के साथ इस महापर्व को मनाती भी हैं. आज छठ पूजा के अंतिम दिन कानपुर में महिलाओं ने उगते सूरज का अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया.
सोलह श्रृंगार, निर्जला व्रत, पूजन सामग्री और आस्था के सागर में डुबकियां लगाते हुए महिलाओं ने व्रत के अंतिम दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर अपनी पूजा का संपन्न कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना की.
सूपे में फलों के साथ पूजन सामग्री, माथे से लेकर नाक तक लगे सिंदूर के साथ व्रतधारी महिलाएं इस दिन पानी के अंदर खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
इसके लिए बांस के सूप में फल, प्रसाद आदि लेकर भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हैं. सूर्य देव और छठी मैया से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करती हैं. उसके बाद छठ पूजा का प्रसाद खाते हैं.
व्रतधारी महिलाओं के अनुसार, छठ पूजा से घरों में खुशहाली आती है. मैया इस पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस पूजन में सबके कुशल होने की कामना की जाती है.
छठी मैया के साथ सूर्य देव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य देकर पूजन संपन्न किया जाता है. महिलाएं अपने पूजन को अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं व्रत को खोलती हैं.
इस पूजन को नदी के किनारे व्रती महिलाएं करती है लेकिन नदियों के साथ साथ अब पूजन के लिए पार्कों में भी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सरोवर की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई.
छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतियों ने 36 घंटे का अपना निर्जला उपवास को खोलती हैं. सभी के बीच ठेकुआ प्रसाद का वितरण किया गया.
मान्यता के मुताबिक सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है
पुराणों में जिक्र है कि इस व्रत का कितना असर है. राजा प्रियव्रत ने भी छठ व्रत रखा था. उन्हें कुष्ट रोग हो गया था. इस व्रत को रखने के बाद उन्हें इस बीमारी से मुक्ति भी मिल गई थी.
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