UP Tourist Famous Place: उत्तर प्रदेश के वो फेवरेट टूरिस्ट स्पॉट जहां विदेशी सैलानियों का लगता है जमावड़ा, क्या आप गए हैं कभी ?
UP News: घुमक्कड़ी के शौकीन लोगों के लिए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भी एक बेहद खास राज्य है. यहां ना सिर्फ एक से बढ़कर एक टूरिस्ट प्लेस हैं बल्कि इतिहास से जुड़े प्राचीन स्थल इसे और ज्यादा खास बना देते हैं. आज हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश की उन चुनिंदा जगहों के बारे में जहां ना सिर्फ देसी पर्यटक बल्कि विदेशी सैलानियों की भी भीड़ हर साल उमड़ती है. इन खास जगहों में कुछ तो ऐसी हैं जहां जीवन में कम से कम एक बार जाना तो बनता ही है. शायद इसलिए ही यूपी टूरिज्म की टैगलाइन ही है कि यूपी नहीं देखा तो इंडिया मिस कर दिया.
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View In Appताजमहल - यूपी के आगरा में स्थित ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है. देश-दुनिया से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं. ताजमहल पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ आप ट्रेन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ताजमहल सुबह 6 बजे से शाम साढ़े 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है. साथ ही अब चांदनी रात में भी ताजमहल को देखना का मौका मिलेगा. शाम 8:30 बजे से 12:30 बजे तक पूर्णमासी के दिन ताजमहल खोला जाएगा.
महामंकोल चाई थाई मोनेस्टरी, श्रावस्ती - यूपी के श्रावस्ती जिले में भगवान बुद्ध से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं. यहां महामंकोल चाई थाई मोनेस्टरी शांति की तलाश करने वालों के लिए एक खास जगह है. इस मोनेस्टरी में ध्यान लगाने वाले बौद्ध भिक्षुओं की एक बड़ी संख्या आती है. श्रावस्ती पहुंचने के लिए सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्रयागराज का संगम - यूपी में प्रयागराज को धर्मनगरी के नाम से जाना जाता है. कुंभ मेला से लेकर एक से एक सुंदर मंदिरों की ये नगरी अपने आप में खास और ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह है. इस शहर की खासियत है यहां होंने वाला दो नदियों का संगम, यहां यमुना और गंगा का संगम होता है. प्रयागराज आने के लिए आपको सड़क मार्ग के साथ सीधी हवाई यात्रा और रेल सेवा भी उपलब्ध है.
बुलंद दरवाजा - आगरा के फतेहपुर सीकरी के इस शहर के निर्माण सूफी संत सलीम चिश्ती के सम्मान में बादशाह अकबर ने कराया था. यहां की सबसे बड़ी खासियत बुलंद दरवाजा है. ये भारत का सबसे बड़ा दरवाजा है. और इसकी ऊंचाई 54 मीटर है.
महाराजा गंगाधर राव की छतरी - महाराजा गंगाधर राव की छतरी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में है. इसका निर्माण रानी लक्ष्मीबाई द्वारा 21 नवंबर 1853 को कराया गया था. रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पति गंगाधर राव के निधन के बाद इसका निर्माण कराया था. यह भारतीय कला का एक बेहतरीन नमूना है.
वाराणसी - भोलेनाथ की नगरी काशी अपने घाटों के लिए मशहूर है. यहां हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं. मोक्ष का द्वार मानी जाने वाली वाराणसी दिल्ली से महज 8 घंटे की दूरी पर मौजूद है. अगर आप यहां आएं तो प्रयाग घाट, अस्सी घाट और मणिकर्णिंका घाट कुछ ऐसी जगहें हैं जहां जाना अपने आप में एक खास अनुभव होगा.
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