Ghazipur Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव के सामने ऑप्शन खत्म? अफजाल अंसारी की जगह मुख्तार की भतीजी को उम्मीदवार बनाएगी सपा!
लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की 16 सीटों पर मतदान हो चुके हैं और 64 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों पर वोटिंग बाकी है. इन सबके बीच गाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की चर्चा जोरों पर है.
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View In Appएक ओर जहां अफजाल इन दावों को खारिज कर चुके हैं कि उनका टिकट कटेगा, वहीं नुसरत अंसारी के प्रचार मैदान में उतरने और तस्वीरें सामने आने के बाद कयासों और अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
अफजाल अंसारी ने बीते दिनों कहा था कि विपक्षी उनके खिलाफ साजिश और षड़यंत्र कर रहे हैं इसलिए ऐसी खबरें आ रही हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. मुझे सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने के लिए योग्य ठहराया हुआ है.
इन सब दावों के बीच नुसरत के प्रचार मैदान में उतरने की तस्वीरों ने सियासत के गलियारों में नई चर्चा को बल दे दिया है. अभी तक अफजाल ने खुद भले इस पर कुछ न बोला हो लेकिन सोमवार रात उन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर नुसरत के प्रचार की तस्वीरें शेयर कीं.
तस्वीरों में नुसरत गाजीपुर स्थित सपा कार्यालय में अफजाल अंसारी और सदर विधायक जैकिशन साहू के साथ मंत्रणा करती दिख रहीं हैं. नुसरत डोर टू डोर प्रचा भी कर रहीं हैं.
बीते कई दिनों से यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अफजाल के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस क्यों हैं? तो आइए हम इस बारे में भी आपको बताते हैं. दरअसल, अफजाल बीते साल एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगेस्टर मामले में 4 साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गयी थी.
सजा के खिलाफ अफजाल इलाहाबाद हाइकोर्ट गए जहां उनको जमानत तो मिल गई लेकिन सजा पर रोक नहीं लगी. इसके बाद अफजाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सर्वोच्च न्यायालय ने अफजाल को लड़ने के लिए योग्य करार दिया. हालांकि इलाहाबाद हाइकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून 2024 तक मामले का निस्तारण का आदेश दिया था.
2 मई को इलाहाबाद हाइकोर्ट में इस मामले में सुनवाई होनी है. दूसरी ओर 7 मई से गाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में नामांकन शुरू होना है. अगर अफजाल की सजा हाइकोर्ट से बहाल होती है तो सपा प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. अगर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ती है और अफजाल चुनाव लड़ते हैं तब भी उनके ऊपर तलवार लटकती रहेगी.
ऐसे में अटकलें हैं तो इस चुनाव में अफजाल की बेटी मैदान में उतर सकती हैं. नुसरत का सपा कार्यालय पर आना और चुनाव प्रचार में शामिल होना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
अब आखिरी फैसला सपा प्रमुख अखिलेश यादव को करना है कि क्या वह अफजाल पर ही दांव लगाएंगे या अदालती फैसले के संदर्भ में सपा नेता की बेटी को टिकट देंगे. दरअसल, अंसारी परिवार से अब्बास अंसारी फिलहाल विधायक हैं. वहीं उनके कजिन मन्नू अंसारी भी विधायक हैं.
इकलौते उमर हैं जो अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़े हैं लेकिन माना जा रहा है कि उनके खिलाफ दर्ज मामलों को ध्यान में रखते हुए सपा उन्हें टिकट के लिए उपयुक्त मानने से बच रही है. वहीं मुख्तार की पत्नी अफ्शां फिलहाल फरार हैं. अब्बास की पत्नी निकहत भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जमानत पर है. ऐसे में सपा के पास अंसारी परिवार के भीतर उम्मीदवार बनाने का विकल्प सीमित है.
कुछ सियासी जानकारी सिबगतुल्लाह अंसारी को लेकर भी दावा कर रहे हैं. वह साल 2017 तक विधायक भी रहे और बीते दिनों जब मौजूदा लोकसभा चुनाव के संदर्भ में अंसारी परिवार और अखिलेश यादव की नजदीकियां बढ़ीं तो उन्हें सपा प्रमुख के साथ एक समारोह में भी देखा गया.
हालांकि सूत्रों का दावा है कि सपा ऐसे चेहरे पर विचार कर रही है जिस पर बीजेपी को ज्यादा आक्रामक होने का मौका न मिले और गाजीपुर सीट पर वह चुनाव जीत सके. बीजेपी ने इस सीट से पारस नाथ राय को उम्मीदवार बनाया है.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पूरे मुद्दे पर सपा प्रमुख अंतिम फैसला कब करते हैं या वह अफजाल की उम्मीदवारी को ही आगे बढ़ाने का निर्णय करेंगे. गाजीपुर लोकसभा सीट पर 1 जून को मतदान होगा और 4 जून को परिणाम आएंगे.
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