Independence Day 2022 Special: झांसी की रानी से लेकर भगत सिंह तक, भारत की आजादी के वो नायक जिन्होंने देश के लिए बलिदान किया सबकुछ
Independence Day 2022: देश आजादी की 75वीं सालगिरह मनाने की तैयारी कर रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत हर घर तिरंगा अभियान समेत कई कार्यक्रम देशभर में देखने को मिल रहे हैं. लेकिन अहम बात ये कि क्या आज की पीढ़ी भारत आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले नायकों के बारे में जानती है. वैसे तो भारत को मिली आजादी के पीछे अनगिनत लोगों का खून और पसीना छिपा है लेकिन आज हम आपको भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन के उन नायकों के बारे में बताएंगे. जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.
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View In Appरानी लक्ष्मीबाई - भारत की आजादी में योगदान देने वाली महिलाओं की एक लंबी फेहरिस्त है. इन महिलाओं में एक अहम नाम हैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई. अंग्रेजों को युद्ध में नाकों चने चबवा देने वाली ये वीर योद्धा अपनी शहादत तक अंग्रेजों के साथ युद्ध करती रहीं.
शहीद भगत सिंह - छोटी सी उम्र में ही देश की आजादी का सपना देखने वाला ये वीर अंग्रेजों को ऐसा सबक सिखा गया जो बाद में चलकर भारत की आजादी का सूत्रधार बना. असहयोग आंदोलन में हिस्सा हो या फिर अंग्रेजों से सशस्त्र लड़ाई, भगत सिंह लंबे वक्त तक ना सिर्फ अंग्रेजी शासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने रहे बल्कि महज 23 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए फांसी का फंदा चूम लिया था.
चंद्रशेखर आजाद - भारतीय स्वतंत्रता के सबसे बड़े नायकों में से एक और आखिरी दम तक अंग्रेजों के हाथ ना आने वाले चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश शासन को लगातार चुनौती दी. जब लगा कि अब अंग्रेज उन्हें पकड़ लेंगे तो भीषण गोलीबारी के बाद उन्होंने आखिरी गोली से अपनी जीवनलीला खत्म कर ली थी.
शिवराम राजगुरु - अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में अपना सबकुछ बलिदान करने वाला ये नौजवान भारत के नायकों में आज भी जाना जाता है. भगत सिंह के साथियों में शुमार आजादी के इस दीवाने ने भी देश के लिए फांसी का फंदा चूमा था.
अशफाकउल्ला खान - अंग्रेजी शासन पर लगातार प्रहार करने वाले नायकों में से एक अशफाकउल्ला खान काकोरी कांड में अहम भूमिका निभाई थी. अंग्रेजों के खजाने से भरी ट्रेन लूटने वाले क्रांतिकारियों में शुमार अशफाक बाद में पकड़े गए थे और अंग्रेजों के अत्याचारों को सहना पड़ा था.
मंगल पांडे - कभी ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में एक सिपाही रहे मंगल पांडे के मन में अंग्रेजों के खिलाफ पनपा विद्रोह का बीज एक बड़ा आंदोलन तैयार कर गया था. 1857 की आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत भी मंगल पांडेय के विद्रोह के साथ ही शुरू हुई थी.
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