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Valley Of Flowers: देवभूमि की सबसे सुंदर जगह ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’…जहां संजीवनी लेने आए थे प्रभु हनुमान
![](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/1981f526d9e5a739755b85c8d9678220_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वैली ऑफ फ्लॉवर्स
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![Valley of Flowers: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. धार्मिक और पौराणिक महत्व के ना जाने कितने स्थान यहां मौजूद हैं. चारधाम यात्रा, हरिद्वार और ऋषिकेश में अनेकों धार्मिक स्थल मौजूद हैं. मान्यता है कि उत्तराखंड की देवभूमि में कण-कण में देवों का वास है. वहीं उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी विशेष स्थान रखता है. विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल कर चुकी वैली ऑफ फ्लॉवर भी इसी देवभूमि पर मौजूद है. 1 जून से पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोली जा चुकी है. आज आपको बताएंगे इस पर्यटन स्थल से जुड़ी हर खास बात…](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/0d9e929df4537b2129b1d2970693de34fa564.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
Valley of Flowers: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. धार्मिक और पौराणिक महत्व के ना जाने कितने स्थान यहां मौजूद हैं. चारधाम यात्रा, हरिद्वार और ऋषिकेश में अनेकों धार्मिक स्थल मौजूद हैं. मान्यता है कि उत्तराखंड की देवभूमि में कण-कण में देवों का वास है. वहीं उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी विशेष स्थान रखता है. विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल कर चुकी वैली ऑफ फ्लॉवर भी इसी देवभूमि पर मौजूद है. 1 जून से पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोली जा चुकी है. आज आपको बताएंगे इस पर्यटन स्थल से जुड़ी हर खास बात…
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![फूलों की घाटी ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है बल्कि यहां सैकड़ों बेशकीमती जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं. साल 1982 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया था. यहां कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी बसेरा करते हैं. ये पूरी घाटी करीब 87 किलोमीटर के इलाके में फैली हुई है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/16c9124e4e6ade3056a9628f19496562a00b9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
फूलों की घाटी ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है बल्कि यहां सैकड़ों बेशकीमती जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं. साल 1982 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया था. यहां कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी बसेरा करते हैं. ये पूरी घाटी करीब 87 किलोमीटर के इलाके में फैली हुई है.
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![समुद्र तल से फूलों की घाटी 3352 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस इलाके को जड़ी-बूटियों से भरा माना जाता है. मान्यता है कि प्रभु हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए फूलों की घाटी में ही आए थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/ce6b2ddc53a4f42879d828cb60070ccacf06a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
समुद्र तल से फूलों की घाटी 3352 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस इलाके को जड़ी-बूटियों से भरा माना जाता है. मान्यता है कि प्रभु हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए फूलों की घाटी में ही आए थे.
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![इस घाटी में 500 से ज्यादा प्रजातियों के फूल मिलते हैं. खास बात ये कि हर दो हफ्ते के बाद इस घाटी का रंग बदला नजर आता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/32dca01432c76378ed9e2570c8465f756a320.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस घाटी में 500 से ज्यादा प्रजातियों के फूल मिलते हैं. खास बात ये कि हर दो हफ्ते के बाद इस घाटी का रंग बदला नजर आता है.
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![फूलों की घाटी को सिर्फ गर्मियों की सीजन यानि जून से अक्टूबर के बीच ही खोला जाता है. बाकी दिनों में ये पूरा इलाका बर्फ से ढ़का रहता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/b03f2315c3646ae227396f8245b8b557e3d1d.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
फूलों की घाटी को सिर्फ गर्मियों की सीजन यानि जून से अक्टूबर के बीच ही खोला जाता है. बाकी दिनों में ये पूरा इलाका बर्फ से ढ़का रहता है.
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![अगर आप दिल्ली से यहां आना चाहते हैं तो आपको हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुए रुद्रप्रयाग, फिर जोशीमठ होते हुए घांघरिया पहुंचना होगा. जहां से सीधे फूलों की घाटी पहुंचा जा सकता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/945f2c0e978fc1f60e014c7538efd2224d89f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अगर आप दिल्ली से यहां आना चाहते हैं तो आपको हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुए रुद्रप्रयाग, फिर जोशीमठ होते हुए घांघरिया पहुंचना होगा. जहां से सीधे फूलों की घाटी पहुंचा जा सकता है.
Published at : 07 Jun 2022 12:14 PM (IST)
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शशांक शेखर झा, एडवोकेटAdvocate
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