IN Pics: पर्यावरण को बचाने की मुहिम में ‘मिस्टर बोनसाई’ बन गए गोरखपुर के रवि द्विवेदी, देखें तस्वीरें
World Environment Day 2024: विश्व पर्यावरण दिवस पर हम आपको ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं, जिनके अंदर एक नहीं दो-दो कलाओं का संगम दिखाई देता है. पेशे से बैंकर रहे रवि द्विवेदी 45 वर्षों से पर्यावरण की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर चुके हैं. उनके बगीचे में 500 से अधिक औषधीय बोनसाई पौधे ऑक्सीजन का भंडार हैं.
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View In Appरवि द्विवेदी बताते हैं कि वर्ष 1977-78 में वे जयपुर गए थे. वहां पर उनके एक रिश्तेदार की पत्नी ने बोनसाई विधि से सात-आठ पौधों को गमले में लगाया था. जब उन्होंने इस विधि के बारे में उनसे जानकारी चाही, तो उन्होंने ये कहकर टाल दिया कि ये सबके बस की बात नहीं है. यहीं से उन्हें बोनसाई पौधों को लगाने की ललक मन में जाग गई. 1987 में वो महिला उनके घर आईं, तो वे मिस्टर बोनसाई के नाम से मशहूर हो चुके थे.
गोरखपुर के दस नंबर बोरिंग राजेन्द्र नगर के रहने वाले 64 वर्षीय रवि द्विवेदी पूर्वांचल बैंक में अधिकारी रहे हैं. उनके बोनसाई प्रेम और पेंटिंग की कला के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यावरणविद माइक एच. पाण्डेय भी मुरीद हैं.
विश्व पर्यावरण दिवस पर भी वे ‘प’ यानी प्रकृति और पौधों की सेवा को परमेश्वर की सेवा मानकर उनकी साधना में सुबह से ही जुटे हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के बीच उनका घर-आंगन औषधीय गुणों का खजाना है. उनके घर-आंगन में लगे औषधीय गुणों से भरपूर पौधे उनकी 45 वर्षों की साधना का फल हैं.
मिस्टर बोनसाई रवि द्विवेदी के लिए पौधे उनके बच्चों की तरह हैं. इन्होंने पौधों को पाल-पोसकर बड़ा किया है. यही वजह है कि जो भी पौधा उनके घर पर आ जाता है, वो उनके आंगन का हिस्सा बन जाता है. पीपल, बांस, एलोवेरा, नीम, तुलसी, बरगद, अशोक, रुद्राक्ष, जामुन, शरीफा, विश्व का सबसे महंगा ‘मियाजाकी’ प्रजाति के साथ विश्व प्रसिद्ध थाईलैंड का लाल रंग का होने वाला 12 मासी आम भी उनकी बगिया का हिस्सा है. उनकी बगिया में अनेकों ऐसे बोनसाई भी मिल जाएंगे, जो सिर्फ ठंडी जगह पनपते हैं. वे कहते हैं कि प्रकृति की सेवा करते हुए 45 वर्ष बीत गए हैं.
रवि द्विवेदी कहते हैं कि ये भी संयोग की बात हैं कि विश्व पर्यावरण दिवस के दिन ही गोरक्षपीठ के महंत आदित्यनाथ का जन्मदिन भी पड़ता है. यही वजह है कि वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उन्हें ‘बोनसाई वाटिका’ के लिए सरकार की ओर से जमीन मिल जाए, जिससे वे बोनसाई के संरक्षण के साथ भावी पीढ़ी को भी इस हुनर को आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर सकें.
रवि द्विवेदी के आंगन में गमलों में 43 साल पुराने बरगद, पीपल, बांस, अर्जुन, अशोक, शहतूत, करौंदा, अमड़ा, रुद्राक्ष और गूलर औषधीय गुणों से भरपूर पौधे ऑक्सीजन के भंडार हैं. उनके आंगन में सबसे महंगा पौधा साइकस का है. जिसे उन्होंने वर्ष 2002 में 700 रुपए में खरीदा था.
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