IITian बाबा की जिंदगी का वो दौर जब हुए डिप्रेशन का शिकार, फिर ऐसे मिली नई राह
महाकुंभ में बाबाओं के अलग अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. महाकुंभ में एक आईआईटीएन वैरागी बाबा से मुलाकात हुई.जो जीवन में क्या और क्यों की खोज में अलग-अलग काम किया, अलग-अलग पढ़ाई की.
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View In Appबाबा ने इंजीनियरिंग से लेकर ह्यूमैनिटी तक डिजाइनिंग से लेकर आईईएलटीएस का एग्जाम क्वालीफाई कर विदेश भी जाकर नौकरी की . पर यथार्थ की तलाश में अलग अलग विषयों का ज्ञान लेते हुए वैराग्य ले लिया.
महाकुंभ में अभय सिंह नामक वैरागी बाबा ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि 2007 में उनकी इंजीनियरिंग में काफी खराब रैंक आई थी जिसके बाद उन्होंने तैयारी की और 2008 में उनकी 726 रैंक आईआईटी में.
बाबा ने कहा कि मुझे तो 12वीं तक आईआईटी के बार में पता नहीं था. घर की तमाम समस्याओ के कारण उनको अपने घर से दूर जाना था इस कारण उन्होंने आईआईटी बॉम्बे चुना. पर वहां इस रैंक पर सीएस, आईटी जैसे ट्रेड नहीं मिल सकते थे तब एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ने उनको आकर्षित किया .
बाबा को लगा एयरस्पेस इंजीनियरिंग में कुछ नया पढ़ने और सीखने के लिए मिलेगा पर उसमें भी जब मजा नहीं आई तो वहां रहते हुए ह्यूमैनिटी के अलग विषय पढ़े जिसमे फिलासफी से जुड़े हुए अलग-अलग विषय पढ़े.
उन्होंने कहा कि इन तमाम चीजों के बाद बड़ी नौकरी लग सकती थी लेकिन उनको डिजाइनिंग की तरफ इंटरेस्ट जागा, इसके लिए उन्होंने 1 साल कोचिंग में पढ़ाया और तैयारी की.
फिर उनका डिजाइनिंग के कोर्स में एडमिशन हुआ जहां 2 साल डिजाइनिंग पढ़ी और फिर उनकी नौकरी फोटोग्राफी के काम मे लग गई जिसमें उनको अलग-अलग जगह पर घूमना था और फोटोग्राफी करनी थी. उनको लगा यह तो अच्छा काम है पर एक समय के बाद उसे भी मन हो गया और जीवन का मकसद नहीं मिला.
एक समय के बाद वह डिप्रेशन रहने लगे तो उनको बहन ने उनको संभालने की कोशिश की और कनाडा बुलाया और वहां पर भी उनकी नौकरी लगी लेकिन वहां भी जिंदगी जीने का और जीवन का कारण नहीं मिल रहा था. वहां फिर डिप्रेशन में आ गए और कोरोना के बाद वापस इंडिया आए. यहां आकर उन्होंने अलग-अलग विधा की पढ़ाई करनी शुरू की. इसके बाद उन्हें जीवन की नई राह मिली.
समय मिलने पर पैदल चारों धाम की यात्रा की. पैदल उत्तराखंड में अलग-अलग जगह और हिमाचल में अलग-अलग जगह की यात्रा करी और जीवन को जानने की कोशिश की. फिलहाल अलग-अलग विधा में पारंगत हो रहे हैं और उनका कहना है मुझे कुछ नहीं बनना है मुझे NOBODY बनना है.
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