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Gorakhpur News: यूपी का ऐसा परिवार जहां 75 लोग रहते हैं एक साथ, 50 से अधिक हैं इस घर में वोटर

UP News: गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.

UP News: गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.

गोरखपुर में एक ही परिवार में 50 से अधिक मतदाता

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गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.
गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.
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गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.
गोरखपुर में एक ऐसा सामूहिक परिवार है जिसमें 75 सदस्य एक साथ रहते है. वहीं 50 से अधिक वोटर भी है. वहीं आश्चर्य की बात यह है कि आज भी यह 75 सदस्य का सामूबिक परिवार एक साथ रहता है.
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गांव के किसान और पशुपालक राजबली यादव के चार पुत्र और एक पुत्री है. जिनके बड़े पुत्र जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य रह चुके स्वर्गीय राम चन्द्र यादव ने प्रारम्भ में शिक्षा की अलख जगाकर परिवार को शून्य से आगे बढ़ाया. दूसरे पुत्र रामकवल यादव जो दिवंगत हैं.  तीसरे पुत्र छत्रधारी जो उच्च शिक्षित, एक कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य हैं. गांव के दो दशक तक प्रधान भी रहे हैं.
गांव के किसान और पशुपालक राजबली यादव के चार पुत्र और एक पुत्री है. जिनके बड़े पुत्र जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य रह चुके स्वर्गीय राम चन्द्र यादव ने प्रारम्भ में शिक्षा की अलख जगाकर परिवार को शून्य से आगे बढ़ाया. दूसरे पुत्र रामकवल यादव जो दिवंगत हैं. तीसरे पुत्र छत्रधारी जो उच्च शिक्षित, एक कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य हैं. गांव के दो दशक तक प्रधान भी रहे हैं.
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गोरखपुर के चौरीचौरा के राजधानी गांव के छत्रधारी यादव 75 लोगों के इस कुनबे के मुखिया हैं. छत्रधारी और उनकी पत्‍नी गांव के प्रधान भी रह चुके हैं. वे राजनीति से जुड़े रहे हैं. लेकिन परिवार में किसी तरह की राजनीति नहीं है. चार पुश्‍तें एक साथ मिलजुल कर रहती है. इस परिवार में 75 सदस्यों में 50 से अधिक लोग वोटर है.परिवार की महिलाओं के बीच बेहतर सामंजस्य भी है.
गोरखपुर के चौरीचौरा के राजधानी गांव के छत्रधारी यादव 75 लोगों के इस कुनबे के मुखिया हैं. छत्रधारी और उनकी पत्‍नी गांव के प्रधान भी रह चुके हैं. वे राजनीति से जुड़े रहे हैं. लेकिन परिवार में किसी तरह की राजनीति नहीं है. चार पुश्‍तें एक साथ मिलजुल कर रहती है. इस परिवार में 75 सदस्यों में 50 से अधिक लोग वोटर है.परिवार की महिलाओं के बीच बेहतर सामंजस्य भी है.
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इस परिवार के मुखिया छत्रधारी यादव ने बताया कि वे चार भाई थे, जिसमें से दो भाइयों की तो मृत्यु हो चुकी है. उनका एक छोटा भाई है, जो गोरखपुर में रहता है. वे परिवार के मुखिया के रूप में परिवार का भार संभाल रहे हैं. इसमें उन्हें बहुत ही खुशी मिलती है. उन्होंने बताया कि परिवार बहुत ही संस्कारी है, जिस वजह से ऐसा संभव हो पाया है. परिवार के सभी सदस्य आपसी सूझबूझ के साथ एक साथ मिलजुल खुशी-खुशी रहते हैं.
इस परिवार के मुखिया छत्रधारी यादव ने बताया कि वे चार भाई थे, जिसमें से दो भाइयों की तो मृत्यु हो चुकी है. उनका एक छोटा भाई है, जो गोरखपुर में रहता है. वे परिवार के मुखिया के रूप में परिवार का भार संभाल रहे हैं. इसमें उन्हें बहुत ही खुशी मिलती है. उन्होंने बताया कि परिवार बहुत ही संस्कारी है, जिस वजह से ऐसा संभव हो पाया है. परिवार के सभी सदस्य आपसी सूझबूझ के साथ एक साथ मिलजुल खुशी-खुशी रहते हैं.
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छत्रधारी यादव बहुत ही गर्व के साथ बताते हैं कि उनके घर का चूल्हा दिनभर जलता है. परिवार लंबा होने और एक ही रसोई होने की वजह से दिनभर किचन में कुछ न कुछ पकवान बनता रहता है. घर की सभी महिलाएं आपस में बेहतर सामंजस्य बनाकर एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाती हैं. खाना बनाने से लेकर सब्जियां काटने और बर्तन धुलने तक में महिलाएं सामंजस्य के साथ काम करती हैं.
छत्रधारी यादव बहुत ही गर्व के साथ बताते हैं कि उनके घर का चूल्हा दिनभर जलता है. परिवार लंबा होने और एक ही रसोई होने की वजह से दिनभर किचन में कुछ न कुछ पकवान बनता रहता है. घर की सभी महिलाएं आपस में बेहतर सामंजस्य बनाकर एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाती हैं. खाना बनाने से लेकर सब्जियां काटने और बर्तन धुलने तक में महिलाएं सामंजस्य के साथ काम करती हैं.
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कुनबे के मुखिया छत्रधारी यादव बताते हैं कि अमूमन घर में सभी लोग मौजूद नहीं रहते हैं. कुछ लोग काम के सिलसिले में शहरों में भी रहते हैं. वहीं कुछ लोग पढ़ाई-लिखाई अन्य जगहों पर कर रहे हैं. औसतन 45 से 50 लोग घर में रहते ही हैं. इस वजह से एक टाइम में कुल 7 से 8 किलो आटे की रोटियां बनती हैं.
कुनबे के मुखिया छत्रधारी यादव बताते हैं कि अमूमन घर में सभी लोग मौजूद नहीं रहते हैं. कुछ लोग काम के सिलसिले में शहरों में भी रहते हैं. वहीं कुछ लोग पढ़ाई-लिखाई अन्य जगहों पर कर रहे हैं. औसतन 45 से 50 लोग घर में रहते ही हैं. इस वजह से एक टाइम में कुल 7 से 8 किलो आटे की रोटियां बनती हैं.
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छत्रधारी यादव बताते हैं कि उनके घर में 50 से अधिक वोटर हैं. लिहाजा राजनीतिक पार्टियों की नजर उनके परिवार पर जरूर रहती है. क्योंकि एक मुश्‍त इतनी बड़ी संख्या में वोट मिल जाता है.
छत्रधारी यादव बताते हैं कि उनके घर में 50 से अधिक वोटर हैं. लिहाजा राजनीतिक पार्टियों की नजर उनके परिवार पर जरूर रहती है. क्योंकि एक मुश्‍त इतनी बड़ी संख्या में वोट मिल जाता है.
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छत्रधारी यादव का परिवार खुद राजनीति से जुड़ा हुआ है और वह खुद गांव के प्रधान रह चुके हैं. उनकी धर्मपत्नी भी गांव की प्रधान रह चुकी हैं. उनका परिवार पढ़ाई-लिखाई में भी अग्रणी हैं. घर के कुछ लोग प्रधानाचार्य और अध्यापक हैं. जबकि कुछ बच्‍चे बीटेक-बीफार्मा कर रहे हैं. घर के दो दर्जन से अधिक सदस्य सरकारी नौकरियां भी करते हैं.
छत्रधारी यादव का परिवार खुद राजनीति से जुड़ा हुआ है और वह खुद गांव के प्रधान रह चुके हैं. उनकी धर्मपत्नी भी गांव की प्रधान रह चुकी हैं. उनका परिवार पढ़ाई-लिखाई में भी अग्रणी हैं. घर के कुछ लोग प्रधानाचार्य और अध्यापक हैं. जबकि कुछ बच्‍चे बीटेक-बीफार्मा कर रहे हैं. घर के दो दर्जन से अधिक सदस्य सरकारी नौकरियां भी करते हैं.

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