In Pics: गौरैया को बचाने की मुहिम में ‘स्पैरोमैन’ बन गए गोरखपुर के सुजीत, देखें तस्वीरें
World Sparrow Day 2024: गौरैया चिड़िया धीरे-धीरे गायब हो गई हैं. आज भले ही घर-आंगन से गौरेया गायब हो गई हैं, लेकिन तीन दशक पहले हर किसी ने अपने घर-आंगन में गौरैया को देखा होगा. विश्व गौरैया दिवस पर हम ऐसी ही शख्सियत के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही गौरैया के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिए हैं.
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View In Appगौरैया के लिए खुद और घर को समर्पित करने वाले सुजीत रियल हीरो हैं. यही वजह है कि लोग उन्हें ‘स्पैरोमैन’ बुलाते हैं. उनके हर कमरे में गौरैया के घोंसले और बच्चे मिल जाएंगे. जो उनके जुनून को खुद-ब-खुद बयां करते हैं.
गोरखपुर के दक्षिणांचल के अंतिम छोर पर 50 किलोमीटर दूर बेलघाट कस्बे के रहने वाले सुजीत कुमार ने पूरा जीवन ही गौरैया के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है. 42 वर्षीय सुजीत कुमार 20 साल से गौरैया का संरक्षण कर रहे हैं. साल 2004 से वे गौरैया को बचाने के मुहिम में जुटे हैं. सुजीत के घर में वर्तमान में 1600 गौरैया (नर-मादा) और बच्चे हैं.
मादा गौरैया एक बार में चार या पांच अंडे देती है. वे 20 साल में 10 हजार गौरैया को अपने घर में जन्म दिलाकर उन्हें जीवन दे चुके हैं. सुजीत के परिवार के लोग उनके इस जुनून में पूरी तरह से साथ देते हैं. पूरा परिवार सुजीत के गौरैया संरक्षण की मुहिम में लगा हुआ है.
सुजीत बताते हैं कि वे बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई पूरी किए. इसके बाद उन्हें बढ़ते पर्यावरण असंतुलन और खेतों में कीटनाशक के प्रयोग से लुप्त हो रही गौरैया को बचाने का जुनून सवार हो गया. हालांकि इसके लिए उन्होंने कोई ट्रेनिंग नहीं ली. लेकिन किसान पिता, गृहणी मां और साल 2007 में विवाह के बाद पत्नी गुंजा के समर्पण से वे इस मुहिम को आगे बढ़ाते चले गए.
इस बीच मोबाइल टावर के रेडिएशन से लुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए वे और भी जी-जान से जुट गए. सुजीत बताते हैं कि वे गौरैया और उनके बच्चे की आवाज को भली-भांति समझते हैं. गौरैया अलग-अलग समय पर अलग तरह की आवाज के संबोधन से सुजीत को पुकारती हैं. जिससे वे उनकी जरूरतों को समझ जाते हैं. वे बताते हैं कि घोंसले के पास बाज के आने से गौरैया विशेष प्रकार की आवाज निकालती हैं. भूख लगने पर अलग आवाज और अंडा देने की दशा में अलग तरह की हरकतें और आवाज करती हैं.
नर-मादा को अंडा देने के लिए घोंसला का चुनाव करता है और बुलाता है. इसके लिए वो अलग तरह की आवाज निकालता है. सुजीत इस बात पर अफसोस जाहिर करते हैं कि उनकी 20 साल की गौरैया के जीवन के संरक्षण की मुहिम में परिवार का साथ तो भरपूर मिला, लेकिन सरकारी मदद की दरकार पूरी नहीं हुई.
उनके परिवार में मां इंद्रावती देवी, किसान पिता रामा प्रसाद, छोटा भाई सुशील कुमार और पत्नी गुंजा देवी हैं. गुंजा कस्तूरबा विद्यालय में गणित की शिक्षिका हैं. सुजीत के दो बच्चे 11 वर्षीय अर्पिता कक्षा 6 की छात्रा हैं. वहीं 6 वर्षीय बेटा सौरभ कक्षा नर्सरी का स्टूडेंट है. पत्नी गुंजा कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ाने की वजह से रात में भी घर नहीं आ पाती हैं. नौकरी और शिक्षिका के कर्तव्य को वे निभाने के साथ परिवार की जरूरतों को भी पूरा करती हैं. हालांकि वे इस बात पर संतुष्ट हैं कि उनका विद्यालय कस्बे में ही है.
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