IN Pics: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राममय हुई गोरखपुर की जेल, बंदी कर रहे हैं कीर्तन
ये बंदी अपनी गलतियों पर पछताते तो हैं, लेकिन उनके मामले न्यायालय में विचाराधीन होने और अपराध की संगीन धाराओं को देखते हुए उन्हें जेल में ही जीवन गुजारना पड़ता है.
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View In Appऐसे में वे खुली हवा में सांस नहीं ले सकते हैं. यहीं वजह है कि उन्हें अब अपने किए पर पछतावा होने के साथ प्रभु के चरणों में ही रम जाने में आनंद आने लगा है.
उनका मानना है कि भगवत गीता पढ़ने से विपरीत परिस्थितियों में मन को शांति और कामवासना, क्रोध, लालच, मोह माया बंधनों से व्यक्ति मुक्त हो जाता है. यही वजह है कि इस समय गोरखपुर जेल में अधिकतर बंदी भगवत गीता की डिमांड कर रहे हैं.
इतना ही नहीं, बंदी गीता पढ़कर अपने अपराध का प्रायश्चित और अच्छे रास्ते पर चलने का वचन ले रहे हैं.
गोरखपुर के जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय ने का कहना है, इस वक्त गोरखपुर जेल में कुल 1967 बंदी बंद हैं, जिसमे से करीब 450 बंदी सजायाफ्ता हैं. कई तो ऐसे भी बंदी हैं, जिनसे मिलने भी कोई नहीं आता है. वह भगवत गीता पढक़र अपना मानसिक तनाव कम करते हैं.
जेल में हत्या, लूट, चोरी, डकैती, रेप समेत कई जघन्य अपराध में लिप्त बदमाश बंद हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि कई ऐसे बंदी हैं, जिन्हें रात में बुरे सपने आते हैं. वह इस वजह से अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं. जेल में काफी समय से बंद रहने की वजह से उनके अंदर तनाव भी बढ़ गया था.
उन्होंने अब रात के समय भगवत गीता पढ़ना शुरू किया. अब उन्हें बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं, और वह जेल के अंदर अच्छा व्यवहार भी करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बैरक के बंदी कई दिनों से भगवत गीता की डिमांड कर रहे थे, उस बैरक में बुधवार को भी गीता वाटिका से करीब 50 भगवत गीता मंगाकर वितरित की है.
गोरखपुर मंडलीय कारागार में कुल 1972 बंदी हैं. इनमें 1597 बंदी अंडर ट्रायल हैं. 370 सजायाफ्ता, 110 महिला बंदी हैं. इनमें सजायाफ्ता महिला बंदी 27 और अंडर ट्रायल महिला बंदी 83 और कुल बैरक की संख्या 29 है.
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