In Pics: 60 साल से दर-बदर है भारत-चीन सीमा पर बसे इन दो गांवों के लोग, अब सरकार से की ये मांग
भारत और चीन सीमा पर बसे गांवों को लेकर हमेशा से विकसित करने की मांग रही है. सरकार भी सीमा पर मौजूद गांवों को विकसित करने और सशक्त करने की बात कहती रही है. वहीं अब भारत-चीन सीमा से सटे नेलांग और जादुंग गांव की पुनर्स्थापना की मांग तेज होती जा रही है. दोनों गांवों के ग्रामीणों ने यहां सुविधाएं बढ़ाने और गांवों को विकसित करने की मांग की है.
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View In Appजादुंग और नेलांग गांवों के ग्रामीणों ने अपने गांवों को आदर्श गांव के तौर पर विकसित करने की मांग की है. साथ ही उत्तराखंड सरकार से गांवों के लिए मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने और बेहतर रास्तों के निर्माण की भी मांग की है.
ग्रामीणों की मांग है कि दोनों गांवों को इनरलाइन और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से अलग किया जाए. साथ ही नेलंग और जादुंग में प्रवेश के लिए विशेष अनुमति की बाध्यता को भी खत्म किया जाए.
दोनों ही गांवों के ग्रामीणों ने मांग की है कि जैसे चमोली और पिथौरागढ़ के मूल निवासी आज भी अपने सीमान्त पैतृक गांवों में अपना जीवनयापन कर रहे हैं. वैसे ही नेलांग और जादुंग गांव के जाड भोटिया परिवार भी अपने गांवों में आबाद होना चाहते हैं.
दरअसल 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त अपने गांव खाली करने पड़े थे. जिसके बाद इन दोनों ही गांवों के लोगों को अपने रिश्तेदारों के यहां बगोरी और डुंडा में शरण लेनी पड़ी थी. उस वक्त नेलांग गांव में करीब 40 परिवार और जादुंग गांव में करीब 30 परिवार बसते थे.
मौजूदा वक्त की बात करें तो नेलांग के 120 परिवार और जांदुंग के 60 परिवार अलग-अलग जगहों पर रहते हैं और अपने गांवों में वापसी की मांग कर रहे हैं. अब इन परिवारों ने प्रशासन से घरवापसी कराए जाने की अपील की है.
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