IN Pics: गोरखपुर में जुमे की नमाज अदा कर मांगी अमन-शांति की दुआ, ईद जैसा दिखा माहौल
नमाज़ियों ने मुल्क में सुख-शांति, कौम की तरक्की खुशहाली, बैतुल मुकद्दस की आज़ादी, जुल्म-ज्यादती से निजात, अपना मुकद्दर संवारने व दुनिया से जा चुके पूर्वजों आदि के लिए दुआएं कीं.
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View In Appमुसलमानों के चेहरे पर माह-ए-रमज़ान के जाने का ग़म साफ़ नज़र आया. लबों पर जहन्नम से निजात व मग़फिरत की भी दुआ रही. उलमा किराम ने तकरीर में जकात, फित्रा, शबे कद्र, ईद सहित तमाम दीनी मामलात पर रोशनी डाली. अलविदा के मौके पर ईद जैसा माहौल नज़र आया.
गोरखपुर में मुस्लिम घरों में लोग सुबह उठकर अलविदा की तैयारी में जुट गए. मस्जिदों व घरों में साफ-सफाई शुरु होने लगी. लोगों ने जुमा का गुस्ल किया. नहा धोकर नये कपड़े पहने, इत्र लगाया, सिर पर टोपी लगाई हाथों में मुसल्ला लिया. नमाज़ी समय से पहले मस्जिद में पहुंच गए.
बच्चे, बुजुर्ग, नौजवान सभी का मकसद पहली सफ में जगह पाना रहा, जिसको जहां जगह मिली वहीं पर बैठकर अल्लाह की इबादत शुरु की. अज़ान होने से पहले ही मस्जिदें भरनी शुरु हो गईं. रमज़ान के अंतिम जुमा (अलविदा) की नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद नमाज़ियों से भर गईं.
ग्रामीण अंचलों से भी लोग नमाज़ अदा करने व ईद की खरीदारी करने शहर आए. अलविदा होने के कारण कुछ मस्जिदों में जगह कम पड़ गई. नमाज़ियों ने मस्जिद की छतों आदि पर दरी व चटाई बिछाकर नमाज़ अदा की. मस्जिद कमेटी ने नमाजियों की बड़ी तादाद के मद्देनजर चटाई, दरी, टोपी, वुज़ू के लिए पानी, शामियाना वगैरा का इंतजाम किया था.
जुमा की नमाज़ से पहले अलविदा का ख़ुत्बा पढ़ा गया. उसमें रमज़ान के फजाइल बयान किए गए. जुमा की दो रकात फ़र्ज़ नमाज इमाम ने पढ़ाई. इमाम ने खुसूसी दुआ मांगी. फिर सुन्नत व नफ्ल नमाज़ का दौर शुरु हुआ. अंत में सभी ने पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में सलातो-सलाम पेश किया.
अलविदा के मौके पर घरों में महिलाओं ने नमाज, तिलावत-ए-कुरआन व तस्बीह कर अल्लाह से दुआ मांगी. शाम में रोजेदार इफ्तार की तैयारी में जुट गए. इफ्तार का समय होने पर सभी ने मिलकर रोज़ा इफ्तार किया.
अल्लाह से अपने लिए खैर व बरकत की दुआ मांगी. पूरा अलविदा अल्लाह की इबादत में बीता. इस तरह 25वां रोज़ा मुकम्मल हो गया. रोजेदारों ने अलविदा के दिन सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़कर, कुरआन-ए-पाक की तिलावत करके गुनाहों की माफ़ी भी मांगी. रमजानुल मुबारक के अंतिम जुमा (अलविदा) में उलमा किराम अवाम से मुखातिब हुए खूब नसीहत की.
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि आपसी भाईचारा को कायम रखें. फित्रा व जकात की रकम जल्द निकाल हकदारों तक पहुंचा दें. गुनाहों से तौबा करें.
बेलाल मस्जिद अलहदादपुर में कारी शराफत हुसैन कादरी ने कहा कि रमज़ानुल मुबारक रुखसत हो रहा है जिसकी हर घड़ी रहमत भरी है और जिसमें हर आन छमाछम रहमतें बरसती है, जिसमें जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं. दोजख के दरवाजों पर ताले पड़ जाते हैं.
मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में मौलाना मो. फिरोज निजामी ने कहा कि ईद की रात बहुत बरकत वाली होती है लिहाजा इसे इबादत में गुजारें. ईद की रात ईनाम मिलने की रात है, इसे घूम टहल कर बाज़ार में बर्बाद न करें. मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा कि ईद सिर्फ मजहबी त्योहार ही नहीं है, बल्कि यह इंसानियत का भी त्योहार है.
वहीं चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि हमें अल्लाह के हुक्म के मुताबिक ज़िंदगी गुजारनी चाहिए. गरीबों, यतीमों, फकीरों की जकात व फित्रा से मदद करें.सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार में हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब रमज़ान की आख़िरी रात आती है, तो जमीन व आसमान और फरिश्ते मेरी उम्मत की मुसीबत को याद करके रोते हैं.
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