Election Results 2024
(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IN Pics: लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले गीता प्रेस की धार्मिक किताबों की बढ़ी मांग, टूटा रिकॉर्ड
image 1UP Lok Sabha Elections 2024 Phase 7: यूपी के गोरखपुर में सातवें चरण में 1 जून को चुनाव होना है. 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आ जाएगा. इसके पहले गोरखपुर के गीता प्रेस में श्री रामचरितमानस सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की डिमांड खूब बढ़ गई है. हिंदी भाषी प्रदेशों में खासकर इन धार्मिक पुस्तकों को मांगने वाले नेता और कार्यकर्ताओं के बीच खूब उत्साह है. गीता प्रेस के प्रबंधक डॉक्टर लालमणि तिवारी बताते हैं कि हर साल कोई न कोई चुनाव होता है ऐसे में इन धार्मिक पुस्तकों की डिमांड स्वत: ही चुनाव के समय बढ़ जाती है.
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View In Appगोरखपुर का गीता प्रेस धार्मिक पुस्तकों को छापने के लिए पूरे दुनिया में जाना जाता है. देश और विदेशों में भी श्रीमद्भागवत गीता, श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा देश के साथ विदेश में भी जाती है. लोकसभा चुनाव सातवें और अंतिम चरण में है. 1 जून को गोरखपुर में सातवें चरण का मतदान होगा. 4 जून को रिजल्ट आना है. डॉ. लालमणि तिवारी बताते हैं कि हिंदी भाषी राज्यों में श्रीरामचरितमानस की डिमांड बढ़ गई है. वे बताते हैं कि पिछले वर्ष 1 जनवरी से 31 मार्च तक हनुमान चालीसा 17 लाख 20 हजार छापी गई थी. इस बार 23 लाख 90 हजार हनुमान चालीसा छाप चुके हैं.
राजनीतिक पार्टियों की तरफ से श्री रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा बांटती है. उनसे भी संपर्क किया जाता है कि उनके नाम के साथ छापकर दे दिया जाए, लेकिन गीता प्रेस किसी का नाम छाप कर नहीं देता है, इसलिए लोग बाजार और ब्रांच में उपलब्ध पुस्तकों को ले जाते हैं और लोगों को बांटते हैं. श्री रामचरितमानस की 6 लाख 30 हजार प्रतियां छापी जा चुकी है. अभी और अधिक मात्रा में छाप कर उपलब्ध कराएंगे. सुंदरकांड की भी यही स्थिति रहती है. सुंदरकांड की भी मांग बढ़ जाती है.
गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी बताते हैं कि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात राज्य में उनकी मांग अधिक बढ़ जाती है. हिंदी प्रदेशों में जनमानस में इसका प्रभाव अधिक है. गीता प्रेस कई भाषाओं में इन धार्मिक पुस्तकों को छापता है, लेकिन हिंदी भाषा में छपी पुस्तकों की डिमांड अधिक होती है. पिछले 10 वर्षों से ये ट्रेंड बढ़ा है. हो सकता है पहले किसी और वस्तु के बांटने की परंपरा रही हो, लेकिन 10 वर्षों से इसका ट्रेंड बढ़ गया है. क्योंकि चुनाव हर वर्ष होते रहते हैं. धार्मिक पुस्तकों को बांटने वाली प्रवृत्ति और परंपराएं लोगों के अंदर बढ़ी है. अलग-अलग 20 ब्रांचो से भी खबर आएगी कि कौन कितना लेकर जा रहा है, लेकिन लोग अपने प्रतिनिधियों को लगा देते हैं और लोग बताते नहीं है कि किस पार्टी के लिए हुए ले जा रहे हैं, इसलिए यह बता पाना थोड़ा मुश्किल काम है.
गीता प्रेस के प्रबंधक डॉक्टर लालमणि तिवारी बताते हैं कि इस साल अयोध्या में प्रभु श्री राम के राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद से बहुत अधिक डिमांड बढ़ गई है. जब मंदिर बनने लगा, तो बिक्री एक लाख से बढ़ गई है. अभी 6 लाख 30 हजार रामचरितमानस छाप चुके हैं और इसके बावजूद आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.
श्री रामचरितमानस दो तरह की है एक मूल है और दूसरा जो है उसमें अर्थ है. अलग-अलग आयु वर्ग और अलग-अलग आय वर्ग को ध्यान में रखते हुए श्रीरामचरितमानस छापते हैं. मराठी, गुजराती, असमिया, बांग्ला, तेलुगू जैसी 10 भाषाओं में रामचरितमानस को छापा जा रहा है. गीता प्रेस के ग्रंथ 15 भाषाओं में छाप रहे हैं और 1800 से अधिक तरह की पुस्तक हैं. अभी जितनी मांग है उसकी 70% आपूर्ति गीता प्रेस कर पा रहा है और भी अत्याधुनिक मशीन लगाई जा रही हैं. इससे और अधिक आपूर्ति कर पाने में सक्षम होंगे. गीता प्रेस जितनी प्रकाशन क्षमता बढ़ाता है, उससे अधिक मांग बढ़ जाती है.
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