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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mukhtar Ansari की हालत गंभीर, परिजनों को बुलाया गया बांदा, जानें- अब तक के बड़े अपडेट्स
माफिया डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रात बांदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया है.
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View In Appसूत्रों के मुताबिक, कड़ी सुरक्षा के बीच अंसारी को अस्पताल लाया गया. पुलिस प्रशासन ने मेडिकल कॉलेज को छावनी में तब्दील कर दिया है.
ABP न्यूज़ के पास वो वायरलेस मैसेज जो बांदा जेल से आज सुबह मुख़्तार के परिवार को भेजा गया है. इसमें लिखा है कि जीवन रक्षार्थ उसे तत्काल बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया जा रहा है.
मुख़्तार अंसारी के बड़े भाई अफ़जाल, पत्नी अफशां और बेटे उमर को वायरलेस से मेसेज देकर तुरंत बुलाया गया. महमूदाबाद थाने पर भेजा गया वायरलेस मैसेज परिवार रास्ते में है.
परिवार का आरोप है कि खाने में धीमा ज़हर दिया गया है. परिवार का आरोप - उसरीचट्टी मामले में गवाही से रोकने के लिए ये सब किया गया है. उसरीचट्टी में ब्रजेश सिंह के ख़िलाफ़ गवाही देनी है.
मुख्तार अंसारी ने पत्र में लिखा था कि 19 मार्च को उन्हें जो खाना दिया गया था उसमें कोई जहरीला पदार्थ मिलाया गया था. इसे खाने के बाद वह बीमार पड़ गये.
इसके अलावा मुख्तार अंसारी के वकील नसीम हैदर ने कहा कि उनके पेट में बुहत ज्यादा तकलीफ है . हालत हल्की फुल्की ठीक है.
मुख्तार अंसारी की सेहत को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने प्रेस रिलीज जारी किया. प्रेस रिलीज के मुताबिक मुख्तार की हालत अभी स्थिर है.
कुछ दिन पहले मुख्तार अंसारी ने कहा था कि उनकी जान को खतरा है. उन्होंने आशंका जताई थी कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा है. इस मामले में लापरवाही बरतने पर बांदा जेल के जेलर और दो डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया गया. साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गयी.
एंबुलेंस मामले में मुख्तार अंसारी को पिछले गुरुवार को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह कोर्ट नहीं पहुंचे और अपने वकील के जरिए जज को अर्जी भेजकर कहा कि बांदा जेल में उनकी जान को खतरा है.
दूसरी ओर मुख्तार से मिलने बांदा पहुंचे परिजनों का दावा है कि उन्हें मुख्तार अंसारी से मिलने नही दिया गया.
उन्होंने पत्र में लिखा था कि खाना खाने के बाद उनके हाथ-पैर की नसों में तेज दर्द होने लगा और फिर उनके हाथ-पैर ठंडे होने लगे.
इससे पहले 13 मार्च को बांदा जेल में बंद अंसारी को 36 साल पुराने गाजीपुर फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
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