शहीद दिवस पर आजमगढ़ के लाल राम समुझ यादव को पुष्प चक्र अर्पित कर दी श्रद्धांजलि, देखें तस्वीरें
Kargil Vijay Diwas 2024 News: देश आज कारगिल शहीद दिवस की 25वीं वर्षगांठ बना रहा है. वर्ष 1999 का कारगिल युद्ध जिसमें देश की आन बान शान की रक्षा के लिए सैकड़ों जवानों ने जान गंवा दी, लेकिन देश पर आंच नही आने दी. उन्हीं शहीद जवानों में एक आजमगढ़ के राम समुझ यादव भी हैं, जिन्होंने तेज बुखार के बीच न केवल 56/85 पहाड़ी पर चढ़ाई की बल्कि अपनी आठ सदस्यीय टीम के साथ चोटी पर पाक के 21 सैनिकों को मौत के घाट उतार चौकी पर कब्जा किया. इस लड़ाई में हिदुस्तान के आठ में से सात जवान शहीद हो गए थे.
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View In Appआजमगढ़ जिले के सगड़ी तहसील क्षेत्र के नत्थूपुर गांव के किसान परिवार में जन्में रामसमुझ पुत्र राजनाथ यादव तीन भाई बहनों में बड़े थे. उनका सपना सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था. उनका यह सपना वर्ष 1997 में पूरा हुआ, जब वारणसी में वे आर्मी में भर्ती हो गए. इनकी ज्वाइनिंग 13 कुमाऊं रेजीमेंट में हुई और पहली पोस्टिंग सियाचिन ग्लेशियर पर हुई.
तीन महीने बाद सियाचिन ग्लेशियर से नीचे आने के बाद परिवार के कहने पर राम समुझ ने छुट्टी के लिए अप्लाई किया. छुट्टी मंजूर हो गई और परिवार के लोग शादी की तैयारी में जुट गए. इसी बीच कारगिल का युद्ध शुरू हुआ और राम समुझ की छुट्टी रद्द कर कारगिल भेज दिया गया ओर वह कारगिल में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए. राम समुझ की शहादत पर परिवार को गर्व है. शहीद के पिता राजनाथ यादव, भाई प्रमोद यादव और माता प्रतापी देवी कहती हैं कि उन्हें आगे भी मौके मिला तो अपने परिवार के बच्चों को सेना में भेजेंगी.
कारगिल युद्ध के दौरान राम समुझ को जब 56/85 पहाड़ी पर हमले को कहा गया. उनकी टुकड़ी में एक कमांडर और सात जवान थे. उन्हें रात में चढ़ाई करनी थी और सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर अटैक करना था. पाक सैनिक पहाड़ी की चोटी पर थे. ऊपर से पत्थर भी गिराते थे तो भारतीय सेना को क्षति पहुंचती थी. एक तरफ पड़ाही बिल्कुल सीधी थी जिसपर चढना आसान नहीं था. उस तरफ नजर भी कम होती थी, इसलिए उसी तरफ से रात में चढ़ने का फैसला किया गया. इस पहाड़ी पर 56 फुट के बाद 85 फुट तक केवल रस्सी से ही चढ़ा जा सकता है.
शाहीद रामसमुझ यादव के छोटे भाई प्रमोद यादव ने बताया कि उनके बड़े भाई कारगिल युद्ध में 30 अगस्त 1999 को शहीद हुए थे. तब उनकी उम्र 10 वर्ष की थी. गर्व है कि वह शहीद के भाई हैं. बताया कि रामसमुझ यादव का बचपन गरीबी में बीता था, लेकिन देश सेवा का जज्बा दिए वह सेवा में भर्ती हुए. बताया कि बड़े भाई की याद में प्रतिवर्ष 30 अगस्त को वह शहीद मेले का आयोजन करते हैं, जिससे कि लोग राम समुझ को याद कर सके और युवा पीढ़ी को सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का प्रेरणा मिले. उन्होंने बताया कि राम समुझ यादव से प्रेरणा लेकर उनके परिवार के कई युवक सेवा में भर्ती हुए हैं.
आजमगढ़ में कारगिल शहीद दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. सूबेदार मेजर के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट्स ने शहीद रामसमुझ यादव की प्रतिमा पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान सभी कैडेट्स को रामसमुझ यादव के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.
कारगिल शहीद दिवस पर बच्चों ने चार्ट बनाए थे जिसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सम्मानित भी किया गया शहीद के परिवार को भी सम्मानित किया गया.
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