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उत्तरकाशी का सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक, जन्नत सी है खूबसूरती, जानें- कैसे पहुंचें यहां?

Uttarakhand News: उत्तराखंड के सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किए जाने से इसकी लोकप्रियता में इजाफा होगा. आने वाले समय में देश-विदेश से पर्यटक यहां घूमने आएंगे.

Uttarakhand News: उत्तराखंड के सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किए जाने से इसकी लोकप्रियता में इजाफा होगा. आने वाले समय में देश-विदेश से पर्यटक यहां घूमने आएंगे.

उत्तरकाशी का सरनौल सुतुड़ी सरुताल ट्रैक

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना ने तेजी पकड़ ली है. अपनी नैसर्गिक सुंदरता और पर्यटक संभावनाओं के कारण यह इलाका राज्य सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार ने इस ट्रैक को विकसित करने के लिए 74.20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें से 40 लाख रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है. यह प्रयास न केवल उत्तरकाशी को पर्यटन के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना ने तेजी पकड़ ली है. अपनी नैसर्गिक सुंदरता और पर्यटक संभावनाओं के कारण यह इलाका राज्य सरकार की प्राथमिकता में है. सरकार ने इस ट्रैक को विकसित करने के लिए 74.20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें से 40 लाख रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है. यह प्रयास न केवल उत्तरकाशी को पर्यटन के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा.
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सरनौल से शुरू होकर सुतुड़ी होते हुए सरूताल तक पहुंचने वाला यह 22 किलोमीटर लंबा ट्रैक प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक अद्भुत स्थान है. यहां के मखमली बुग्याल, गगनचुंबी बर्फीली चोटियां, और दुर्लभ पुष्प प्रजातियां इसे और भी खास बनाती हैं. ब्रह्मकमल, राज्य का राजकीय पुष्प, यहां की शोभा बढ़ाता है. सरनौल से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुतुड़ी बुग्याल इस यात्रा का पहला पड़ाव है, जबकि सरूताल ट्रैक का अंतिम और सबसे सुंदर पड़ाव है. सरूताल के चारों ओर खिले हुए रंग-बिरंगे पुष्प पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. सुतुड़ी और सरूताल का यह क्षेत्र उत्तराखंड के प्रमुख ट्रैकिंग स्थलों में से एक बन चुका है,जिसे हाल ही में राज्य सरकार ने ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किया है.
सरनौल से शुरू होकर सुतुड़ी होते हुए सरूताल तक पहुंचने वाला यह 22 किलोमीटर लंबा ट्रैक प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक अद्भुत स्थान है. यहां के मखमली बुग्याल, गगनचुंबी बर्फीली चोटियां, और दुर्लभ पुष्प प्रजातियां इसे और भी खास बनाती हैं. ब्रह्मकमल, राज्य का राजकीय पुष्प, यहां की शोभा बढ़ाता है. सरनौल से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुतुड़ी बुग्याल इस यात्रा का पहला पड़ाव है, जबकि सरूताल ट्रैक का अंतिम और सबसे सुंदर पड़ाव है. सरूताल के चारों ओर खिले हुए रंग-बिरंगे पुष्प पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. सुतुड़ी और सरूताल का यह क्षेत्र उत्तराखंड के प्रमुख ट्रैकिंग स्थलों में से एक बन चुका है,जिसे हाल ही में राज्य सरकार ने ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किया है.
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उत्तराखंड सरकार ने सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक के विकास के लिए 74.20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं. इस धनराशि का उपयोग ट्रैक की मरम्मत, रेन शेल्टर और कैम्पिंग शेड के निर्माण में किया जाएगा. इस परियोजना के लिए इस वित्तीय वर्ष में 40 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है. सचिव पर्यटन, सचिन कुर्वे ने परियोजना को 31 मार्च 2025 तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस परियोजना का उद्देश्य न केवल ट्रैकिंग के अनुभव को सुरक्षित और आरामदायक बनाना है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देना भी है. यह ट्रैकिंग मार्ग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा घोषित यमुनोत्री क्षेत्र के नौगांव विकासखंड के पर्यटन सर्किट का हिस्सा है.
उत्तराखंड सरकार ने सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक के विकास के लिए 74.20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं. इस धनराशि का उपयोग ट्रैक की मरम्मत, रेन शेल्टर और कैम्पिंग शेड के निर्माण में किया जाएगा. इस परियोजना के लिए इस वित्तीय वर्ष में 40 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है. सचिव पर्यटन, सचिन कुर्वे ने परियोजना को 31 मार्च 2025 तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस परियोजना का उद्देश्य न केवल ट्रैकिंग के अनुभव को सुरक्षित और आरामदायक बनाना है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देना भी है. यह ट्रैकिंग मार्ग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा घोषित यमुनोत्री क्षेत्र के नौगांव विकासखंड के पर्यटन सर्किट का हिस्सा है.
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सरनौल सुतुड़ी सरूताल पर्यटन विकास समिति और स्थानीय नेताओं ने इस ट्रैक को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार से लगातार मांग की थी. वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने इस परियोजना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि यह ट्रैक न केवल उत्तराखंड बल्कि भारत के पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी जगह बनाएगा. मनवीर चौहान के अनुसार, सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक प्रकृति का आईना है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ब्रह्मकमल जैसे दुर्लभ पुष्प, और बर्फ से ढकी चोटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. उन्होंने कहा कि इस ट्रैक के विकास से क्षेत्र के होटल, होमस्टे, ढाबे, और स्थानीय उत्पादकों को लाभ होगा.
सरनौल सुतुड़ी सरूताल पर्यटन विकास समिति और स्थानीय नेताओं ने इस ट्रैक को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार से लगातार मांग की थी. वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने इस परियोजना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि यह ट्रैक न केवल उत्तराखंड बल्कि भारत के पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी जगह बनाएगा. मनवीर चौहान के अनुसार, सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक प्रकृति का आईना है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ब्रह्मकमल जैसे दुर्लभ पुष्प, और बर्फ से ढकी चोटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. उन्होंने कहा कि इस ट्रैक के विकास से क्षेत्र के होटल, होमस्टे, ढाबे, और स्थानीय उत्पादकों को लाभ होगा.
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सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक के विकास से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे. ट्रैक पर आने वाले पर्यटक होमस्टे, होटल, और स्थानीय परिवहन सेवाओं का उपयोग करेंगे. इससे घोड़े-खच्चर संचालकों, वाहन स्वामियों, और दूध-घी उत्पादकों को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा, ट्रैकिंग गाइड, कैंपिंग सेवाएं, और अन्य सुविधाओं के लिए स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. इस क्षेत्र के विकास से नौगांव, बड़कोट, और ठकराल पट्टी के स्थानीय लोग अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में सक्षम होंगे.
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक के विकास से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे. ट्रैक पर आने वाले पर्यटक होमस्टे, होटल, और स्थानीय परिवहन सेवाओं का उपयोग करेंगे. इससे घोड़े-खच्चर संचालकों, वाहन स्वामियों, और दूध-घी उत्पादकों को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा, ट्रैकिंग गाइड, कैंपिंग सेवाएं, और अन्य सुविधाओं के लिए स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. इस क्षेत्र के विकास से नौगांव, बड़कोट, और ठकराल पट्टी के स्थानीय लोग अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में सक्षम होंगे.
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सरनौल और सुतुड़ी का यह क्षेत्र केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. 10 सितंबर 2024 को सरनौल सुतुड़ी सरूताल विकास समिति के नेतृत्व में थान गांव से जमदग्नि ऋषि मुनि महाराज और सरनौल से रेणुका देवी की डोलियों के साथ चार सौ से अधिक लोगों ने इस यात्रा में भाग लिया था. सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक यमुनोत्री क्षेत्र के नौगांव विकासखंड में स्थित है, जिसे मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है. पर्यटन विभाग ने इस परियोजना की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और धनराशि स्वीकृत कर दी गई है.
सरनौल और सुतुड़ी का यह क्षेत्र केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. 10 सितंबर 2024 को सरनौल सुतुड़ी सरूताल विकास समिति के नेतृत्व में थान गांव से जमदग्नि ऋषि मुनि महाराज और सरनौल से रेणुका देवी की डोलियों के साथ चार सौ से अधिक लोगों ने इस यात्रा में भाग लिया था. सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक यमुनोत्री क्षेत्र के नौगांव विकासखंड में स्थित है, जिसे मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है. पर्यटन विभाग ने इस परियोजना की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और धनराशि स्वीकृत कर दी गई है.
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सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किए जाने से इसकी लोकप्रियता में इजाफा होगा. आने वाले समय में देश-विदेश से पर्यटक यहां घूमने आएंगे, जिससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी. सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक का विकास न केवल उत्तरकाशी जिले बल्कि पूरे उत्तराखंड के पर्यटन विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह परियोजना राज्य के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने और प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. सरकार और स्थानीय समुदाय के सहयोग से यह क्षेत्र जल्द ही देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन जाएगा.
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किए जाने से इसकी लोकप्रियता में इजाफा होगा. आने वाले समय में देश-विदेश से पर्यटक यहां घूमने आएंगे, जिससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी. सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक का विकास न केवल उत्तरकाशी जिले बल्कि पूरे उत्तराखंड के पर्यटन विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह परियोजना राज्य के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने और प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. सरकार और स्थानीय समुदाय के सहयोग से यह क्षेत्र जल्द ही देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन जाएगा.

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