उत्तराखंड: पांडवों ने कराया था 16 मंदिरों का निर्माण, अब बचे 14, तस्वीरों में देखिए ये खास जगह
आदि बद्री धाम कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर दूर और चांदपुर गढ़ी से 3 किलोमीटर दूर स्थित है. चांदपुर गढ़ी से 3 किलोमीटर आगे आपको अचानक प्राचीन मंदिर का एक समूह दिखाई देगा. मान्यता है कि इन मंदिरों का निर्माण स्वर्गारोहिणी पथ पर उत्तराखंड आये पांडवों द्वारा किया गया.
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View In Appयह भी कहा जाता है कि इसका निर्माण 8वीं सदी में शंकराचार्य द्वारा हुआ. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षणा के अनुसार इनका निर्माण 8वीं से 11वीं सदी के बीच कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा किया गया. कुछ वर्षों से इन मंदिरों की देखभाल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अधीन है.
मूलरूप से इस समूह में 16 मंदिर थे, जिनमें 14 अभी बचे हैं. प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु का है जिसकी पहचान इसका बड़ा आकार और एक ऊंचे मंच पर निर्मित होना है.
एक मीटर ऊंची काली शालिग्राम भगवान की सुंदर प्रतिमा है जो अपने चतुर्भुज रूप में खड़े हैं. यह गर्भगृह के अंदर स्थित हैं.
इसके सामने एक छोटा मंदिर भगवान विष्णु की सवारी गरूड़ को समर्पित है. समूह के अन्य मंदिर अन्य देवी-देवताओं सत्यनारायण, लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, चकभान, कुबेर (मूर्ति विहीन), राम-लक्ष्मण-सीता, काली, भगवान शिव, गौरी, शंकर एवं हनुमान को समर्पित हैं.
इन मंदिरों में गहन एवं विस्तृत नक्काशी है. प्रत्येक मंदिर पर नक्काशी का भाव उस मंदिर के लिये विशिष्ट और अन्य से अलग भी है.
यहां अब भी पूजा होती है. विष्णु मंदिर की देखभाल चक्रदत्त थपलियाल करते हैं. वे पास ही थापली गांव के रहने वाले हैं. थापली गांव के ब्राह्मण पिछले करीब सात सौ वर्षों से इस मंदिर के पुजारी हैं .
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