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UP Elections 2022: यूपी चुनाव में अगर ये सीट जीती तो बन जाती है सरकार! आंकड़ें भी देते हैं इस बात की गवाही, जानिए इसके बारे में
![](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/de345bf281b88bbf2350e1b189f5ae99_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
हस्तिनापुर,
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![UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सियासी बिसात बिछ चुकी है. तमाम सियासी दल अपने-अपने दांव चल रहे हैं. हर सीट को लेकर समीकरण पर मंथन हो रहा है. ऐसे में कई सीट ऐसी भी हैं जो दशकों से किसी ना किसी दिलचस्प तथ्यों से जुड़ी हैं. इन सीटों पर कई मिथक हैं जो टूटे नहीं हैं. ऐसी ही एक सीट है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट. इस सीट को लेकर कहा जाता है कि ये सीट जिस पार्टी के कब्जे में जाती है. उसी दल की प्रदेश में सरकार का गठन होता है. ये संयोग काफी दिलचस्प हैं लेकिन तथ्य इन दावों को पुख्ता भी करते हैं. इस सीट से जुड़ी ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें आपको बताते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/83bb5b1952c85bf8eb5e7e321457593053c39.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सियासी बिसात बिछ चुकी है. तमाम सियासी दल अपने-अपने दांव चल रहे हैं. हर सीट को लेकर समीकरण पर मंथन हो रहा है. ऐसे में कई सीट ऐसी भी हैं जो दशकों से किसी ना किसी दिलचस्प तथ्यों से जुड़ी हैं. इन सीटों पर कई मिथक हैं जो टूटे नहीं हैं. ऐसी ही एक सीट है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट. इस सीट को लेकर कहा जाता है कि ये सीट जिस पार्टी के कब्जे में जाती है. उसी दल की प्रदेश में सरकार का गठन होता है. ये संयोग काफी दिलचस्प हैं लेकिन तथ्य इन दावों को पुख्ता भी करते हैं. इस सीट से जुड़ी ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें आपको बताते हैं.
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![विधानसभा चुनाव 2017 के आंकड़े पर नज़र डालें तो हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के दिनेश खटीक (Dinesh Khateek) ने जीत दर्ज की थी. हाल ही में दिनेश खटीक को राज्यमंत्री, जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण बनाया गया. 2017 में दिनेश खटीक बीजेपी (BJP) से थे तो प्रदेश की गद्दी भी बीजेपी को मिली. इसी तरह से साल 2012 के चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि (Prabhu Dayal Balmiki) ने जीत दर्ज की. तब सत्ता समाजवादी पार्टी को ही मिली और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मुख्यमंत्री बने.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/5fa7b1887bba31fc99cf947d61f9fb9979179.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
विधानसभा चुनाव 2017 के आंकड़े पर नज़र डालें तो हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के दिनेश खटीक (Dinesh Khateek) ने जीत दर्ज की थी. हाल ही में दिनेश खटीक को राज्यमंत्री, जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण बनाया गया. 2017 में दिनेश खटीक बीजेपी (BJP) से थे तो प्रदेश की गद्दी भी बीजेपी को मिली. इसी तरह से साल 2012 के चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि (Prabhu Dayal Balmiki) ने जीत दर्ज की. तब सत्ता समाजवादी पार्टी को ही मिली और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मुख्यमंत्री बने.
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![साल 2012 से पहले के विधानसभा चुनावों में भी यही मिथक बरकार रहा. साल 2007 में हस्तिनापुर विधानसभा सीट बहुजन समाज पार्टी (BSP) के खाते में गई. यहां से योगेश वर्मा (Yogesh Verma) ने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री की कुर्सी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) को मिली. साल 2002 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि जीते और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/3d53b09142f5bfec9838a22de174786e61719.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
साल 2012 से पहले के विधानसभा चुनावों में भी यही मिथक बरकार रहा. साल 2007 में हस्तिनापुर विधानसभा सीट बहुजन समाज पार्टी (BSP) के खाते में गई. यहां से योगेश वर्मा (Yogesh Verma) ने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री की कुर्सी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) को मिली. साल 2002 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि जीते और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने.
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![साल 1957 से 1967 तक, यानी लगातार दो विधानसभा चुनावों में हस्तिनापुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा और सरकार भी उसी की रही. इतना ही नहीं इससे पहले भी साल 1974, 1980 और1985 में कांग्रेस के विधायक हस्तिनापुर सीट से जीते और सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/98be72cc8aa0b215221357c90714a710ca941.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
साल 1957 से 1967 तक, यानी लगातार दो विधानसभा चुनावों में हस्तिनापुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा और सरकार भी उसी की रही. इतना ही नहीं इससे पहले भी साल 1974, 1980 और1985 में कांग्रेस के विधायक हस्तिनापुर सीट से जीते और सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी.
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![हस्तिनापुर विधानसभा के साथ सिर्फ एक ही मिथक नहीं जुड़ा है, बल्कि दूसरा मिथक ये है कि यहां जिस विधायक को मंत्री बनाया गया, अगली बार सरकार चली गई. ये मिथक साल 2012 से चल रहा है और इसकी शुरूआत समाजवादी पार्टी के विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि से हुई. साल 2012 में पार्टी ने प्रभुदयाल को मंत्री बनाया और 2017 में समाजवादी पार्टी की सरकार चली गई. वहीं, साल 2017 में बीजेपी के दिनेश खटीक जीते और योगी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया. अब देखना यह है कि बीजेपी अपनी सरकार बचाने में कामयाब होती है या नहीं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/23/03a0f709df7bd06a82e59a6b25044edca0725.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
हस्तिनापुर विधानसभा के साथ सिर्फ एक ही मिथक नहीं जुड़ा है, बल्कि दूसरा मिथक ये है कि यहां जिस विधायक को मंत्री बनाया गया, अगली बार सरकार चली गई. ये मिथक साल 2012 से चल रहा है और इसकी शुरूआत समाजवादी पार्टी के विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि से हुई. साल 2012 में पार्टी ने प्रभुदयाल को मंत्री बनाया और 2017 में समाजवादी पार्टी की सरकार चली गई. वहीं, साल 2017 में बीजेपी के दिनेश खटीक जीते और योगी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया. अब देखना यह है कि बीजेपी अपनी सरकार बचाने में कामयाब होती है या नहीं.
Published at : 23 Dec 2021 11:51 AM (IST)
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