Joshimath Sinking Reason: सच निकली जोशीमठ पर 53 साल पुरानी रिपोर्ट, तस्वीरों में देखें 610 घरों में दरार, 68 परिवारों का रेस्क्यू
जोशीमठ में 1970 के दशक में जमीन धंसने की घटनाओं की सूचना मिली थी. तब एक समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि शहर और माणा घाटियों में प्रमुख निर्माण कार्य नहीं किए जाने चाहिए.
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View In Appउन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना मुश्किल होगा.
बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के प्रवेश द्वार जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं.
चमोली डीएम हिमांशु खुराना ने रविवार को बताया कि जोशीमठ को भूस्लखन के व्यापक खतरे वाला क्षेत्र घोषित किया गया है और 68 प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है.
जमीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करने वाली समिति के प्रमुख कुमार ने कहा कि नुकसान की सीमा को देखते हुए, कम से कम 90 और परिवारों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जायेगा.
उन्होंने कहा कि जोशीमठ में कुल 4,500 मकान हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें पड़ गई हैं, जिससे ये रहने लायक नहीं रह गई हैं.
वर्ष 1970 के दशक में भी जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं की सूचना मिली थी. गढ़वाल आयुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने 1978 में एक रिपोर्ट सौंपी थी.
रिपोर्ट में कहा गया था कि शहर और नीती तथा माणा घाटियों में प्रमुख निर्माण कार्य नहीं किए जाने चाहिए.
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