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Muharram 2022: बड़ी तादाद में भीड़ ने किया पाक घोड़े का दीदार, पिछले 166 सालों से निकाली जा रही है दुलदुल सवारी, देखिए- इन तस्वीरों में

Mahoba News: महोबा के चरखारी में मुहर्रम की सातवीं को इमाम हुसैन की दुलदुल सवारी पाक घोड़ा पिछले 166 सालों से निकाली जा रही है. इमाम की सवारी से सभी धर्मों के लोगों का खासा लगाव है.

Mahoba News: महोबा के चरखारी में मुहर्रम की सातवीं को इमाम हुसैन की दुलदुल सवारी पाक घोड़ा पिछले 166 सालों से निकाली जा रही है. इमाम की सवारी से सभी धर्मों के लोगों का खासा लगाव है.

(बड़ी तादाद में भीड़ ने किया पाक घोड़े का दीदार, पिछले 166 सालों से निकाली जा रही है दुलदुल सवारी)

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इस्लाम की खातिर अपना सर कटाने वाले इमाम हुसैन को यूं तो सारी दुनिया में अपने-अपने तरीके से याद किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के महोबा के चरखारी में मुहर्रम की सातवीं को इमाम हुसैन की दुलदुल सवारी पाक घोड़ा पिछले 166 सालों से निकाला जा रहा है. हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक इमाम की सवारी से सभी धर्मों के लोगों का खासा लगाव है. ऐसी मान्यता है कि इमाम हुसैन का घोडा जिस श्रद्धालू का प्रसाद खा लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है और अकीदतमंद चांदी का नींबू सवारी में चढ़ाता है. यहां 70 से 80 हजार की भीड़ इमाम हुसैन की सवारी का दीदार करने आती है. डीएम और एसपी ने घोड़ें को जलेबी खिलाकर जुलूस का शुभारंभ किया.
इस्लाम की खातिर अपना सर कटाने वाले इमाम हुसैन को यूं तो सारी दुनिया में अपने-अपने तरीके से याद किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के महोबा के चरखारी में मुहर्रम की सातवीं को इमाम हुसैन की दुलदुल सवारी पाक घोड़ा पिछले 166 सालों से निकाला जा रहा है. हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक इमाम की सवारी से सभी धर्मों के लोगों का खासा लगाव है. ऐसी मान्यता है कि इमाम हुसैन का घोडा जिस श्रद्धालू का प्रसाद खा लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है और अकीदतमंद चांदी का नींबू सवारी में चढ़ाता है. यहां 70 से 80 हजार की भीड़ इमाम हुसैन की सवारी का दीदार करने आती है. डीएम और एसपी ने घोड़ें को जलेबी खिलाकर जुलूस का शुभारंभ किया.
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इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और हुसैन ने सच्चाई और अपनी उम्मत के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की और इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए. उनकी इस शहादत को इस्लाम के लोग ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग मुहर्रम को याद करते है. चरखारी में पिछले 166 सालों से इमाम हुसैन को याद करने के लिए इमाम की सवारी दुलदुल निकाली जाती है. माना जाता है की इमाम हुसैन दुलदुल नाम के अपने इसी घोड़े पर बैठ कर कर्बला के मैदान में यजीदी फौज से अपनी उम्मत और सच्चाई के लिए जंग करने गए थे और नमाज के वक्त सजदे में सर कटाकर अपने आप को दीन की खातिर शहीद कर दिया था.
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और हुसैन ने सच्चाई और अपनी उम्मत के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की और इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए. उनकी इस शहादत को इस्लाम के लोग ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग मुहर्रम को याद करते है. चरखारी में पिछले 166 सालों से इमाम हुसैन को याद करने के लिए इमाम की सवारी दुलदुल निकाली जाती है. माना जाता है की इमाम हुसैन दुलदुल नाम के अपने इसी घोड़े पर बैठ कर कर्बला के मैदान में यजीदी फौज से अपनी उम्मत और सच्चाई के लिए जंग करने गए थे और नमाज के वक्त सजदे में सर कटाकर अपने आप को दीन की खातिर शहीद कर दिया था.
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इसी याद को ताजा करने के लिए इस गम के माहौल में इमाम की सवारी निकाली गई. ये सवारी चरखारी कस्बे के मुकेरीपुरा मुहाल से दुलदुल सजाकर निकाली गई. वर्षों से इसी श्रद्धा के साथ इमाम की सवारी निकलती है जिसमें अकीदतमंद अपनी मन्नतें लेकर इमाम की सवारी पर हाजरी देते है और पाक घोड़े को जलेबी खिलाकर प्रसाद चढ़ाते है. डीएम मनोज कुमार और एसपी सुधा सिंह ने हुसैन की सवारी घोड़ा को जलेबी खिलाकर जुलूस को रवाना किया जो सुबह 5 बजे तक कस्बे में निर्धारित स्थानों में घूमता रहा. इस मौके पर डीएम मनोज कुमार ने कहा कि सच्चाई के रास्ते पर हुसैन ने अपने आप को कुर्बान कर दिया. सत्य के लिए सब कुछ लुटा दिया उनकी इस सीख को सभी जीवन मे उतारना है और हो सत्य के विपरीत काम करें उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए.
इसी याद को ताजा करने के लिए इस गम के माहौल में इमाम की सवारी निकाली गई. ये सवारी चरखारी कस्बे के मुकेरीपुरा मुहाल से दुलदुल सजाकर निकाली गई. वर्षों से इसी श्रद्धा के साथ इमाम की सवारी निकलती है जिसमें अकीदतमंद अपनी मन्नतें लेकर इमाम की सवारी पर हाजरी देते है और पाक घोड़े को जलेबी खिलाकर प्रसाद चढ़ाते है. डीएम मनोज कुमार और एसपी सुधा सिंह ने हुसैन की सवारी घोड़ा को जलेबी खिलाकर जुलूस को रवाना किया जो सुबह 5 बजे तक कस्बे में निर्धारित स्थानों में घूमता रहा. इस मौके पर डीएम मनोज कुमार ने कहा कि सच्चाई के रास्ते पर हुसैन ने अपने आप को कुर्बान कर दिया. सत्य के लिए सब कुछ लुटा दिया उनकी इस सीख को सभी जीवन मे उतारना है और हो सत्य के विपरीत काम करें उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए.
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बताया जाता है कि इमाम की इस सवारी से जो श्रद्धालू मन्नत करता है उसे अपनी मन्नत के लिए घोड़े के शरीर में लगे तीरों में नीबू लगाने का रिवाज है और जब श्रद्धालू की मन्नत पूरी हो जाती है तो श्रद्धालू अगले साल इसी नीबू की जगह चांदी और सोने का नीबू अपनी श्रद्धा के अनुसार इमाम की सवारी में चढ़ाता है. यहां सोने के दूकानदार हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुए इमाम कि सवारी में लगने वाले चांदी के नीबू की बिक्री के लिए पूरा सहयोग करते है. इनका मानना है कि आने वाले अकीदतमंद सवारी में चांदी का नीबू चढ़ाने के लिए यहाँ आकर नीबू खरीदते है.
बताया जाता है कि इमाम की इस सवारी से जो श्रद्धालू मन्नत करता है उसे अपनी मन्नत के लिए घोड़े के शरीर में लगे तीरों में नीबू लगाने का रिवाज है और जब श्रद्धालू की मन्नत पूरी हो जाती है तो श्रद्धालू अगले साल इसी नीबू की जगह चांदी और सोने का नीबू अपनी श्रद्धा के अनुसार इमाम की सवारी में चढ़ाता है. यहां सोने के दूकानदार हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुए इमाम कि सवारी में लगने वाले चांदी के नीबू की बिक्री के लिए पूरा सहयोग करते है. इनका मानना है कि आने वाले अकीदतमंद सवारी में चांदी का नीबू चढ़ाने के लिए यहाँ आकर नीबू खरीदते है.
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हजरत इमाम हुसैन की इस सवारी में हिन्दू भाइयों द्वारा लंगड़ का इंतेजाम भी किया जाता है. जिसे यहां आने वाले लोग प्रसाद के रूप में खाते है. लोगों की मान्यता है कि इमाम के घोड़े को जलेबी प्रसाद के रूप में खिलाने से उनकी सारी मन्नतें पूरी हो जाती है. शायद यही वजह है कि यहां जलेबी की दुकाने बड़ी तादाद में लगती है और आने वाले लोग इमाम कि सवारी को अपना- अपना प्रसाद अपने हाथों से सवारी को खिलाने के लिए लोगों का हुजूम सवारी को घेर लेता है.
हजरत इमाम हुसैन की इस सवारी में हिन्दू भाइयों द्वारा लंगड़ का इंतेजाम भी किया जाता है. जिसे यहां आने वाले लोग प्रसाद के रूप में खाते है. लोगों की मान्यता है कि इमाम के घोड़े को जलेबी प्रसाद के रूप में खिलाने से उनकी सारी मन्नतें पूरी हो जाती है. शायद यही वजह है कि यहां जलेबी की दुकाने बड़ी तादाद में लगती है और आने वाले लोग इमाम कि सवारी को अपना- अपना प्रसाद अपने हाथों से सवारी को खिलाने के लिए लोगों का हुजूम सवारी को घेर लेता है.

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