कॉर्बेट के पास फाटो जोन बना पर्यटकों का फेवरेट, ट्री हाउस से निहार सकेंगे प्राकृति की खूबसूरती
रामनगर स्थित तराई पश्चिमी वन प्रभाग में स्थापित फाटो जोन पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गया है. यह जोन कॉर्बेट नेशनल पार्क के करीब है और अपनी अनूठी विशेषताओं और सुविधाओं के कारण तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है.
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View In Appयहां हर साल 40 हजार से अधिक पर्यटक आते हैं, जो इसे ढिकाला के बाद सबसे व्यस्त पर्यटक क्षेत्र बना रहा है. फाटो जोन में उत्तराखंड का पहला ट्री हाउस बनाया गया है, जहां पर्यटक जंगल में रुकने का अद्भुत अनुभव कर सकते हैं.
यहां दो ट्री हाउस उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों को प्रकृति के करीब ले जाते हैं. इस जोन में बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी और सांभर जैसे वन्यजीव आसानी से देखे जा सकते हैं. पर्यटक यहां वन्यजीव सफारी का आनंद मात्र पांच हजार रुपये में ले सकते हैं, जिसमें सभी खर्चे शामिल हैं.
यहां पर 15 कमरे बनाए गए हैं, जो रात्रि विश्राम के लिए उपलब्ध हैं. इसमें दो वाटर होल हैं, जिन्हें 'पिंक वाटर होल' और 'ग्रीन वाटर होल' नाम दिया गया है, जानवरों के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं.
भविष्य में ओपन एरिया रेस्टोरेंट और मंड हाउस बनाने की योजना है, जो फोटोग्राफी और जंगल के अंदरूनी हिस्सों में रुकने वाले पर्यटकों के लिए होगा.
अन्य जोनों की तुलना में, फाटो जोन में सफारी और परमिट का खर्च कम है. यहां परमिट मात्र 1100 से 1200 रुपये में प्राप्त किया जा सकता है, जो इसे अधिक आकर्षक बनाता है.
विभाग को सोलर फेंसिंग के लिए बजट का इंतजार है. यह फेंसिंग पर्यटकों और कैंपस की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, क्योंकि यहां हाथियों और अन्य जानवरों के कैंपस में घुसने का खतरा रहता है. वन विभाग आने वाले समय में पर्यटकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दे रहा है.
तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य ने फाटो जोन को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने पर्यटकों के लिए सुरक्षित और अनुकूल माहौल बनाने के साथ रात्रि विश्राम के लिए सुविधाएं भी प्रदान की हैं. उनके नेतृत्व में यह जोन भविष्य में एक बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा.
फाटो जोन न केवल वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचा रहा है. इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को नई पहचान मिल रही है.
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